‘इस्रो’ की एक और सफल उड़ान; दो कक्षाओं में उपग्रह स्थापित

श्रीहरिकोटा, दि. २६ (पीटीआय) – अंतरिक्ष मुहिमों में नये नये मुकाम स्थापित करनेवाले ‘भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संस्थान’ (इस्रो) ने सोमवार को आठ उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण करते हुए एक और नया इतिहास रचा है| पृथ्वी की दो विभिन्न कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित करने की चुनौती ‘इस्रो’ ने बड़ी सहजता से पार की| ‘युरोपियन स्पेस एजन्सी’ के बाद ऐसी उपलब्धि प्राप्त करनेवाला ‘इस्रो’ विश्‍व का दूसरा अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान बन चुका है| ‘पीएसएलव्ही सी-३५’ द्वारा प्रक्षेपित किये गए उपग्रहों में, ‘स्कॅटसॅट-१’ और मुंबई के ‘आयआयटी’ के छात्राओं ने तैयार किया ‘प्रथम’ उपग्रह भी शामिल हैं|

‘इस्रो’सोमवार सुबह ९ बजकर १२ मिनट पर श्रीहरिकोट्टा से ‘पीएसएलव्ही सी-३५’ का प्रक्षेपण किया गया| इनमें भारत के तीन उपग्रह शामिल हैं| ‘स्कॅटसॅट-१’ और ‘प्रथम’ के साथ बंगलुरू के ‘बीईएस’ विद्यापीठ ने तैयार किया ‘पिसाट’ उपग्रह भी है| ‘स्कॅटसॅट-१’ उपग्रह के जरिये मौसम की अध्ययन करना आसान होगा| साथ ही, सागर की सतह में होनेवालीं गतिविधियाँ, चक्रवातों का निर्माण और बाद के परिणामों का अध्ययन करने में इस ‘स्कॅटसॅट’ की बड़ी सहायता होगी| साथ ही, सागर के तल में होनेवालीं उथलपुथलों पर ध्यान रखने के लिए ‘स्कॅटसॅट’ उपग्रह की काफ़ी मदद होगी| वहीं, ‘आयआयटी-मुंबई’ के छात्रों ने तैयार किए ‘प्रथम’ उपग्रह के माध्यम से अंतरिक्ष के ‘इलेक्ट्रॉन्स’ की गिनती की जायेगी| इसी के साथ, ‘पिसाट’ उपग्रह के माध्यम से, अंतरिक्ष में होनेवाली घटनाओं की तस्वीरें खींचना आसान होगा| इसके अलावा, अल्जेरिया के तीन, अमेरिका और कॅनडा के एक-एक उपग्रह का प्रक्षेपण इस वक्त किया गया|

सोमवार को इस उपग्रह प्रक्षेपण के साथ ‘इस्रो’ ने प्रक्षेपित किये विदेशी उपग्रहों की संख्या ७९ पर पहुँच चुकी है| इन चार उपग्रहों के प्रक्षेपण की वजह से ‘इस्रो’ को लगभग १२ करोड़ डॉलर्स का लाभ हुआ है| साथ ही, ‘इस्रो’ की इन उपलब्धियों की वजह से, भारत की ओर ‘कम वज़नवाले उपग्रहों का कम खर्च में प्रक्षेपण करनेवाले देश’ के रूप में देखा जा रहा है| इस साल के जून महिने में ‘इस्रो’ ने २० उपग्रहों का एकसाथ सफल प्रक्षेपण करते हुए इतिहास रचा था| इन उपग्रहों में १७ विदेशी उपग्रह शामिल थें|

सोमवार को किए प्रक्षेपण में ‘पीएसएलव्ही सी-३५’ ने पहले एक घंटे में ‘स्कॅटसॅट-१’ इस उपग्रह को नियोजित कक्षा में छोडा| फिर एक घंटे बाद, अन्य छ: उपग्रह दूसरी कक्षा में छोड़े गये| ये सारे उपग्रह नियोजित कक्षा में सुस्थित हुए हैं और यह ‘इस्रो’  की क़ामयाबी में एक अहम कदम है| एक ही प्रक्षेपण में अलगअलग कक्षा में उपग्रह भेजने का विक्रम इस्रो के नाम पर दर्ज़ हुआ है, जिससे कि उपग्रह प्रक्षेपण के व्यवसाय में इस्रो का स्थान और भी अधिक मजबूत हुआ है|

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