‘आर्टेमिस’ अभियान के तहत नासा ने किया चांद्रयान का सफल प्रक्षेपण – पचास साल बाद पहली बार अमरिकी यान चांद पर उतरेगा

फ्लोरिडा – अमरीका की अंतरिक्ष संस्था नासा ने महत्वाकांक्षी ‘आर्टेमिस’ अभियान के तहत ‘ओरियन’ अंतरिक्ष यान का सफल प्रक्षेपण किया। बुधवार दोपहर फ्लोरिडा प्रांत के केनेडी स्पेस सेंटर से ‘स्पेशल लौन्च सिस्टम’ नामक रॉकेट की सहायता से यह प्रक्षेपण होने का ऐलान नासा ने किया। सन १९७२ के ‘अपोलो’ अभियान के बाद नासा पहली बार चांद पर अंतरिक्षयान भेज रही है और यह ध्यान आकर्षित करता है।

‘आर्टेमिस’पिछले दशक में नासा ने चांद पर फिर से अभियान करने का ऐलान किया था। इस अभियान के तहत चांद पर अंतरिक्ष यात्री रवाना करने के साथ ही वहां की खनिज संपत्ति का खनन एवं वहां स्थायी ठिकाना स्थापित करने जैसी महत्वाकांक्षी योजना का समावेश है। इसके लिए नासा ने नया रॉकेट विकसित करने पर जोर दिया था। बुधवार को छोड़े गए इस सिस्टम के रॉकेट की लागत भारी चार अरब डॉलर्स रही है।

बुधवार को शुरू हुआ यह अभियान कुल छह हफ्ते चलेगा और इनमें से चार हफ्ते ‘ओरियन’ चंद्रमा के चक्कर लगाएगा। इस यान में मानव के पुतले रखे गए हैं और चक्कर लगाते समय यान की विभिन्न यंत्रणाओं का परीक्षण किया जाएगा। ‘अपोलो’ अभियान के कुल ५० वर्ष बाद नासा चंद्रमा पर यान रवाना करने से यह अभियान अमरीका के लिए काफी अहम माना जा रहा है। ‘आर्टेमिस’ के पहले चरण के लिए यूरोपियन अंतरिक्ष संस्था से भी सहायता प्राप्त की थी।

ओरियन सफलतापूर्वक लौट आता है तो सन २०२४ में मानवी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ चंद्रमा के चक्कर लगाने की योजना है। इसके बाद सन २०२५ में दो अंतरिक्ष यात्री दोबारा चंद्रमा पर उतरेंगे, यह जानकारी नासा ने साझा की है। पिछले कुछ दशकों में चीन और रशिया समेत अंतरिक्ष क्षेत्र में चलाए जा रहे अभियानों का दायरा बढ़ा है और भारत, जापान, यूएई और यूरोपिय देशों की भी अंतरिक्ष में मौजूदगी बढ़ी है। चीन और रशिया की बढ़ती हरकतें अमरीका के लिए नई चुनौती हैं। इसी पृष्ठभूमि पर अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रभाव कायम रखने के लिए ‘आर्टेमिस’ की सफलता अमरीका के लिए सहायक होगी, ऐसा कहा जा रहा है।

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