‘डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन’ विधेयक का ऐलान

नई दिल्ली – भारत में कार्यरत बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ ‘डाटा लोकलाइजेशन’ का विवाद खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने अहम कदम बढ़ाया है। ‘डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल २०२२’ केंद्र सरकार ने पेश किया है। इसके अनुसार भारतीयों का डाटा सुरक्षित रहेगा, ऐसें भरोसेमंद देशों में ट्रान्सफर एवं स्टोअर करना इन कंपनियों के लिए मुमकिन होगा। लेकिन, यह डाटा भारतीय नागरिकों की निजी जानकारी सुरक्षित रखने में नाकाम होने पर इन कंपनियां एवं संबंधित व्यक्ति को करीबन ५०० करोड़ रुपयों तक जुर्माना वसूल ने का प्रावधान इस विधेयक मे किया गया है। गुगल, एमेजॉन, फेसबुक को इससे राहत मिलने के दावे किए जा रहे हैं और आईटी क्षेत्र के कुछ लोगों ने इस विधेयक का स्वागत किया है।

भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करनवालों की संख्या ७५ करोड़ है और सबसे अधिक मोबाईल इस्तेमाल करनेवालों की सुचि में भारत दूसरें क्रमांक पर है। भारत के इस बाज़ार की क्षमता ध्यान में रखकर इस क्षेत्र की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपना ध्यान भारत पर केंद्रीत किया है। लेकिन, भारतीय नागरिकों का डाटा एवं उनकी निजी जानकारी सुरक्षित रखने के लिए यह कंपनियां ‘डाटा लोकलाइजेशन’ यानी भारतीयों का डाटा एवं जानकारी भारत में ही रखे, यह मांग की जा रही थी। लेकिन, ऐसा करना मुमकिन ना होने का दावा बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने किया था। इस पृष्ठभूमि पर केंद्र सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन विधेयक प्रस्तावित किया था। लेकिन, इसके हो रहे विरोध के मद्देनज़र अगस्त महीने में केंद्र सरकार ने यह विधेयक पीछे लिया था।

शुक्रवार को प्रस्तावित किया गया ‘डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल २०२२’ के साथ ही सरकार ने अपनी भूमिका कुछ हद तक नरम की है। साथ ही डाटा और निजी जानकारी की सुरक्षा का विचार करके सरकार ने इस विधेयक में आवश्यक प्रावधान किए हैं, यह कहकर आईटी क्षेत्र के विशेषज्ञ इसका स्वागत कर रहे हैं। डाटा की सुरक्षा करने के साथ ही नई तकनीक एवं अनुसंधान को इससे नुकसान नहीं पहुंचेगा, इसका ध्यान इस नए विधेयक में रखा गया है, ऐसा यह विशेषज्ञ कह रहे हैं। ‘डाटा मिररिंग’, ‘डाटा लोकलाइजेशन’ जैसे विवादित मुद्दे बाजू में रखकर नए विधेयक में डाटा सुरक्षा को लेकर अधिक स्पष्टता अपनाई गई है, ऐसा इन विशेषज्ञों का कहना हैं।

भारतीय नागरिकों का डाटा और निजी जानक्री जिन विश्वासार्ह देशों में ट्रान्सफर या स्टोअर करना मुमकिन होगा, ऐसें देशों की सुचि सरकार देगी। साथ ही दुर्घटना से या गलती से यह जानकारी बाहर जाती है तो, इसके लिए ज़िम्मेंदार कंपनियां एवं लोगों से करीबन ५०० करोड़ रुपये तक जुर्माना वसूल ने के सख्त प्रावधान इस विधेयक मे हैं। यह विधेयक जनता के विचार एवं मत प्राप्त करने के लिए १७ दिसंबर तक खुला रखा गया हैं और इसके बाद यह विधेयक संसद में रखा जाएगा, यह कहा जा रहा है। सबसे अहम बात यह है कि, ‘डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड’। डाटा सुरक्षित रखने की आवश्यक प्रक्रिया हो रही है या नहीं, इसपर नज़र रखने के लिए इस बोर्ड का गठन  होगा। इस बोर्ड के सामने जनता शिकायतें दर्ज़ कर सकेगी। साथ ही इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को ‘डाटा ऑडिटर’ नियुक्त करके इसके नियमों का पालन ठिक हो रहा है या नही, यह देखना होगा। साथ ही यह विधेयक ग्राहकों को उनके पर्सनल डाटा में सुधार करने के साथ इसमें बदलाव करने का अधिकार भी इस विधेयक से दिया गया हैं।

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