‘आयुध निर्माण बोर्ड’ की पुनर्रचना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी – ४१ कारखाने ७ कंपनियों में होंगे तब्दील

नई दिल्ली – बीते दो दशकों से प्रलंबित रहे ‘आयुध निर्माण बोर्ड’ की पुनर्रचना करने को केंद्र सरकार ने मंजूरी प्रदान की है। इसके अनुसार हथियार और गोलाबारूद का निर्माण कर रहे देशभर के ४१ सरकारी आयुध कारखाने अब ७ बड़ी कंपनियों में तब्दील किए जाएँगे। यह कंपनियाँ पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में ही रहेंगी। फिर भी ‘कॉर्पोरेटाइज़ेशन’ के ज़रिये इनकी क्षमता और उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी। कर्मचारी संगठन इस निर्णय का विरोध कर रहा है। लेकिन, भारत सरकार ने यह वादा किया है कि, इस निर्णय से कर्मचारियों के हितों को किसी भी तरह का खतरा नहीं पहुँचेगा।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार के दिन हुई बैठक में ‘आयुध निर्माण बोर्ड’ की पुनर्रचना के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह ऐतिहासिक निर्णय होने का बयान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया है। आयुध कारखानों के कारोबार में व्यावसायिकता शामिल हो, स्पर्धा बढ़े, उत्पादों की गुणवत्ता में अधिक सुधार करने के नज़रिये से यह निर्णय अहम माना जा रहा है। साथ ही इस वजह से देश में रक्षा सामान का उत्पादन बढ़ेगा और देश की रक्षा ज़रूरतें देश में ही पूरी करना मुमकिन होगा, यह दावा किया जा रहा है। यह निर्णय आयुध कारखानों के ही हित में होने की ओर ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। क्योंकि, इस वजह से आयुध कारखानों का विलय करके सात बड़ी कंपनियाँ स्थापित होंगी और इन कंपनियों को बड़ी मात्रा में स्वायत्तता प्राप्त होगी। इन कंपनियों के लिए नए अवसर उपलब्ध होंगे। यह कंपनियाँ सप्लाई चेन का अहम अंग बनेंगीं। रक्षा सामान के निर्यात बाज़ार भी इन कंपनियों के खुलेंगे, यह विश्‍वास एक अफसर ने व्यक्त किया है।

नई स्थापित होनेवाली सातों कंपनियाँ अलग अलग रक्षा सामानों का उत्पादन करेंगी। इसके अनुसार एक कंपनी में गोलाबारूद और विस्फोटक, दूसरी में हथियार और रक्षा सामान का निर्माण होगा। लष्करी गाड़ियाँ, सैनिकों के लिए आवश्‍यक उपकरण, पैराशूट, ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, सहायक उपकरणों का निर्माण अन्य कंपनियों में किया जाएगा। इन सुधारों की वजह से और विलय करने से मौजूदा आयुध कारखानों में काम कर रहे कर्मचारियों के हितों को किसी भी तरह का खतरा नहीं पहुँचेगा। उनके सेवा शर्तों में भी बदलाव नहीं होगा। उनके भत्ते एवं पेन्शन का भार भी सरकार ही उठाएगी। आरंभिक दो वर्षों के लिए इन कर्मचारियों को नई स्थापित होनेवाली कंपनियों में प्रतिनियुक्ती पर भेजा जाएगा, यह जानकारी वरिष्ठ सरकारी अफसर ने प्रदान की है।

हथियार एवं रक्षा सामान का देश में उत्पादन बढ़ाने के साथ इस क्षेत्र से संबंधित अन्य देशों पर भारत की निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार ने तेज़ी से कोशिश शुरू की थी। आत्मनिर्भर भारत के तहत बीते छह महिनों में २०९ रक्षा सामानों के आयात पर रोक लगाई गई है और इन सामानों का उत्पादन देश में ही करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही देश में तैयार होनेवाले हथियार एवं रक्षा सामान का दर्जा विवाद से परे रखने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बीते कुछ वर्षों से आयुध कारखानों से सेना को प्रदान हो रहे रक्षा सामान एवं गोलाबारूद के दर्जे पर पूर्व लष्करी अफसर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। इन अफसरों ने आयुध कारखानों में सुधार करने की बड़ी आवश्‍यकता होने की स्पष्ट सलाह सरकार को प्रदान की थी।

इस पृष्ठभूमि पर आयुध निर्माण बोर्ड की पुनर्रचना करने का निर्णय होने की बात दिख रही है। इससे देश के रक्षाबलों को काफी बड़ा लाभ प्राप्त होगा।

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