२६/११ के हमले में ‘लश्कर’ का हैण्डलर रहे साजिद मीर को चीन ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की कार्रवाई से बचाया

संयुक्त राष्ट्रसंघ – चीन ने और एक पाकिस्तानी आतंकी को ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकी’ घोषित करने का प्रस्ताव रोक दिया है। २६/११ के हमले के प्रमुख सूत्रधारों में से एक और सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमरीका, फ्रान्स और ऑस्ट्रेलिया में आतंकी हमले करने की साज़िश रचनेवाले ‘लश्कर-ए-तोयबा’ के कुख्यात आतंकी साजिद मीर को ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकी’ घोषित करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में रखा गया था। भारत, अमरीका के इस प्रस्ताव का तकनीकी कारण बताकर चीन ने विरोध किया। संयुक्त राष्ट्रसंघ में इस तरह के प्रस्ताव में चीन का रोड़ा डालने का यह पहला अवसर नहीं है। चीन ने कई बार ऐसे प्रस्तावों में बाधां डालकर पाकिस्तान की सहायता की है। बीते चार महीनों में इस तरह से तीन विभिन्न पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ हो रहीं कार्रवाई को चीन ने रोक रखा है।

साजिद मीर मुंबई में हुए २६/११ हमलों का एक प्रमुख सूत्रधार है। मीर भारत में हमला करने आए हुए आतंकियों का हैण्डलर था। इस हमले की साज़िश रचने में उसकी प्रमुख भूमिका थी। इससे पहले उसने कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। लेकिन, २६/११ के आतंकी हमलों के बाद मीर पर कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा था। साल २०१२ में मीर को अमरीका ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया और उसके बाद मीर यकायक गायब हो गया। पाकिस्तान ने उसे मृत भी घोषित किया था। लेकिन, भारतीय यंत्रणा मीर जीवित होने के दावे कर रही थी।

भारत के लिए इस ’मोस्ट वॉन्टेड’ आतंकी को बचाने के लिए पाकिस्तान ने वह मृत होने का ढ़ोंग रचा था, फिर भी ‘फाइनैन्शियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए आखीर में इसी साल जून में पाकिस्तान ने साजिद मीर के भूत को उजागर किया। वह जीवित होने की बात स्वीकार कर उसकी गिरफ्तारी भी कराई। साथ ही आतंकियों को पैसों की आपूर्ति करने से संबंधित पाकिस्तान की आतंकवादविरोधी अदालत ने उसे १५ साल की सजा सुनाई। लेकिन, फिलहाल पाकिस्तान की जेल में कैद साजिद मीर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने से रोकने की पाकिस्तान और चीन की कोशिशें कई सवाल खड़े कर रही है। क्या वह सच में पाकिस्तान की जेल में है, या उसे बचाने के लिए यह सजा सुनाकर उसे सेफहाऊस दिया गया है, ऐसा सवाल खड़ा हो रहा है। मीर के सिर पर ५० लाख डॉलर्स का इमान अमरिकी यंत्रणा ने रखा है। ऐसे आतंकी को चीन पाकिस्तान के कहने पर बचा रहा है, यह आरोप लगाए जा रहे हैं।

कुख्यात आतंकियों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्रसंघ की कार्रवाई में विलंबन करने की मंशा से रोड़ा डालने का चीन का यह पहला अवसर नहीं है। ‘लश्कर’ प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ चल रही कार्रवाई में भी चीन ने इसी तरह से कई बार रोड़े डाले थे। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा दबाव और आलोचना के बाद चीन ने इन दोनों पर कार्रवाई करने में डाला हुआ रोड़ा हटाया था। इन दोनों के अलावा ऐसे कई संगठनों और आतंकियों पर कार्रवाई करने के लिए चीन ने विरोध किया है।

पिछले महीने ही जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख और मोस्ट वॉन्टेड आतंकी मसूद अजहर के भाई अब्दुल रौफ अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्रसंघ में रखा गया प्रस्ताव भी चीन ने रोका था। इससे पहले जून में ‘लश्कर’ के प्रमुख हाफिज सईद के भाई रहमान मक्की पर हो रहीं कार्रवाई में भी चीन ने रोड़े ड़ाले थे।

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