सुरक्षा यंत्रणाओं की मारपीट से एक और छात्रा की मौत होने से ईरान में असंतोष अधिक बढ़ा – पश्‍चिमी माध्यमों का दावा

तेहरान – २२ वर्ष की माहसा अमिनी नामक युवती की मौत के बाद ईरान में हिज़ाब विरोधी प्रदर्शन छिडे थे। इन प्रदर्शनों का दायरा बडे पैमाने पर बढ़ रहा है और इसी बीच ईरानी यंत्रणा अब १६ वर्ष के अरसा पनाही नामक छात्रा की मौत का कारण बनने की खबरें प्रसिद्ध हुईं हैं। ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरू आयातुल्लाह खामेनी और ईरानी हुकूमत का गुणगान करनेवाला गीत गाने से इन्कार करने पर ईरानी यंत्रणाओं के सैनिकों ने अरसा पनाही से मारपीट की थी। इसी में उसकी मौत होने की जानकारी ईरान के शिक्षक संगठनों ने साझा की है। इसके बाद ईरान में प्रदर्शनों की तीव्रता अधिक बढ़ी है और इसमे छात्रों का बढ़ता समावेश अब ईरानी हुकूमत के लिए काफी बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

सुरक्षा यंत्रणाओं की मारपीट से एक और छात्रा की मौत होने से ईरान में असंतोष अधिक बढ़ा - पश्‍चिमी माध्यमों का दावा१३ अक्तुबर को अरसा पनाही ने ईरान की सुरक्षा यंत्रणा के सैनिकों ने कहने पर आयातुल्लाह खामेनी और ईरानी हुकूमत का गुणगान करनेवाला गीत गाने से इन्कार किया था। इसके बाद इन सैनिकों ने उससे मारपीट की। इसके बाद घायल अरसा को अस्पताल में दाखिल किया गया था लेकिन, उसकी मौत हो गई। पर, उसकी मौत के लिए हम ज़िम्मेदार नहीं हैं, ऐसा दावा ईरान की सुरक्षा यंत्रणाओं के अधिकारी ने किया। इसी बीच ईरान के माध्यम अरसा की मौत दिल के दौरे से हुई, ऐसा कह रहे हैं। लेकिन, ईरान के शिक्षकों के संगठन ने मारपीट से ही अरसा की मौत होने की बात कही है। इसकी वजह से छात्रों में ईरान की हुकूमत के खिलाफ गुस्सा अधिक तीव्र होता जा रहा है, ऐसा पश्‍चिमी माध्यमों का कहना है।

पश्‍चिमी माध्यमों में ईरान के छात्रों के बयान सामने आने लगे हैं और ईरानी हुकूमत खिलाफ उनका गुस्सा बढ़ता जा रहा है। विशेष कर युवा छात्रों ने अब इन प्रदर्शनों में शामिल होने का निर्धार व्यक्त किया है, ऐसे दावे पश्‍चिमी माध्यम कर रहे हैं। सुरक्षा के कारणों से इनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए। लेकिन, उनके तीव्र बयानों से संकेत मिल रहे हैं कि, ईरान की हुकूमत के खिलाफ प्रदर्शन जल्द शांत नहीं होंगे। शिक्षक, मज़दूर, व्यापारी और उद्योग क्षेत्र से भी ईरानी हुकूमत के खिलाफ फैले असंतोष को हिज़ाबविरोधी प्रदर्शनों ने सामने लाया है, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं।

इन प्रदर्शनों में छात्राएं और युवतियां शामिल हुई थीं, पर अब हिजाब पहनी हुई महिलाएं भी ईरानी हुकूमत के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। खास तौर पर युवा वर्ग का इन प्रदर्शनों में समावेश ईरान की यंत्रणा के सामने नई चुनौती खडी कर रहा है। आने वाले दिनों में इसका असर दिखाई दे सकता है, ऐसा दावा पश्‍चिमी वृत्तसंस्थाओं ने किया है। विश्‍वभर की महिलाएँ ईरान के इन प्रदर्शनों का विभिन्न तरीकों से समर्थन कर रही हैं। ईरान समर्थक देश माने जा रहे लेबनान में छात्रों ने ईरान के इन प्रदर्शनों को समर्थन घोषित किया है। इसका दबाव ईरान की हुकूमत पर पड़ता हुआ दिख रहा है।

ईरान के इन प्रदर्शनों के पीछे अमरीका और इस्रायल का हाथ होने का बयान करके इसके पीछे ईरान की हुकूमत के खिलाफ साज़िश रचने का आरोप इस देश के धर्मगुरू आयातुल्लाह खामेनी ने लगाया था। ईरान की राजनीतिक व्यवस्था के अनुसार सर्वोच्च धर्मगुरू खामेनी के हाथों में ईरान के सभी राजनीतिक अधिकार हैं। सन १९७९ में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद इस देश में स्थापित हुई हुकूमत ईरान की मौजूदा युवा पीढ़ी को मंजूर नहीं है। साथ ही बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक समस्याओं से परेशान ईरान की जनता भी खामेनी की हुकूमत से नाराज़ दिखाई दे रही है। तथा अपने खिलाफ प्रदर्शनों को कुचलने के लिए ईरान की हुकूमत हिंसक कार्रवाई कर रही है, इसपर भी ईरान की जनता तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ कर रही है।

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