संसद और सर्वोच्च अदालत पर हुए हमलों के बाद राष्ट्राध्यक्ष ने किया राजधानी ब्रासिलिया में आपातकाल का ऐलान

ब्रासिलिया – ब्राज़ील के राष्ट्राध्यक्ष लुला डा सिल्वा ने राजधानी ब्रासिलिया में आपातकाल का ऐलान किया है। रविवार को ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष जैर बोल्सोनारो के हज़ारों समर्थकों ने राजधानी ब्रासिलिया में संसद, सर्वोच्च अदालत एवं राष्ट्राध्यक्ष के निवास पर हमले करके प्रचंड़ तबाही की। इन हिंसक घटनाओं के बाद देश में तनाव का माहौल है और अनुचित घटनाएं घटने से रोकने के लिए आपातकाल का ऐलान किया जा रहा है, यह राष्ट्राध्यक्ष सिल्वा ने स्पष्ट किया। ब्राज़ील में इस हिंसा की तुलना दो वर्ष पहले अमरिकी कांग्रेस पर हुए हमले से की जा रही है। पूरे विश्व के प्रमुख नेताओं ने इस हिंसा की निंदा की है और यह ब्राज़ील के लोकतंत्र पर हमला है, ऐसी आलोचना की है।

ब्राज़ील में अक्तुबर में हुए राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनावों में वामपंथी विचारधारा वाले नेता लुला डा सिल्वा ने पूर्व राष्ट्राध्यक्ष जैर बोल्सोनारो को पराजित किया था। दोनों उम्मीदवारों के वोटों में महज़ एक प्रतिशत का फरक था। दक्षिणपंथी विचारधारा वाले नेता बोस्लोनारो के साथ उनके समर्थनकों ने यह चुनावी नतीजा स्वीकारने से स्पष्ट इन्कार किया था। बोल्सोनारो ने राष्ट्राध्यक्ष पद छोड़ दिया है, फिर भी अधिकृत स्तर पर सिल्वा को उन्होंने बागड़ोर नहीं सौंपी थी। उनके समर्थकों ने राजधानी ब्रासिलिया के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन शुरू किए थे। ब्राज़ील की सेना दखलअंदाज़ी करके सिल्वा की हुकूमत का तख्ता पलटे, ऐसी मांग भी बोस्लोनारो समर्थक कर रहे थे।

पिछले हफ्ते सिल्वा के शपथ ग्रहण समारोह के बाद यह मांग अधिक तीव्र हुई थी। शपथ ग्रहण करने के बाद राष्ट्राध्यक्ष सिस्वा साओ पावलो के दौरे पर गए। इस अवसर पर बोल्सोनारो के हज़ारों समर्थक देश के विभिन्न हिस्सों से रविवार को राजधानी ब्रासिलिया पहुँचे। राजधानी में सैन्य मुख्यालय से इन समर्थकों ने भव्य रैली निकाली। संसद और सर्वोच्च अदालत के करीबी चौक में पहुँचने पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने आक्रामक नारेबाजी शुरू की। सैंकड़ों समर्थकों ने सुरक्षा बलों को लांघकर, तोड़कर संसद, सर्वोच्च अदालत और राष्ट्राध्यक्ष निवास के क्षेत्र में प्रवेश किया।

सुरक्षा यंत्रणाओं की परवाह किए बिना प्रदर्शनकारियों ने हिंसा और भारी मात्रा में तबाही मचाना शुरू किया। राष्ट्राध्यक्ष निवास के कांच तोड़े गए। संसद की कुर्सियां एवं कलाकृति काफी बड़ी मात्रा में नष्ट की गई। सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीशों के दफ्तर में घुसकर फर्निचर और अन्य सामान तहस नहस करने की कोशिश की गई। संसद की छत पर जाकर प्रदर्शनकारियों ने सेना हस्तक्षेप करे, ऐसे बोर्ड लगाए। इसी बीच वारदात के स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षाबल पहुँचे। सुरक्षा कर्मियों ने लाठियां चलाकर आंसू गैस का भी प्रयोग करके प्रदर्शनकारियों को खदेडा। इस दौरान ४०० से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया।

रविवार रात तक यह कार्रवाई जारी रही। इसके बाद साओ लावलो का दौरा आधे में छोड़कर वापस लौटे राष्ट्राध्यक्ष सिल्वा ने संबंधित क्षेत्र का दौरा करके जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने इस सारी घटना के लिए पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बोल्सोनारो ने उकसाया और वे ही ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाकर कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहे, ऐसी चेतावनी दी। ब्राज़ील की सर्वोच्च अदालत ने इस घटना का गंभीर संज्ञान लिया है और ब्रासिलिया के गवर्नर इबेनिस रोका को निलंबित किया गया है। इतनी बड़ी मात्रा में स्थानीय लोगों के सहयोग के बिना हिंसा हो ही नहीं सकती, ऐसा आरोप लगाया गया है।

पूरे इलाके में सेना एवं अतिऱ्कित सुरक्षा यंत्रणा को तैनात किया गया है और इस क्षेत्र को सील किया गया है। ब्राज़ील की इस घटना पर पूरे विश्व से तीव्र प्रतिक्रियाएं आयी हैं और अमरीका, यूरोपिय, रशिया, भारत और चीन ने नाराज़गी जताई है। रविवार को ब्राज़ील में हुई हिंसा लोकतंत्र पर हमला है, ऐसी आलोचना अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने की है।

विश्व के प्रमुख माध्यमों ने इस घटना की तुलना ६ ज़नवरी, २०२१ को अमरिकी कांग्रेस के क्षेत्र में हुए हमले से की है। ब्राज़ील के प्रदर्शनकारियों ने इसी घटना से प्रेरणा ली होगी, यह आरोप भी लगाया जा रहा है।

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