चीन बोईंग, रेदॉन के ‘सीईओ’ पर प्रतिबंध लगाएगा

बीजिंग – ‘चीन की संप्रभुता और सुरक्षा से जुडे हितों के बचाव के लिए अमरीका की ‘बोईंग’ और ‘रेदॉन’ कंपनियों के ‘सीईओ’ पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई करेगा, ऐसा ऐलान चीन के विदेश मंत्रालय ने किया। हथियारों के निर्माण में आगे अग्रसर अमरिकी कंपनियों पर चीन दूसरी बार ऐसे प्रतिबंध लगा रहा है। इस वजह से दोनों देशों के संबंध बिगड़ेंगे, ऐसी चेतावनी दी गई है। इसी बीच अमरीका ने ताइवान को विध्वंसकविरोधी एवं हवा से हवा में हमला करनेवाली मिसाइल्स की आपूर्ति करने का निर्णय किया था। इस पर आगबबूला हुए चीन ने अमरीका को इसकी बड़ी कीमत चुकाने की चेतावनी भी दी थी।

पिछले दो महीनों से ताइवान के मुद्दे पर अमरीका और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है। अगस्त में अमरिकी संसद के प्रतिनिधि सदन की सभापति नैन्सी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था। इसके बाद चीन ने पेलोसी पर प्रतिबंध लगाकर ताइवान के इर्दगिर्द युद्धाभ्यास शुरू किया था। चीन से ताइवान की सुरक्षा को बढ़ रहा खतरा रेखांकित करके अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने ताइवान के लिए सैन्य सहायता का ऐलान किया था।

इस महीने की शुरूआत में अमरिकी सिनेट की ‘फॉरेन रिलेशन्स कमिटी’ ने ताइवान के लिए अरबों बॉलर्स की सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए मंजूरी प्रदान की। इसके अनुसार ताइवान को अब अमरीका विध्वंसकविरोधी ६० मिसाइल्स और हवा से हवा में हमला करनेवाले १०० मिसाइल्स प्रमुखता से प्रदान कर रही है, ऐसा अमरिकी विदेश विभाग ने स्पष्ट किया। इसके अलावा अमरीका ताइवान को ज़मीन से हवा में हमला करनेवाले मिसाइल्स की भी आपूर्ति करने की संभावना होने की बात कही जा रही है।

चीन के विध्वंसक और पनडुब्बी एवं लड़ाकू विमानों को लक्ष्य करने के लिए ताइवान के लिए अमरीका इन हथियारों की आपूर्ति कर रही है, ऐसा आरोप चीनी माध्यमों ने लगाया था। अमरीका के बोईंग और रेदॉन कंपनियों के बने हथियारों की ताइवान को आपूर्ति की जाएगी, इस ओर चीनी माध्यमों ने ध्यान आकर्षित किया था। इसके बाद ही चीन के विदेश मंत्रालय ने बोईंग कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) टेड कोल्बर्ट और रेसॉन के सीईओ ग्रेगरी हेज्‌‍ पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई करने का ऐलान किया। चीन ने पहले भी ताइवान को हथियारों की सहायता करने का आरोप लगाकर इन दोनों कंपनियों पर प्रतिबंधों की कार्रवाई की थी।

इसी बीच वैश्विक शांति व्यवस्था के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा होने का आरोप इंटर पार्लामेंटरी अलायन्स ऑन चायना (आईपीएसी) नामक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने लगाया है। चीन विरोधी इस गठबंधन में ३० देशों के ६० जनप्रतिनिधि शामिल हैं और इसमें अमरीका के अलावा भारत के सांसदों का भी समावेश है। चीन को संदेश देने के लिए जल्द ही ‘आईपीएसी’ का प्रतिनिधिमंड़ल ताइवान पहुँच रहा है।

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