चीन के युद्धपोतों को सायबर हमलों के ज़रिये बंदरगाहों में ही रोकने की क्षमता अमरीका प्राप्त करेगी – अमरिकी नौसेना सचिव का दावा

china-warships-us-1एनापोलिस – अमरिकी नौसेना ने चीन की आक्रामक नौसेना को रोकने के लिए सामरिक मार्गदर्शक दस्तावेज तैयार किए हैं। इसके अनुसार सायबर हमले करके चीन के युद्धपोतों को बंदरगाह में ही रोकना मुमकिन होगा, यह दावा अमरिकी नौसेना के सचिव कार्लोस डेल टोरो ने किया। अमरिकी नौसेना की इस तैयारी का संज्ञान लेकर चीन के मुखपत्र ने अमरीका को धमकाया है। चीन को घेरने के लिए अमरीका की कोशिश सफल नहीं होगी, यह दावा भी इस मुखपत्र ने किया है।

वर्ष २०२२ के ‘विंटर ऑलिम्पिक’ के बाद चीन ताइवान पर हमला कर सकता है, ऐसा इशारा अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कुछ दिन पहले ही दिया है। अमरीका, यूरोप एवं ताइवान के नेता और लष्करी विश्लेनषक भी चीन का ताइवान पर हमले की संभावना जता रहे हैं। इसी बीच चीन ने मात्र चार दिनों में अपने लगभग डेढ़ सौ लड़ाकू विमानों की ताइवान की सीमा में घुसपैठ करवाकर अपने इरादे स्पष्ट किए हैं। साथ ही चीन के विमान वाहक युद्धपोत ने अपने विध्वंसकों के बेड़े के साथ ताइवान के समुद्री क्षेत्र के पास वाले मार्ग से यात्रा की थी।

china-warships-us-2चीन की इस आक्रामकता को जवाब देने के लिए अमरिकी नौसेना जल्द ही सामरिक मार्गदर्शन योजना का ऐलान करेगी। अमरिकी नौसेना के सचिव कार्लोस डेल टोरो ने दो दिन पहले आयोजित नौसेना के एक समारोह में इसकी जानकारी साझा की। अमरिकी नौसेना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना वर्चस्व बनाए रखकर अपने मित्रदेशों के साथ भागीदारी अगले दिनों में अधिक मज़बूत करेगी, यह दावा टोरो ने किया।

china-warships-us-3चीन के साथ युद्ध का ऐलान करना हमारा उद्देश्य, नहीं है। लेकिन, ताइवान पर कब्ज़ा करने से चीन को रोकना, यह हमारी अहम ज़िम्मेदारी है’, ऐसा बयान टोरो ने किया। साथ ही अमरिकी विध्वंसकों की संख्या बढ़ाने के बजाय नवीनतम तकनीक से इन विध्वंसकों को काफी प्रगत करना अहम होने की बात नौसेना सचिव टोरो ने कही। सायबर क्षेत्र का निवेश बड़ा अहम होने का बयान करके सायबर हमलों के ज़रिये चीन के युद्धपोतों को बंदरगाह के बाहर निकलने का अवसर ही ना मिल सके, इस पर विचार हो सकता है, यह दावा भी टोरो ने किया।

इसी बीच, अमरिकी नौसेना सचिव के इस इशारे पर चीन के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने संज्ञान लिया है। ‘नए हथियारों का निर्माण करने में अमरीका हमेशा ही आगे रही है। लेकिन, अमरीका ने यदि ताइवान के मामले में हस्तक्षेप किया तो उसकी हार होगी। चीन के साथ युद्ध शुरू हुआ तो विदेशों में मौजूद अमरिकी लष्करी अड्डों पर बड़े हमले किए जाएंगे। अमरिकी नौसेना बॉम्बर या लड़ाकू विमानों को रवाना करेगी। लेकिन, चीन की सेना पर हमले करने का साहस उसमें नहीं है’, यह धमकी भी चीनी मुखपत्र ने दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.