तालिबान और ‘आयएस’ के बढ़ते प्रभाव की पृष्ठभूमि पर नाटो द्वारा अफगाणिस्तान में अतिरिक्त तैनाती के संकेत

लंडन, दि. १२: अमरिकी यंत्रणा द्वारा पिछले हफ्ते प्रकाशित हुए एक रिपोर्ट में, अफगानिस्तान पर अब भी भीषण लडाई की पकड़ कायम होने का दावा किया गया था| यह पकड़ आनेवाले समय में भी कायम रह सकती है, ऐसे संकेत मिल रहे हैं| अमरीका के बाद अब नाटो ने भी अफगानिस्तान में अपनी सैनिकी तैनाती बढाने के संकेत दिये हैं| नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने, लंडन में ब्रिटीश प्रधानमंत्री की भेंट करने के बाद किये वक्तव्य में ऐसे संकेत दिये हैं| स्टॉल्टनबर्ग ने किसी भी तरह की संख्या या समयसीमा पर भाष्य करना टाल दिया है, हालाँकि ब्रिटन की प्रधानमंत्री के साथ हुई बातचीत में, ब्रिटन के पास अफगानिस्तान में सेना भेजने की माँग करने की बात सामने आयी है|

‘अफगानिस्तान में तैनाती के प्रस्ताव का अभ्यास शुरू है| आनेवाले हफ्तों में अभियान की व्याप्ति और अन्य मसलों के बारे में अंतिम फैसला किया जायेगा| लेकिन यह अभियान यानी फिर से अफगानिस्तान की जंग में शामिल होने का प्रयास नहीं|’ ऐसे शब्दों में नाटो प्रमुख द्वारा अतिरिक्त तैनाती के बारे में संकेत दिये गये है| इस समय अफगानिस्तान में नाटो के १३ हज़ार से ज़्यादा सैनिक तैनात हैं और उसमें अमरीका के छह हजार ९०० सैनिक शामिल हैं|

कुछ दिन पहले ही अमरीका ने, ‘अल कायदा’ और ‘आयएस’ जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ विशेष अभियान के लिए डेढ़ हज़ार सैनिक तैनात करने की घोषणा की थी| पिछले हफ्ते अमरीका के ३०० मरिन्स की टुकडी हेल्मंड प्रांत में दाखिल भी हुई थी| उसके बाद अमरिकी रक्षा विभाग ने अफगानिस्तान की तैनाती के लिए नई योजना तैयार की है और यह योजना राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के सामने रखी जायेगी| इस योजना के अनुसार, अफगानिस्तान में करीब पाँच से सात हज़ार सैनिक तैनात किये जायेंगे, ऐसे संकेत अमरिकी सूत्रों ने दिये हैं|

अफगानिस्तान सरकार हालाँकि तालिबान के साथ शांतिचर्चा के प्रयास कर रही है, मग़र तब भी तालिबान देश में अपना प्रभाव बढाने में सफल हो रहा है, यह बात स्पष्ट हो चुकी है| अफगानिस्तान के करीब ४० प्रतिशत हिस्से पर तालिबान का नियंत्रण तथा वर्चस्व होने की बात ‘स्पेशल इन्स्पेक्टर जनरल फॉर अफगाणिस्तान रिकन्स्ट्रक्शन’ (सिगार) के रिपोर्ट में कही गयी है| उरुझ्गन, झाबुल, हेल्मंड और कंदाहार प्रांतों के बडे हिस्से में तालिबान का वर्चस्व है, ऐसा इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है|

इस पृष्ठभूमि पर, नाटो की नयी तैनाती ध्यान खींचनेवाले साबित हो रही है| नाटो के प्रमुख सदस्य देशों में से ब्रिटन और ऑस्ट्रेलिया ने अफगान अभियान में शामिल होने के सकारात्मक संकेत दिये हैं| ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबूल ने पिछले हफ्ते अफगानिस्तान की भेंट की थी| उसके बाद, नयी अफगान तैनाती के लिए ऑस्ट्रेलिया के सामने विकल्प खुला है, ऐसे ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री ने कहा है| ब्रिटन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भी अफगानिस्तान तैनाती के लिए तैयारी दर्शाने का दावा नाटो सूत्रों ने किया है|

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