नेपाल का भारत के विरोध में उपयोग नहीं होने देंगे- नेपाल के प्रधानमंत्री की ग्वाही

नई दिल्ली: डोकलाम के विवाद में भारत को धमकियां देने वाला चीन नेपाल का इस्तेमाल करके भारत को गतिरोध करने के ईशारे दे रहा है। ऐसी परिस्थिति में नेपाल के प्रधानमंत्री ने के पहले भारत दौरे से विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित हुआ है। इस भेंट में भारत के बारे में अपनी पारंपारिक मित्रता एवं सहयोग की भूमिका कायम रहेगी यह ग्वाही नेपाल के प्रधानमंत्री ‘शेर बहादुर देउबा’ ने दी है। भारतीय प्रधानमंत्री के साथ हुए प्रदीर्घ चर्चा के बाद संयुक्त पत्रकार परिषद में संबोधित करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं प्रधानमंत्री देउबा ने दोनों देशों में आगे भी सहयोग दृढ़ रहेगा यह घोषित किया है।

नेपाल अपनी भूमि का इस्तेमाल

नेपाल अपनी भूमि का इस्तेमाल भारत विरोधी कार्यों के लिए नहीं होने देगा’, यह ग्वाही नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने दी है। भारत एवं नेपाल के संबंध हिमालय जितने प्राचीन होने का दाखिला दे कर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत नेपाल को हर प्रकार से सहायता करने की घोषणा की है।

विशेषत: नेपाल में आए बाढ़ की पृष्ठभूमि पर भारत से नेपाल को होने वाला सहयोग अधिक बढ़ाया जाएगा यह प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया है।

नेपाल के प्रधानमंत्री ने इस भारत भेंट में दोनों देशों में करीब ८ समझौते करार हुए हैं। जिसमें ४ करार सुरक्षा एवं संरक्षण विषयक सहयोग से जुड़े होने की जानकारी देकर भारत के प्रधानमंत्री ने इस पर समाधान व्यक्त किया है। इस करार में भूकंप से तबाह हुए नेपाल में ५० हजार घरों के नए निर्माण एवं नुकसान हुए शैक्षणिक संस्थाओं का निर्माण, वैद्यकीय संस्था का निर्माण तथा परिवहन व्यवस्था में सहयोग और नशीली पदार्थों की तस्करी रोकने के बारे में सहयोग इन करारों का समावेश है।

दौरान, प्रधानमंत्री देउबा भारत दौरे पर होते समय डोकलाम में भारत एवं चीन की सेना एक दूसरे के सामने डट कर खड़े थे। इससे निर्माण हुए विवाद में चीन भारत को अनेक धमकियां देकर, भारत के विरोध में नेपाल का इस्तेमाल करने का इशारा  दे रहा है। नेपाल एवं चीन के लश्कर का युद्धाभ्यास शुरू होते हुए यह अभ्यास भारत को चेतावनी देने के लिए होने का दावा चीन के लष्करी अधिकारी ने किया था। डोकलाम विवाद में नेपाल चीन के पक्ष में भूमिका ले इसके लिए चीन से विशेष प्रयत्नशील था। पर इस विवाद में हम किसी भी पक्ष में खड़े न रहते तटस्थ रहेंगे, यह भूमिका नेपाल ने लेकर चीन को निराश किया है।

इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री देउबा का यह भारत दौरा अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया।

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