‘ग्रीन एनर्जी’ के लिए वैश्‍विक बैंक स्थापित करने की सोच में भारत और ब्रिटेन

नई दिल्ली – स्वच्छ एवं सस्ते ऊर्जा विकल्पों के लिए भारत अलग अलग विकल्पों का विचार कर रहा है। इसके लिए ब्रिटेन ने भारत से सहयोग करने की इच्छा जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस पर किए भाषण में ‘नैशनल हायड्रोजन मिशन’ का ऐलान किया था। इस कार्य में ब्रिटेन ने भारत से सहयोग करने की तैयारी जताई है। भारत और ब्रिटेन ‘ग्रीन एनर्जी’ के लिए यानी साफ हरित ऊर्जा के लिए वैश्‍विक बैंक स्थापित करने के विकल्पों की खोज़ कर रहे हैं। ब्रिटेन के वरिष्ठ राजनीतिक नेता एवं संयुक्त राष्ट्र मौसम के बदलाव संबंधी परिषद (सीओपी-२६) के मौजूदा अध्यक्ष अलोक शर्मा भारत यात्रा पर पहुँचे हैं और उन्होंने भारत के ऊर्जामंत्री आर.के.सिंह से मुलाकात की। इस दौरान ‘ग्रीन एनर्जी’ के लिए जागतिक बैंक स्थापित करने के प्रस्ताव के साथ दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग पर गहरी बातचीत हुई।

‘ग्रीन एनर्जी’भारत को ग्रीन हायड्रोजन के उत्पादन और निर्यात का केंद्र बनाने की योजना के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय हायड्रोजन मिशन का ऐलान किया है। पानी के ‘इलेक्ट्रोलिसीस’ के ज़रिये हायड्रोजन वायु तैयार किया जाता है। साथ ही नैसर्गिक वायु से हायड्रोजन को अलग करके ‘हायड्रोजन गैस’ प्राप्त करना मुमकिन होता है। इसके अलावा हायड्रोजन र्इंधन प्राप्त करने के लिए अन्य विकल्पों की भी तलाश जारी है। इस पर अब भारत में व्यापक शोधकार्य जारी है। भारत ८५ प्रतिशत र्इंधन और ५३ प्रतिशत र्इंधन गैस का आयात करता है। इस वजह से भारत जैसे देश में अक्षय ऊर्जा के साधनों पर जोर देकर र्इंधन के आयात पर निर्भरता कम करने की कोशिश जारी है। सौर और पवन ऊर्जा समेत ग्रीन हायड्रोजन के निर्माण पर भारत ने जोर देने पर भारत की र्इंधन पर निर्भरता काफी कम हो सकती है।

इस पृष्ठभूमि पर अलोक शर्मा और आर.के.सिंह की चर्चा हुई। इस दौरान ब्रिटेन जल्द ही ग्रीन हायड्रोजन के लिए और लिथियम आयन के लिए निविदा घोषित कर रहा है। इसके लिए ब्रिटेन ने भारत को भी आमंत्रित किया है, ऐसा केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा। भारत की ‘प्रोडक्शन लिक्ड इन्सेन्टिव’ (पीएलआय) योजना के तहत बैटरी बनाने के लिए ‘टेस्ला’ पद्धति के अनुसार ‘गिगा फैक्टरी’ स्थापित करने के लिए सहुलियत का ऐलान किया है, इस बात पर भी आर.के.सिंह ने इस दौरान ध्यान केंद्रीत किया। साथ ही पैरिस समझौते के तहत हरितगृह परिणाम प्राप्त करनेवाले वायु का उत्सर्जन कम करने के लिए काम करनेवला भारत ‘जी-२०’ गुट का एकमात्र देश होने की बात भी सिंह ने इस दौरान रेखांकित की।

इसी दौरान ‘ग्रीन एनर्जी’ के लिए विश्व बैंक स्थापित करने पर ‘सीओपी-२६’ के अध्यक्ष आलोक शर्मा और केंद्रीय ऊर्जामंत्री आर.के.सिंह ने बातचीत की। इसके ज़रिये पैरिस समझौते के अनुसार १०० अरब डॉलर्स की निधी विकसनशील देशों को प्रदान करने का उद्देश्‍य प्राप्त करना संभव हो सकता है। इस दौरान ब्रिटेन की ओर से आलोक शर्मा ने ‘सीओपी-२६’ परिषद सफल करने के लिए भारत से सहयोग की उम्मीद जताई। विकसित देशों को मौसम के बदलाव का सामना करने के लिए और खतरनाक वायु का उत्सर्जन कम करने के लिए सहायता करने के उद्देश्‍य से १०० अरब डॉलर्स का निधी स्थापित करने का निर्णय किया गया था। इसमें ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। इस पृष्ठभूमि पर ग्रीन एनर्जी के लिए भी विश्व बैंक का यह प्रस्ताव सामने आया है। भारत की पहल से अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायन्स (आयएसए) का भी गठन हुआ है। इसके लिए वर्ल्ड सोलर बैंक (डब्ल्यूएसबी) स्थापित करने पर भी विचार जारी है।

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