रशिया के साथ रणनीतिक साझेदारी की जड़ें काफी गहरी हैं – भारतीय विदेश सचिव का बयान

मास्को – ‘भारत और रशिया के बीच जारी रणनीतिक साझेगारी की जड़ें काफी गहरी हैं। इस आधार पर विश्‍व में फिलहाल निर्माण हुई जटिल स्थिति से आसानी से बाहर निकलना संभव होगा’, ऐसा विश्‍वास भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने व्यक्त किया है। उन्होंने हाल ही में दो दिन रशिया का दौरा किया है और इस दौरान उन्होंने रशिया के कई वरिष्ठ अफ़सरों से मुलाकात की। इस दौरे में भारत और रशिया के संबंध अधिक मज़बूत करने के उद्देश्‍य से अहम मुद्दों पर चर्चा होने की बात कही जा रही है।

रणनीतिक साझेदारी

वर्ष २०२१ में भारत और रशिया के बीच सभी स्तरों पर सहयोग अधिक मज़बूत होगा, यह विश्‍वास रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने बीते वर्ष के अन्त में व्यक्त किया था। उनके इस बयान की पृष्ठभूमि पर भारत के विदेश सचिव का यह रशिया दौरा बड़ा अहम समझा जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में चीन का बढ़ता खतरा ध्यान में रखते हुए भारत और अमरीका की नज़दिकीयाँ बढ़ने के दाँवे किए जा रहे थे। रशियन विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव और अन्य नेताओं ने इस पर नाराज़गी का स्वर लगाया था।

लेकिन, भारत ने रशिया के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों का दाखिला देकर, इसमें बदलाव नहीं होगा, यह स्पष्ट किया था। विदेश सचिव श्रृंगला ने रशियन अखबार ‘कॉमरसैंट’ को दिए साक्षात्कार में भी इस मुद्दे पर जोर दिया। ‘कॉमरसैंट’ ने भारत के विदेश सचिव को ‘एस-४००’ मिसाइल यंत्रणा के मुद्दे पर सवाल किया। इसके जवाब में भारत के अमरीका और रशिया दोनों के साथ संबंध अपने-अपने स्तर पर मज़बूत हैं और इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा, यह बात श्रृंगला ने स्पष्ट की। विश्‍व के सभी प्रमुख देशों ने भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है और यही भारत की परंपरा रही है, यह बात को स्वीकार किया है, इस ओर भारतीय विदेश सचिव ने ध्यान आकर्षित किया।

‘हमें किसी भी विशिष्ट रक्षा समझौते पर प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं करनी है। लेकिन, रशिया के साथ किए गए सभी समझौतों का कार्यान्वयन निर्धारित समय पर होगा, यह भरोसा हम दे सकते हैं। यह बात भारत की रक्षा एवं सुरक्षा से संबंधित ज़रूरतें और हितसंबंधों से सुसंगत है’, यह बात भारतीय विदेश सचिव श्रृंगला ने स्पष्ट की। साथ ही भारत और रशिया की वर्ष २०२० में होनेवाली सालाना बैठक रद करने के पीछे कोरोना महामारी का ही कारण था, इस बात का खुलासा भी उन्होंने इस दौरान किया।

‘एस-४००’ रक्षा यंत्रणा के मुद्दे पर अमरीका ने भारत पर दबाव बढाने की कोशिश करने का वृत्त पहले ही प्रसिद्ध हुआ था। लेकिन, भारत ने अपनी भूमिका स्पष्ट करके रशिया के साथ किए गए समझौते में बदलाव नहीं होगा, ऐसी भूमिका ड़टकर अपनाई थी।

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