रशिया ने किया आर्क्टिक क्षेत्र में युद्धाभ्यास का ऐलान

युद्धाभ्यासमास्को – बीते महीने में हुई ‘आर्क्टिक कौन्सिल’ की बैठक में अन्य देशों के साथ हुए विवाद की पृष्ठभूमि पर, रशिया ने अधिक आक्रामक नीति के संकेत दिए हैं। नज़दीकी दिनों में आर्क्टिक क्षेत्र में व्यापक लष्करी युद्धाभ्यास आयोजित करने का ऐलान भी रशिया के ‘नॉर्दर्न फ्लीट’ ने किया है। युद्धाभ्यास का ऐलान करने के साथ ही ‘नॉन-आर्क्टिक’ देशों ने आर्क्टिक में लष्करी तैनाती बढ़ाने की ज़रूरत नहीं है, ऐसी चेतावनी रशिया के वरिष्ठ अफसरों ने दी है।

मई महीने में हुई ‘आर्क्टिक कौन्सिल’ की बैठक से पहले रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह ने, आर्क्टिक क्षेत्र पर रशिया का ही अधिकार होने की बात डटकर कही थी। कौन्सिल की बैठक में अमरीका और अन्य देश रशिया की गतिविधियों को लेकर नाराज़गी व्यक्त कर रहे थे, तभी रशिया ने भी यह स्पष्ट युद्धाभ्यासचेतावनी दी थी कि आर्क्टिक में नाटो दखलअंदाज़ी ना करें। इसके बाद रशिया ने आर्क्टिक के अपने नए लष्करी अड्डे की जानकारी भी सार्वजनिक की थी। यह घटना रशिया की आक्रामक नीति का हिस्सा समझी जा रही है।

यही नीति आगे भी कायम रखने के संकेत, रशिया ने नए लष्करी युद्धाभ्यास का ऐलान करके दिए हैं। युद्धाभ्यास का पुख्ता कालावधी अभी घोषित नहीं किया है, लेकिन अगले दो या तीन महीनों में इस युद्धाभ्यास का आयोजन होगा, युद्धाभ्यासऐसें संकेत सूत्रों ने दिए हैं। आर्क्टिक में तैनात लष्करी दलों की तैयारी की जाँच करना एवं ‘नॉर्दर्न सी रुट’ की सुरक्षितता, ऐसें दो उद्देश्यों के लिए इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया जा रहा है, यह जानकारी रशिया के‘नॉर्दर्न फ्लीट’ ने प्रदान की है।

युद्धाभ्यास का ऐलान किया जा रहा था, तभी रशिया के ‘आर्क्टिक कौन्सिल’ के राजदूत निकोलाय कोर्शुनोव्ह ने, आर्क्टिक क्षेत्र में ‘नॉन आर्क्टिक’ देशों की जारी गतिविधियों की आलोचना की है। ‘बीते कुछ वर्षों में आर्क्टिक की बरफ काफी मात्रा में पिघल रही है। इसी वजह से इस क्षेत्र में नए मार्ग तैयार हो रहे हैं। इसका लाभ उठाकर इस क्षेत्र युद्धाभ्यासमें अन्य देशों की लष्करी गतिविधियाँ बढ़ने की बात दिख रही है। आर्क्टिक में संघर्ष होने के आसार नहीं हैं और लष्करी नज़रिये से विशेष चुनौती होने की बात भी दिखाई नहीं देती। ऐसी स्थिति में ‘नॉन ऑर्क्टिक’ देशों ने, आर्क्टिक के क्षेत्र के देशों की सीमा के करीब लष्करी तैनाती करने का कोई भी कारण नहीं है’, यह चेतावनी कोर्शुनोव्ह ने दी। उनकी यह चेतावनी नाटो सदस्य देशों की तैनाती एवं युद्धाभ्यासअध्ययन के लिए थी, ऐसा कहा जा रहा है।

इसी बीच, रशिया के ‘सिक्युरिटी कौन्सिल’ के सचिव निकोलाय पत्रुशेव्ह ने रशिया के विरोधियों को नयी चेतावनी दी है। रशिया की क्षेत्रीय अखंड़ता एवं संप्रभुता के विरोध में किसी ने गलत कदम उठाने की कोशिश की, ते इसके विरोध में परंपरागत एवं अपारंपरिक ऐसें दोनों तरीकों से ज़ोरदार प्रत्युत्तर दिया जाएगा, यह चेतावनी पत्रुशेव्ह ने दी है। इसमें आर्थिक स्तर की कार्रवाई के साथ ही लष्करी ताकत का भी समावेश रहेगा, यह बयान पत्रुशेव्ह ने किया है। कुछ दिन पहले ही रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने भी, रशिया शत्रु के दात गिराएगा, यह चेतावनी दी थी।

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