अरब देश और ईरान की बैठक आयोजित करके चीन खाड़ी का नेतृत्व करने की तैयारी में

वॉशिंग्टन/बीजिंग – वैश्विक प्रशासकीय व्यवस्था में सुधार और सुरक्षा के मोर्चे पर चीन को अधिक सक्रिय भूमिका अपनानी पडेगी, ऐसा बयान राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने किया है। सौदी अरब और ईरान के बीच मध्यस्थता करके चीन ने इन देशों की चर्चा का आयोजन किया था। इसकी वजह से दुनियाभर में चीन का प्रभाव बढ़ने की चर्चा शुरू हुई है और इसी बीच राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने यह बयान किया है। इससे चीन की महत्वाकांक्षा स्पष्ट हो रही है। चीन जल्द ही ईरान और अरब देशों की बैठक का आयोजन करने की तैयारी में जुटा है। इसके ज़रिये चीन खाड़ी देशों का नेतृत्व अपने हाथों में ले रहा है और अमरीका के बायडेन प्रशासन की भूल की वजह से चीन को यह अवसर प्राप्त हुआ, ऐसा आरोप अमरीका के शीर्ष अखबार ने लगाया है।

लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्राध्यक्ष पद की बागड़ोर संभालने वाले शी जिनपिंग ने सोमवार को ‘नैशनल पीपल्स कांग्रेस’ की बैठक से अपने देश को संबोधित किया। ‘चीन की संप्रभूता, सुरक्षा और हित की सुरक्षा के लिए पीपल्स लिबरेशन आर्मी को ‘ग्रेट वॉल ऑफ स्टील’ यानी फौलादी दिवार खड़ी करनी पडेगी’, ऐसा ऐलान राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने किया। इसके ज़रिये चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने ताइवान एवं पड़ोसी देशों को धमकाया है, ऐसा दावा किया जा रहा है। इसी बीच वैश्विक स्तर पर चीन व्यापक सक्रिय भूमिका अपनाए, ऐसा आवाहन भी जिनपिंग ने किया।

पिछले हफ्ते ईरान और सौदी अरब के बीच चीन की मध्यस्थता का उदाहरण चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने इस दौरान दिया। ‘वैश्विक प्रशासकीय व्यवस्था के सुधार और सुरक्षा के मोर्चे पर हमारा देश सक्रिय भूमिका अपनाए। इससे वैश्विक शांति और विकास को सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी’, ऐसा दावा जिनपिंग ने किया। अंतरराष्ट्रीय माध्यमों ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष के इस ऐलान का संज्ञान लेकर चीन खाड़ी का नेतृत्व करने की कोशिश में होने की बात कही है। ईरान-सौदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की इस बैठक के बाद चीन का आत्मविश्वास बढ़ा है, ऐसा इन माध्यमों का कहना है।

वहीं, ईरान-सौदी की चर्चा के आगे चीन काफी बड़ी महत्वाकांक्षा रखकर है, ऐसा अमरीका के शीर्ष अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने कहा है। पिछले साल दिसंबर में चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने सौदी अरब का दौरा करके ‘गल्फ को-ऑपरेशन काउन्सिल’ (जीसीसी) जैसी अरब देशों की संगठन के साथ बैठक की थी। इसके मद्देनज़र चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने सौदी के साथ अरब मित्र देशों से अरबों डॉलर्स के समझौते किए थे। साथ ही राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने ईरान और जीसीसी की बैठक की गतिविधियां शुरू की थीं, ऐसी जानकारी सुत्रों ने प्रदान करने की बात अमरिकी अखबार ने कही है।

ऐसे में पिछले महीने ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी ने चीन का दौरा करके राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग से मुलाकात की थी। इसके बाद ही ईरान-सौदी बैठक की प्रक्रिया गतिमान हुई। साथ ही ईरान और जीसीसी की बैठक की चर्चा शुरू हुई। सौदी के साथ यूएई, बहरीन, कुवैत, ओमान और कतार जैसे देशों की सदस्यता वाले ‘जीसीसी’ और ईरान की इस बैठक का आयोजन साल के अन्त तक किया जाएगा। राजधानी बीजिंग में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की मध्यस्थता से यह बैठक हो सकती है, ऐसा दावा अमरिकी अखबार ने किया है।

सौदी के अलावा जीसीसी और ईरान की बैठक का आयोजन करने में चीन कामयाब हुआ तो राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के लिए यह काफी बड़ी राजनीतिक जीत होगी, ऐसा अमरिकी अखबार का कहना है। पिछले तीन सालों से कोरोना और क्षेत्रीय मुद्दों पर जिनपिंग को बड़ी असफलता प्राप्त हुई है। उनकी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ देश में भी छबि मलीन हुई थी। इसकी वजह से ईरान-जीसीसी की बैठक जिनपिंग को राजनीतिक एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता दिला सकती है और इसके लिए अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन की खाड़ी में असफल नीति ज़िम्मेदार है, इसकी याद इस अखबार ने दिलायी है।

बायडेन के कार्यकाल में अमरीका और सौदी अरब-यूएई के ताल्लुकात बिगड़े हैं। अमरीका ने इन दोनों अरब मित्रदेशों की हवाई सुरक्षा हटाई है। इसकी वजह से खाड़ी में खालीपन निर्माण हुआ है और चीन इसी का लाभ उठा रहा है, यह अहसास अमरिकी अखबार ने कराया है।

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