हाँगकाँग में जो हुआ वह ताइवान में दोहराया ना जाए – जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिन्ज़ो ऐबे

टोकियो/ताइपे/बीजिंग – ‘हाँगकाँग में जो कुछ हुआ वह ताइवान में कभी दोहराया नहीं जाना चाहिये’, यह इशारा जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिन्ज़ो ऐबे ने दिया है। इस दौरान उन्होंने यह चिंता जताई है कि, चीन द्वारा साऊथ और ईस्ट चायना सी की स्थिति में बदलाव करने की एकतरफा कोशिश जारी है। ऐबे ने किए इस बयान की पृष्ठभूमि पर चीन ने प्रतिक्रिया भी दर्ज़ की है और यह इशारा भी दिया है कि, अमरीका एवं जापान ताइवान में दखलअंदाज़ी करने की कोशिश ना करें।

Abe-Hong-kong-Taiwan‘जापान-रिपब्लिक ऑफ चायना डायट मेंबर्स कन्सल्टेटिव कौन्सिल’ नामक अभ्यासगुट ने ‘ट्रायलैटरल स्ट्रैटेजिक डायलॉग’ का आयोजन किया था। इस सेमिनार में अमरीका, जापान और ताइवान के प्रतिनिधि शामिल थे। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ऐबे इस अभ्यासगुट के सलाहकार के तौर पर कार्यरत हैं और वे भी इस ‘डायलॉग’ में शामिल थे। इस दौरान उन्होंने ताइवान की तुलना हाँगकाँग से की और चीन की हुकूमत की हरकतों पर तीव्र चिंता भी जताई।

शिन्ज़ो ऐबे ने अमरीका और ताइवान दोनों को ‘सीपीटीपीपी’ नामक बहुराष्ट्रीय व्यापारी समझौते में शामिल होने के लिए निवेदन किया। उस समय उन्होंने ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन’ में ताइवान के समावेश का भी समर्थन किया। ताइवान के समावेश का चीन खुले दिल से स्वागत करेगा, यह उम्मीद भी उन्होंने जताई। खुले और मुक्त इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए ताइवान की भूमिका बड़ी अहम होने की ओर भी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

Abe-Hong-kong-Taiwan-1इस बैठक के लिए जापान के छह सांसद उपस्थित थे। जापान के रक्षामंत्री नोबुओ किशी ने भी इस बैठक के लिए खास संदेश देने की बात सामने आयी है। अमरीका द्वारा जापान के लिए नियुक्त पूर्व राजदूत बिल हैगर्टि भी इस दौरान ‘ट्रायलैटरल स्ट्रैटेजिक डायलॉग’ में शामिल हुए थे। इस दौरान जापान, अमरीका और ताइवान के प्रतिनिधियों की लगातार बैठक आयोजित करके त्रिपक्षीय सहयोग बढ़ाने की कोशिश करने का निर्णय होने की बात कही जा रही है।

जापान और अमरीका की ताइवान के साथ इस बैठक पर चीन की प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अमरीका और जापान ताइवान की स्वतंत्रता के मुद्दे को समर्थन प्राप्त होगा, ऐसे कदम ना उठाएँ और ताइवान के मुद्दे पर दखलअंदाज़ी भी ना करें, यह इशारा चीन के विदेश प्रवक्ता झाओ लिजिअन ने दिया। बैठक में पुराने मुद्दों को उठाया गया है और इस पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है, यह दावा भी चीन के प्रवक्ता ने किया।

बीते कुछ वर्षों में जापान और चीन के संबंधों में लगातार उतार-चढ़ाव आ रहा है और फिलहाल इनके संबंधों में तनाव बढ़ने के संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं। चीन की ईस्ट चायना सी में घुसपैठ, कोरोना की महामारी की जानकारी छुपाने की कोशिश, हाँगकाँग पर थोंपे गए नियम और आर्थिक एवं लष्करी ताकत के बल पर दबाव ड़ालने की कोशिश के मुद्दों पर जापान ने आक्रामक भूमिका अपनाई है। दोनों देशों के बीच इन मुद्दों पर लगातार जुबानी जंग होने की बात भी सामने आ रही है। इस तनाव में ताइवान के मुद्दे का इज़ाफा हुआ है और जापान ने इस मुद्दे पर अधिक तीव्र भूमिका अपनाना शुरू किया होने की बात पूर्व प्रधानमंत्री ऐबे के इस बयान से सामने आ रही है।

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