सूडान के ब्लू नाइल क्षेत्र में जातीय संघर्ष में 65 की मौत

खार्तुम – सूडान-इथियोपिया सीमा पर मौजूद ’ब्लू नाईल’ प्रांत में जातीय संघर्ष में 65 लोग मारे गए हैं। इस प्रांत के हौसा एवं बिरता नामक दो गुटों में पिछले सप्ताह में संघर्ष छिडा था। संघर्ष के बाद प्रांत के रोसायर्स एवं अल-दमाज़िन नामक दो शहरों में सेना तथा ’रैपिड सपोर्ट फोर्सेस’ तैनात किए गए हैं। जमीन-जायदाद के विवाद पर संघर्ष छिडने की जानकारी स्थानिक सूत्रों ने दी। पिछले कई महीनों से सूडान के विभिन्न भागों में निरंतररूप से जातीय संघर्ष छिड रहे हैं और लश्करी हुकूमत इन पर नियंत्रण पाने में असफल साबित हो रही है।

’ब्लू नाईल’ प्रांत के जमीन-जायदाद के विवाद सुलझाने के लिए हौसा गुटों द्वारा नागरी प्रणाली स्थापन करने का प्रस्ताव रखा गया था। पर यह प्रस्ताव बिरता गुट द्वारा खारिज किया गया। इस नाराजगी में से दो गुटों में संघर्ष छिडा। बिरता गुट ने इस आरोप से इन्कार किया है। हमारी जमीन पर हौसा गुट ने कब्ज़ा करने की कोशिश करने पर प्रत्युत्तर दिया गया, ऐसा बिरता गुट के सदस्यों ने कहा। पिछले सप्ताह से छिडे हुए इस संघर्ष में 65 लोग मारे गए हैं और 150 लोग घायल हुए हैं। इस संघर्ष के बाद कई नागरिकों ने प्रांत के बार स्थलांतरण करना शुरु किया है, यह जानकारी स्थानिक सूत्रों ने दी।

सूडान में लगभग तीन दशक तक सत्ता पर रहे हुकूमशहा ओमर बशीर का विरोध करनेवालों में ’ब्लू नाईल’ प्रांत का समावेश था। इसलिए इस प्रांत को निरंतररूप से अस्थिरता, अत्याचार एवं हिंसाचार से मुकाबला करना पड रहा था। बशीर का तख्ता पलटकर सेना ने सत्ता हथियाने के बाद इस प्रांत की जातीय टोलियों से शांति समझौत किया गया था। पर इसका पालन नहीं किया जाता और निरंतररूप से जातीय संघर्ष की घटनाएं घटती रहती हैं। 

पानी, खेती एवं भूमि के मुद्दों पर सूडान के विभिन्न प्रांत तथा जातीय गुटों में बार-बार संघर्ष होता रहता है। दर्फूर इसका स्पष्ट उदाहरण माना जाता है। बशीर के दौर में उन्होंने अरब गुटों को समर्थ देकर अफ्रीकी वंशियों का संहार शुरु किया था। सूडान में जातीय संघर्ष रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंगठनों द्वारा शांति पथक भी तैनात किए गए थे। पर इससे कोई खास फरक नहीं पड़ा और तैनाती की मुदत खत्म होने के बाद फिर से संघर्ष तीव्र होने लगे हैं।

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