ईरान की राजधानी में खामेनी हुकूमत के खिलाफ तीव्र प्रदर्शन

तेहरान – ईरान के खुझेस्तान प्रांत में पानी की किल्लत के मुद्दे पर शुरू हुए प्रदर्शन भड़के होकर, राजधानी तेहरान में यह दावानल दाखिल हुआ है। पिछले १८ महीनों में पहली ही बार तेहरान की सड़कों पर ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी के विरोध में नारेबाजी की गई। देश में बढ़ता आर्थिक नैराश्य और सामाजिक विफलता इस कारण भड़की हुई ईरानी जनता इन प्रदर्शनों में सहभागी होने का दावा किया जाता है। नवनियुक्त राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम राईसी अपने पद का कार्यभार संभालने से चंद कुछ दिन पहले राजधानी तेहरान में ये प्रदर्शन भड़के हैं।

iran-protests-khameni-regimeपिछले दो हफ्तों से ईरान के खुझेस्तान प्रांत में पानी की किल्लत के मुद्दे पर जोरदार प्रदर्शन जारी है। ईरान की इंधन निर्यात में सर्वाधिक योगदान देने वाले खुझेस्तान में पैदा हुई पानी की किल्लत की ओर देश की हुकूमत अनदेखा कर रही है, ऐसा आरोप प्रदर्शनकारियों ने किया। यहाँ के लगभग ७०० गाँवों को इस संकट का सामना करना पड़ रहा है। पिछले १० दिन खुझेस्तान तक ही सीमित होनेवाले ये प्रदर्शन अब राजधानी तेहरान तथा अन्य प्रमुख शहरों तक फैलने की खबरें खाड़ी क्षेत्र के और पश्चिमी माध्यम दे रहे हैं।

ईरान की राजनीतिक व्यवस्था पर पकड़ होनेवाले सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी के विरोध में राजधानी तेहरान में नारेबाजी की गई। ‘तानाशाह का विनाश हों’, ‘खामेनी का धिक्कार हों’, ‘देश से निकल जाओ’, ‘तोपें, टैंक्स, बंदूकें और धार्मिक नेता देश को छोड़ दें’, ‘ गाजा अथवा लेबनान के लिए नहीं, बल्कि हम सिर्फ ईरान के लिए त्याग करेंगे’, ऐसी नारेबाजी करते समय तेहरान तथा अन्य शहरों के वीडियो सामने आए हैं। इन प्रदर्शनकारियों को ईरान में वकील, कलाकार, पत्रकार और विदेश स्थित ईरानियों का भी समर्थन मिल रहा है।

१८ महीने बाद राजधानी तेहरान में ईरान की हुकूमत के विरोध में भड़के ये प्रदर्शन गंभीर बात होने का दावा ईरानी तथा अन्तर्राष्ट्रीय विशेषक कर रहे हैं। ‘देश की जनता अपनी हुकूमत को लेकर निराश है। अन्यथा वह इस प्रकार सड़कों पर उतर से उतर कर प्रदर्शन और नाराजगी जाहिर नहीं करेगी’, ऐसा तेहरानस्थित समाजशास्त्र के अभ्यासक सईद मदानी ने स्पष्ट किया।

जून महीने में संपन्न हुए राष्ट्राध्यक्षीय चुनाव में भी खामेनी हुकूमत के विरोध में यह असंतोष देखने को मिला था, इस पर ईरानी विश्लेषक गौर फरमा रहे हैं। सर्वोच्च धार्मिक नेता खामेनी की हुकूमत पर नाराज़ होनेवाली ईरानी जनता ने इस चुनाव का बहिष्कार किया था। सन १९७९ के बाद पहली ही बार ईरान के चुनाव में सबसे कम वोटिंग हुआ था। इस चुनाव में हालाँकि खामेनी के समर्थक इब्राहिम राईसी चुनकर आए हैं, फिर भी हुकूमत विरोधी इस असंतोष का झटका आनेवाले समय में राईसी को लगने की गहरी संभावना है, ऐसी चेतावनी ईरानी विश्लेषक दे रहे हैं।

तेहरान समेत ईरान के अलग-अलग भागों में जारी इन प्रदर्शनों के संदर्भ में ईरान की यंत्रणाएँ असमंजसता की स्थिति बढ़ानेवालीं प्रतिक्रियाएँ दे रहीं हैं। ‘तेहरान में चल रहे प्रदर्शनों का खुझेस्तान की पानी-किल्लत समस्या से कोई ताल्लुक नहीं है। तेहरान के कुछ भागों में बिजली की सप्लाई खंडित होने के कारण नागरिक सड़कों पर उतरे थे। लेकिन इन प्रदर्शनों में हुकूमत विरोधी नारेबाजी हुई ही नहीं’, ऐसे अजीबोंगरीब दावे ईरानी यंत्रणाओं ने माध्यमों के पास किए। वहीं, मंगलवार को ईरानी माध्यमों ने, इन प्रदर्शनों के पीछे इस्रायल का गुप्तचर संगठन ‘मोसाद’ होने का आरोप किया।

ईरान की सुरक्षा यंत्रणाओं ने तेहरान समेत देश के अन्य भागों में मोसाद के एजेंट्स को हिरासत में ले लिया। इन एजेंट्स से हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद किया, ऐसा ईरानी माध्यमों का कहना है। इन हथियारों की सहायता से ईरान की हुकूमत के खिलाफ चल रहे आंदोलन में हिंसाचार भड़काने की साज़िश इस्रायली गुप्तचर यंत्रणा ने रची थी, ऐसा आरोप ईरान के न्यूज़ चैनल ने किया है। इससे पहले भी ईरान ने अपने देश में हुए संदिग्ध विस्फोट, आगें इनके लिए मोसाद पर आरोप किया था।

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