‘एमआय ६’ गुप्तचर यंत्रणा द्वारा ब्रिटीश युनिव्हर्सिटीज्‌ की जाँच – चीन को गोपनीय तकनीक प्रदान करने का है आरोप

लंदन/बीजिंग – ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआय६’ ने चीन की हुकूमत से सबंध रखनेवाली ब्रिटेन की प्रमुख युनिव्हर्सिटीज्‌ की जाँच शुरू की है। ब्रिटेन की शीर्ष युनिव्हर्सिटीज्‌ से एवं वहां के विशेषज्ञों से चीन को प्रगत ब्रिटीश तकनीक की सप्लाई की जा रही है, इस आशंका से यह जाँच शुरू होने की बात कही जा रही है। कुछ दिन पहले इसी तरह के एक मामले में ब्रिटेन की अग्रीम ‘मैंचेस्टर युनिव्हर्सिटी’ का नाम भी सामने आया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने बीते वर्ष से चीन की गतिविधियों के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई है और गुप्तचर यंत्रणा से हो रही जाँच भी इसी का हिस्सा होने की बात दिख रही है।

ब्रिटेन के नामांकित अभ्यासगुट ‘हेन्ही जैक्सन सोसायटी’ ने बीते वर्ष ब्रिटीश युनिव्हर्सिटीज्‌ को लेकर एक रपट जारी की थी। इसमें ब्रिटीश युनिव्हर्सिटीज्‌ के विशेषज्ञ एवं प्राध्यापक, कानून का उल्लंघन करके तकनीक निर्यात करने में जुटे होने का आरोप रखा गया था। वहीं, ‘सिव्हिटास’ नामक अभ्यासगुट ने, ब्रिटेन की १४ ‘युनिव्हर्सिटीज्‌’ के, चीन की सेना से संबंधित उपक्रमों से संबंध होने का दावा किया है। चीन की सेना विकसित कर रहें हायपरसोनिक मिसाइलों के साथ राड़ार जैमिंग सिस्टिम्स, रोबोटिक्स, स्टेल्थ व्हेईकल्स में ब्रिटीश युनिव्हर्सिटीज्‌ में हुए अनुसंधान और तकनीक का इस्तेमाल होने की बात ‘सिव्हिटास’ ने कही है।

ब्रिटेन की अग्रीम ‘मैंचेस्टर युनिव्हर्सिटी’ का मामला भी हाल ही में सामने आया हैं। इस युनिव्हर्सिटी ने चीन की सेना से संबंध रखनेवाले ‘चायना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नॉलॉजी कॉर्पोरेशन’ के साथ समझौता किया था। यह कंपनी उइगरवंशियों पर नज़र रखने के लिए चीनी सेना को तकनीक प्रदान कर रही है, यह बात स्पष्ट हुई है। इस मामले में ब्रिटेन की संसदीय समिती ने ‘मैंचेस्टर युनिव्हर्सिटी’ को नोटीस थमाने के बाद, इस युनिव्हर्सिटी ने चीन के साथ किया समझौता रद किया। इस पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणा ने शुरू की हुई जाँच अहमियत रखती है।

ब्रिटेन की संसद में, ‘कॉमन्स फॉरेन अफेअर्स सिलेक्ट कमिटी’ के प्रमुख टॉम टुगेंडहैट ने भी ब्रिटीश युनिव्हर्सिटीज्‌ की भूमिका की कड़ी आलोचना की है। ‘ब्रिटेन की युनिव्हर्सिटीज्‌ में कार्यरत कुछ लोगों ने अपनी नैतिकता छोड़ दी है। शिक्षा क्षेत्र की स्वतंत्रता का पुरस्कार करने के बजाय ये लोग देश के सामरिक हितसंबंधों को नुकसान पहुँचाने का काम कर रहे हैं। युनिव्हर्सिटीज्‌ को अतिरिक्त स्वतंत्रता बहाल करके ब्रिटेन ने बड़ी गलती की हैं। ब्रिटेन के विरोधी देश को, २१ वीं सदी की ताकतवर लष्करी सत्ता बनाने के लिए ब्रिटेन की ही युनिव्हर्सिटीज्‌ गोपनीय तकनीक हस्तांतरित कर रही हैं’, इन शब्दों में टॉम टुगेंडहैट ने ब्रिटीश युनिव्हर्सिटीज्‌ को कटघरे में खड़ा किया है।

इससे पहले अमरीका एवं ऑस्ट्रेलियन युनिव्हर्सिटीज्‌ के माध्यम से भी, चीन की हुकूमत ने प्रगत तकनीक और अन्य संवेदनशील एवं गोपनीय जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करने की बात स्पष्ट हुई थी।

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