चीन से सौदी के सहयोग का मतलब अमरीका से असहयोग नहीं होता है – सौदी के विदेश मंत्री का खुलासा

रियाध – ‘विश्व में दूसरे स्थान की अर्थव्यवस्था बने चीन से सहयोग ज़रूरी है। इसका मतलब सौदी ने विश्व के पहले स्थान की अर्थव्यवस्था बनी अमरीका से सहयोग तोड़ा, ऐसा नहीं है। हर देश से सहयोग स्थापित करने के लिए सौदी स्वतंत्र है’, ऐसा खुलासा सौदी अरब ने किया है। चीन के साथ अरबों डॉलर्स के समझौते करके चीन ने अमरीका को झटका दिया है, ऐसी बड़े जोरों से चर्चा शुरू हुई है। इस पर सौदी अरब ने यह खुलासा किया है।

जून में अमरीका की सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल केनिथ मैकेन्ज़ी ने चीन और रशिया को खाड़ी से दूर रहने की सलाह दी थी। साथ ही इस क्षेत्र में अमरीका की लोकप्रियता की गिरावट का चीन और रशिया लाभ उठा रहे हैं, यह चेतावनी भी उन्होंने दी थी। चीन अपने कर्ज़ का जाल बेल्ट ऐण्ड रोड प्रकल्प का इस्तेमाल करके खाड़ी में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, यह आरोप भी मैकेन्ज़ी ने लगाया था।

दो ही दिन पहले चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के सौदी अरब दौरे की वजह से अमरीका का ड़र अब वास्तव में उतरने लगा है। चीन ने सौदी के साथ ३० अरब डॉलर्स के कुल ३४ समझौते किए हैं। इनमें ईंधन, रक्षा, व्यापार एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र के सहयोग का समावेश है। सौदी की पहल से ही ‘अरब-चीन’ और ‘खाड़ी-चीन’ नामक दो बड़ी बैठकों का आयोजन किया गया। इस दौरान चीन ने अरब देशों के साथ ईंधन कारोबार के लिए युआन का इस्तेमाल करने का ऐलान किया।

सौदी और खाड़ी देशों पर अब तक प्रभाव रखनेवाली अमरीका में जिनपिंग के इस दौरे ने बेचैनी बढ़ाई है। सौदी के क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष का बहुत अच्छी तरह से स्वागत करने की खबरें अमरीका में प्रसिद्ध हुई थीं। ऐसे में अब बायडेन और जिनपिंग के सौदी दौरे की तुलना हो रही है। बायडेन प्रशासन ने इस पर सीधा बयान किया नहीं है, फिर भी अमरिकी माध्यम यही संकेत दे रहे हैं।

ऐसी स्थिति में सौदी के विदेश मंत्री प्रिन्स फैज़ल बिन फरहान ने चीन के साथ सौदी के सहयोग को लेकर खुलासा किया है। ‘अमरीका, भारत, चीन, जापान और जर्मनी के साथ सौदी अरब का रणनीतिक सहयोग है। इनमें से अमरीका और चीन के सहयोग में सौदी के समान हित हैं। इसकी वजह से अमरीका और चीन में से एक देश से सहयोग बढ़ाकर सौदी अपनी नीति का ध्रूवीकरण नहीं केरगा’, यह प्रिन्स फैज़ल ने स्पष्ट किया।

‘सौदी की अर्थव्यवस्था ने गति प्राप्त की है और हमें सभी से सहयोग की उम्मीद है। साथ ही सौदी सभी देशों से सहयोग स्थापित करने के लिए स्वतंत्र है’, ऐसा सौदी के विदेश मंत्री ने कहा। चीन और सौदी का यह सहयोग आज का नहीं है, बल्कि सन २००४ से है, यह दावा प्रिन्स फैज़ल ने किया। सौदी से यह खुलासा प्राप्त हुआ हो, फिर भी इस बार सौदी अरब और चीन के इस सहयोग को अमरीका के लिए चुनौति के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले कुछ महीनों से अमरीका और सौदी के बीच दूरी बढ़ रही है और अमरिकी माध्यमों ने इस पर ध्यान आकर्षित करके सौदी और चीन के सहयोग की खबरें प्रसिद्ध की हैं।

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