बायडेन ने सौदी के क्राउन प्रिन्स का किया अपमान – अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष

वॉशिंग्टन – सौदी अरब और ईरान को अपने साथ करके चीन ने खाड़ी क्षेत्र की राजनीति में अपना प्रभाव काफी बढ़ाया है। चीन की यह सफलता अमरीका की नाकामयाबी दर्शाती है। इसके लिए बायडेन प्रशासन की बेताल नीति ज़िम्मेदार है, ऐसी आलोचना अमरीका में हो रही है। अमरीका के जनप्रतिनिधि और कूटनीतिज्ञ इस पर गंभीर चिंता जताते हुए चेतावनी दे रहे हैं कि, राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की वजह से खाड़ी क्षेत्र में अमरीका के हित खतरे में हैं। इस पृष्ठभूमि पर पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने सौदी अरब के साथ अमरीका के संबंधों में निर्माण हुए तनाव के लिए बायडेन ही ज़िम्मेदार हैं, ऐसी कड़ी आलोचना की है।

‘सौदी अरब के नेता काफी अच्छे हैं। वे अमरीका की सहायता करने के लिए उत्सुक भी थे। लेकिन, बायडेन सौदी के दौरे पर गए थे और उन्होंने क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान को मुक्का मारकर शुभकामनाएं दी थीं। इसका क्या मतलब होता है? हमसे हाथ न मिलाएं क्योंकि, आप के हाथ गंदे हैं। बायडेन की यह हरकत सौदी के क्राउन प्रिन्स का अपमान था’, ऐसी तीखी आलोचना अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने की।

पिछले वर्ष जुलाई में राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने सौदी का दौरा किया था। क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान बायडेन के स्वागत के लिए खड़े थे। तब गाड़ी से उतरे बायडेन ने राजशिष्टाचार और औपचारिकता के तौर पर क्राउन प्रिन्स मोहम्मद से हाथ मिलाना चाहिए था। लेकिन, बायडेन ने सौदी के क्राउन प्रिन्स को ‘फिस्ट बम्प’ अर्थात मुक्का मारा। इस पर अमरीका और सौदी के साथ पूरी दुनिया से प्रतिक्रियाएं दर्ज़ की गईं थीं।

यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोपिय देशों पर ईंधन की किल्लत है और ऐसे में राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने सौदी और अरब मित्रदेशों से ईंधन सहयोग प्राप्त करना आवश्यक था। लेकिन, सौदी के क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान को लेकर बायडेन की भूमिका पहले से दूषित थी और इसका अमरीका के हित पर प्रभाव पडा। वर्ष २०२० में राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनावी प्रचार में बायडेन ने पत्रकार जमा खशोगी की हत्या के मामले में क्राउन प्रिन्स मोहम्मद पर आरोप लगाए थे। तथा, राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद सौदी के क्राउन प्रिन्स के विरोधी भूमिका अपनाने का ऐलान किया था।

इसकी वजह से पिछले साल अपनी सौदी यात्रा में बायडेन ने प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान के साथ हाथ मिलाने से इन्कार किया, यह भी स्पष्ट हुआ था। लेकिन, बायडेन की इस भूमिका की वजह से सौदी के साथ खाड़ी के अरब मित्रदेशों ने ईंधन संकट को लेकर अमरीका के खिलाफ भूमिका अपनाई। साथ ही सौदी और यूएई ने बायडेन के फोन कॉल्स उठाने से मना करने की खबरें भी सामने आयी थीं। इससे खाड़ी के मित्रदेशों के साथ पेट्रो डॉलर व्यवस्था का नुकसान होगा, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने दी थी।

पिछले कुछ महीनों से चीन ने सौदी एवं अन्य अरब देशों से सहयोग बढ़ाया है। साथ ही ईंधन के कारोबार डॉलर से अधिक चीन के युआन मुद्रा से करने के संकेत अरब देशों ने दिए हैं। इसकी वजह से बायडेन की बेताल नीति के कारण खाड़ी में अमरीका का प्रभाव घटा है और चीन इस क्षेत्र में सफल हो रहा है। बायडेन की इसी गैरज़िम्मेदाराना नीति की पूर्व राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प कड़ी आलोचना कर रहे है।

चीन के मामले में ६५ प्रतिशत अमरिकी जनता का बायडेन पर भरोसा नहीं रहा – प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण की नई रपट

वॉशिंग्टन – राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन चीन को संभालने में सफल नहीं हो सकते, यह विचार अमरीका के तकरीबन ६५ प्रतिशत लोगों का है। इनमें से ३७ प्रतिशत नागरिकों ने बायडेन के नेतृत्व पर बिल्कुल भरोसा ना होने का बयान किया है। वहीं, आर्थिक मोर्चे पर चीन को संभालने के लिए आवश्यक अच्छे निर्णय भी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन नहीं ले पाते, ऐसा विश्वास ६१ प्रतिशत जनता का है।

‘प्यू रिसर्च सेंटर’ नामक नामांकित संगठन द्वारा जारी की गई सर्वेक्षण की नई रपट में बायडेन पर अमरिकी जनता का अविश्वास नई उंचाई पर होने का बयान किया है। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने अमरीका की बागड़ोर संभालने को दो वर्ष बीते हैं। इस दौरान बायडेन की प्रियता अधिकाधिक कम होती जा रही है, इस पर अमरिकी माध्यम विश्लेषक, अध्ययन मंडल और सर्वेक्षण संगठन ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। बायडेन की गलत नीति के कारण ही चीन का हौसला बढ़ा है, ऐसी आलोचना भी अमरिकी जनता खुलेआम करने लगी है।

चीन के हमले के बाद अमरीका ताइवान की सहायता के लिए आगे नहीं आएगी – ताइवान की जनता का ड़र

ताइपे – पिछले साल से शुरू यूक्रेन युद्ध में रशिया का प्रत्युत्तर प्राप्त होगा, इसे भांपकर अमरीका अपनी सेना तैनात नहीं कर रही है। अमरीका का बायडेन प्रशासन यूरोप की सहायता प्रदान नहीं कर रहा है, ऐसे में चीन ने हम पर हमला किया तो अमरीका कैसे ताइवान की सहायता करेगी? यह ड़र ताइवान की जनता व्यक्त कर रही है। अमरीका के शीर्ष समाचार चैनल ने इससे संबधित खबर जारी की है।

अमरीका ने ‘वन चायना पॉलिसी’ को स्वीकृति प्रदान की है। इसकी वजह से ताइवान स्वायत्त देश होने का मुद्दा अमरीका ने मंजूर नहीं किया है, इस बात पर ताइवान की जनता ध्यान आकर्षित कर रही है। अमरीका के विदेश मंत्रालय ने ताइवान की सुरक्षा के संबंधित ऐलान किया है, लेकिन वास्तव अलग हो सकता है। समय के अनुसार अपने हितों पर गौर करके अमरीका अपनी भूमिका बदल सकती है, ऐसी चिंता ताइवान की जनता व्यक्त कर रही है।

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