चीन और उत्तर कोरिया के साथ बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर जापान के लष्कर का बड़ा युद्धाभ्यास

जापान के लष्कर, बड़ा युद्धाभ्यास, चीन, उत्तर कोरिया, बढ़ते तनाव, टोकियो, पूर्व आशियाटोकियो: ‘सेल्फ डिफेंस फोर्सेज’ जापान के प्रमुख लष्करी पथक का युद्धाभ्यास शुरू हुआ है। ‘ईस्ट चाइना सी’ मामले में चीन के साथ बढ़ता तनाव और उत्तर कोरिया के खतरों की पृष्ठभूमि पर जापान ने इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया है। तथा भविष्य में इस खतरे का विचार करते हुए जापान के लष्कर नए मुख्यालय और अतिरिक्त लष्करी कमांड की भी स्थापना की है।

जापान के लष्कर ने इससे पहले भी ‘सेल्फ डिफेंस फोर्स’ के युद्धाभ्यास का आयोजन किया था। पर पूर्व आशिया में बढ़ते लष्कर की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर जापान का यह युद्धाभ्यास एवं अन्य रक्षा विषयक गतिविधियां महत्वपूर्ण होने का दावा चीन के अग्रणी के माध्यम कर रहे हैं। इस युद्धाभ्यास में शामिल हुए सैनिकों की संख्या उजागर नहीं हो सकी है। पर इस युद्धाभ्यास के व्यतिरिक्त जापान के रक्षा मंत्रालय ने ‘सेल्फ डिफेंस फोर्स’ में कई महत्वपूर्ण बदलाव किया है।

जापान के लष्कर, बड़ा युद्धाभ्यास, चीन, उत्तर कोरिया, बढ़ते तनाव, टोकियो, पूर्व आशियाआने वाले समय में पूर्व आशिया में संघर्ष भड़क सकता है। यह संघर्ष जमीन हवा तथा सागरी ऐसे तीनों क्षेत्रों से बढ़ने वाला है। इस युद्ध में जापान के रक्षा दल में लष्कर, नौदल, हवाई दल को एकत्रित तौर पर काम करना आवश्यक बना है, ऐसा दावा जापान के रक्षा मंत्री इत्सोनुरी आनुदेरा ने किया है।

इसके लिए अपने रक्षा दल में सभी लष्करी दल पर नियंत्रण करने के लिए जापान की रक्षा मंत्रालय ने ‘संयुक्त कमांड’ निर्माण किया है। इस कमांड अंतर्गत जापान के लष्कर के साथ ‘ऐम्फिबियस रैपिड डिप्लॉयमेंट ब्रिगेड’ यह जापान की मरीन फोर्स अर्थात सागरी सुरक्षा यंत्रणा दाखिल होने वाली है। ईस्ट चाइना सी एवं जापान के सागरी क्षेत्र मी द्विपो की सुरक्षा के लिए यह कमांड सहायक ठहरेगी ऐसा दावा जापान की रक्षा मंत्रालय कर रहे हैं।

दूसरी महायुद्ध में परास्त हुए जापान पर अमरिका ने कड़े प्रतिबंध जारी करके यह देश लष्करी रूप से फिर से सक्षम नहीं होगा, इस पर ध्यान दिया था। परमाणु युद्ध के भीषण परिणाम होने के बाद जापान ने अपनी रक्षा विषयक धारणा बचावात्मक रखी थी। पर शुरू से बढ़ रहे खतरो कि पृष्ठभूमि पर जापान ने अपने रक्षा विषयक धारणा में आक्रामक बदलाव किए हैं और इसमें रक्षा साहित्य के निर्माण एवं निर्यात का भी समावेश किया गया है।

तैवान को एफ-३५ विमान प्रदान करे – अमरिकन सीनेटर की मांग

वाशिंगटन: चीन से होने वाला खतरा ध्यान में रखते हुए अमरिका ने तैवान को एफ-३५ लड़ाकू विमानों को प्रदान होने वाले है। तैवान में जनतंत्र वाद जीवित रखने के लिए एफ-३५ की तैनाती सहायक हो सकती है, ऐसा दावा अमरिकन कांग्रेस के वरिष्ठ रिपब्लिकन सीनेटरों ने किया है।

सीनेटर एड रोईस एवं सीनेटर जेम्स एंड इनरोफ और जॉन कोर्नीन ने अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष को पत्र भेजकर यह मांग की है। पिछले ७० वर्ष में पहली बार चीन तैवान के विरोध में युद्ध की धमकियां दे रहा है। इसकी वजह से अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ने तैवान में जनतंत्र की सुरक्षा के लिए सरकारी सहायता भेजें एवं इस देश को रक्षा के लिए एफ-३५ लड़ाकू विमान प्रदान किए जाए, ऐसा आवाहन सीनेटर्स ने किया है।

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