रशियन राष्ट्राध्यक्ष चीन के ज्यादा करीब जाने की गलती ना करें – शीत युद्ध के अभ्यासक सर्जेय रैडचेन्को ने किया आगाह

वॉशिंग्टन/मास्को/बीजिंग – चीन के लिए फिलहाल रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन सबसे करीबी और पहले स्थान के सहयोगी बने हैं। फिर भी भविष्य में यही भूमिका कायम रहेगी, इसका भरोसा देना मुमकिन नहीं। चीन किसी से भी लंबे समय तक मित्रता नहीं रखता, इसका अहसास देकर रशियन राष्ट्राध्यक्ष चीन के अधिक करीब जाने की भूल ना करें, ऐसी चेतावनी अमरिकी अभ्यासक सर्जेय रैडचेन्को ने दी है। पिछले कुछ सालों में अमरीका विरोधी गठबंधन के हिस्से के तौर पर रशिया और चीन का सहयोग लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा है। इस पृष्ठभूमि पर शीत युद्ध के अभ्यासक रैडचेन्को ने ऐसे आगाह करना ध्यान आकर्षित करता है।

अमरीका के शीर्ष अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ के लेख में रैडचेन्को ने शुरू में ही वर्ष १९६९ में चीन और रशिया के हुए संघर्ष का ज़िक्र किया है। इस संघर्ष की पृष्ठभूमि पर चीन ने अमरीका से नज़दिकीयां बढ़ाई और रशिया को पीछे छोड़ने में सफल हुआ। मौजूदा समय पर पश्चिमी देशों ने लगाए प्रतिबंध और यूक्रेन युद्ध से हो रहे नुकसान के कारण रशिया अब चीन पर अधिक निर्भर हो रहा हैं। किसी समय वैश्विक महाशक्ति रही रशिया आज चीन का कनिष्ठ भागीदार बनकर काम करने के लिए भी तैयार हुई है, इस मुद्दे पर रैडचेन्को ने ध्यान आकर्षित किया।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने पिछले कुछ सालों में चीन की मित्रता को अधिक मज़बूती देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। लेकिन, वह इतिहास की घटनाओं को याद रखें, ऐसी सलाह अमरिकी अभ्यासक ने दी है। रशिया के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी मिखाईल कैपित्सा ने वर्ष १९८२ में चीन को लेकर आगाह किया था। चीन कभी भी किसी से भी लंबे समय तक मित्रता नहीं रखथा, ऐसा कैपित्सा ने कहा था। इसका ज़िक्र रैडचेन्को ने अपने इस लेख में किया है। चीन से मित्रता करते समय पुतिन पश्चिमी देशों से जुड़े सभी संबंध तोड़ने की गलती ना करें, यह इशारा भी अमरिकी अभ्यासक ने दिया है।

वर्ष १९७०-८० के दशक में उस समय के अमरिकी एवं रशियन अधिकारियों ने भी चीन की नीति को लेकर आगाह किया था, इसकी याद भी रैडचेन्को ने अपने लेख में ताज़ा की है। मौजूदा चीन भी माओ के दौर में रहे चीन जैसा ही हैं और वैश्विक राजनीति में मित्रता के संबंध ज़रूरत के हिसाब से रखने पर ही जोर देता है। यह बात पश्चिमी देशों के साथ रशिया भी ध्यान में रखें, ऐसी फटकार अमरिकी अभ्यासक ने आखिर में लगाई है।

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