जनता की तीव्र प्रतिक्रिया के बावजूद चीन ने किया ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ का समर्थन

बीजिंग – चीन की फौलादी व्यवस्था को छेदकर, इस देश की राजधानी बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी की हुकूमत के खिलाफ जनता ने तीव्र प्रदर्शन किए थे। हमें ‘पीसीआर टेस्ट नहीं, अनाज चाहिये’, ‘लॉकडाऊन नहीं, आज़ादी चाहिये’, ‘तानाशाही नहीं, जनमत से चुनी सरकार चाहिये’ ऐंसें बोर्ड राजधानी बीजिंग में लगे थे। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने अपनाई ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ पर व्यक्त हुई यह तीव्र प्रतिक्रिया है, ऐसा दावा अन्तर्राष्ट्रीय माध्यमों ने किया था। लेकिन, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ का समर्थन किया है।

राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने ज़ीरो कोविड पॉलिसी लाकर, कोरोना की महामारी फैलने के लिए अवसर ना मिले इस मंशा से कुछ प्रांतों में चिनी जनता को घरों में ही बंद कर रखा था। यह नीति अपनाते समय, जनता की अनाज, जल एवं अन्य सुविधाओं का विचार चिनी यंत्रणाओं ने नहीं किया। इस वजह से भूखमरी और दवाइयों के बिना चिनी नागरिक मारे जा रहे हैं, ऐसें दावे लगातार हुए। साथ ही, चीन की हुकूमत ने क्या सचमुच कोरोना की महामारी को रोकने के लिए ही ये निर्णय किए हैं, ऐसें सवाल किए जा रहे हैं।

फिलहाल चीन में भीषण सूखा पड़ा है और इस देश को पानी की भीषण किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। इसका खेती पर असर हुआ है और चीन के कृषि उत्पादन में गिरावट हुई है। साथ ही, जलबिजली प्रकल्प भी बंद हुए हैं और बिजली की किल्लत के कारण कारखाने और उत्पादन भी बंद पड़े हैं। इससे बेरोज़गारी बढ़ी है और ऐसी स्थिति में अगर नागरिक घरों से बाहर निकलें, तो उनके असंतोष की चिंगारी भड़केगी और इससे चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को नुकसान पहुँचेगा, ऐसा ड़र राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को सताने लगा है।

इसी कारण से उन्होंने, कोरोना की महामारी की वजह बताकर ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ लागू की है। इसके पीछे जनता का असंतोष दबाने की मंशा है, यह बात अबतक चिनी जनता की भी समझ में आने लगी हैं। भूखमरी से मौतें होने के कारण, इस नीति के विरोध में जान की परवाह किए बिना आवाज़ उठाने की तैयारी चिनी नागरिकों ने जुटाई हैं। इस पृष्ठभूमि पर, कम्युनिस्ट पार्टी ने इस नीति का किया समर्थन ध्यान आकर्षित करता है। आनेवाले समय में इसपर चिनी जनता की अधिक तीखीं प्रतिक्रियाएँ सामने आ सकती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.