११४. दुनिया को स्तिमित करनेवाली इस्रायल की गुप्तचरयंत्रणा

   

सन १९७८ में इजिप्त तथा इस्रायल के बीच हुए ‘कँप डेव्हिड अकॉर्डस्’ पर आधारित शांतिसमझौता अगले वर्ष हुआ| लेकिन इस्रायल के भाग में चल रहा संघर्ष तो नहीं रुका| वह जारी ही रहा; लेकिन अब उसका स्वरूप – ‘संपूर्ण युद्ध’ कम और ‘आतंकवादी तथा देशद्रोही प्रकट तथा छिपे कारनामों से मुक़ाबला’ अधिक, ऐसा बन गया था….और यहीं पर काम में आती है, इस्रायल की गुप्तचरयंत्रणा!

‘गुप्तचर’ यह संकल्पना इस्रायल के इतिहास में बहुत पहले से ही दिखायी देती है| मोझेस जब इजिप्त में से ज्यूबांधवों को लेकर ‘प्रॉमिस्ड लँड’ की अर्थात् पॅलेस्टाईन प्रांत की दिशा में निकला, तब उसने वहॉं की परिस्थिति का जायज़ा लेने के लिए अपने १२ गुप्तचरों को आगे भेजा, ऐसा उल्लेख ज्यूधर्मियों के इतिहास में देखने को मिलता है| वैसे ही, ब्रिटीश मँडेट पॅलेस्टाईन में भी जब अरबों के हमलों के विरोध में ज्यूधर्मियों की रक्षा करने के लिए ‘हॅगाना’ इस सशस्त्र संगठन की स्थापना हुई थी, तब अनौपचारिक रूप में शत्रुपक्ष की ख़बर निकालने का काम करनेवाले, उनके गुप्तचरविभाग के स्वयंसेवक भी थे ही| इस कारण गुप्तचरयंत्रणा का महत्त्व इस्रायल यक़ीनन ही जानता था|

इस कारण, सन १९४८ में जब इस्रायल स्वतंत्र हुआ, तब ही इस्रायल के पहले प्रधानमंत्री डेव्हिड बेन गुरियन ने, चारों तरफ़ से ताकतवर शत्रुराष्ट्रों से घिरे हुए इस्रायल जैसे नवजात राष्ट्र के लिए होनेवाला गुप्तचरयंत्रणा का अनन्यसाधारण महत्त्व पहचानकर आधुनिक गुप्तचरयंत्रणा की नींव रची| अहम बात यानी गुप्तचरों ने प्राप्त की जानकारी में कच्चीं कड़ियॉं ना रहें अथवा जानकारी में द्विरुक्ति (डुप्लिकेशन) ना हों, इसलिए बेन-गुरियन ने शुरुआती दौर में गुप्तचरयंत्रणा को केवल अपने ही अधिकार में रखते हुए, गुप्तचरयंत्रणाओं के विभिन्न विभागों का सुसूत्रीकरण किया|

इस्रायल की गुप्तचरयंत्रणा यह प्रायः तीन विभागों से बनी है – ‘अमान’, ‘शिन बेत’ और ‘मोस्साद’|

प्रत्येक ज्यूधर्मीय छात्र को हायस्कूल के बाद इस्रायली सेनादल में प्रशिक्षण बंधनकारक होने के कारण, आयडीएफ के ‘फिल्ड इंटेलिजन्स कॉर्प्स’ में १८-२१ साल के उम्रगुट के सदस्य बड़े पैमाने पर होते हैं, जो आधुनिक युद्धतंत्र में उपयोग में लाये जानेवाले गॅझेट्स का तथा यंत्रणों का इस्तेमाल सहजतापूर्वक कर सकते हैं|

इनमें से अमान यह ‘मिलिटरी इंटिलिजन्स’ विभाग है| सन १९५० में आयडीएफ में से ही इस विभाग का निर्माण किया गया| उस समय इस विभाग के अधिकांश लोग ये हॅगाना के गुप्तचरविभाग का अनुभव होनेवाले ही चुने गये थे| ये हालॉंकि आयडीएफ में से चुने गये हैं, मग़र फिर भी अमान यह भूदल, नौदल या हवाईदल इनमें से किसी भी सेनादल का भाग न होकर, वह स्वतंत्र विभाग है और उसका काम यह कुल मिलाकर इन तीनों सेनादलों के लिए पूरक ऐसा होता है|

अन्य किसी भी देश की गुप्तचरयंत्रणा की तरह ही, देशभर से विभिन्न स्रोतों से जानकारियॉं इकट्ठा करना, उन जानकारियों का वर्गीकरण कर उनमें से, राष्ट्रसुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण साबित हो सकनेवाली ख़ुफ़िया जानकारी का संकलन कर प्रधानमंत्री को सादर करना, संभाव्य शत्रुराष्ट्रों की राजकीय एवं लष्करी गतिविधियों पर नज़र रखना, शत्रुराष्ट्रों की आस्थापनों की टोह में रहना, भूमध्य समुद्र में होनेवाली समुद्री गतिविधियों पर नज़र रखना, अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर रेडियो सिग्नल्स कॅच करना आदि काम अमान करता है| इस्रायली गुप्तचरयंत्रणा का यह सबसे बड़ा विभाग होकर, इसमें काम करनेवाले सैनिकों की संख्या ७ से १० हज़ार बतायी जाती है|

इस अमान का एक वैशिष्ट्यपूर्ण उपविभाग यानी ‘युनिट-८२००’ – आयडीएफ का ‘सायबर डिफेन्स मॉड्युल’| एक क़िस्म का ‘लिसनिंग युनिट’ (सभी प्रकार की जानकारी विभिन्न माध्यमों के द्वारा ‘सुनता’ हुआ युनिट) होनेवाला यह मॉड्युल टीव्ही, रेडियो, अख़बार इन जैसे पारंपरिक प्रसारमाध्यमों में प्रकाशित होनेवाली जानकारी पर तो नज़र रखता ही है; साथ ही, इंटरनेट पर प्रसारित होनेवाली जानकारी भी इनकी नज़र से छूटती नहीं| इसीके साथ, रेडियोलहरें (वेव्ह्ज) सुनने का काम भी यह युनिट करता है|

इस मॉड्युल की एक और ख़ासियत यानी उसके अधिकांश सदस्य १८-२१ साल की उम्रगुट के होते हैं, जो इस मॉड्युल में उपयोग में लाये जानेवाले अत्याधुनिक गॅझेट्स का तथा यंत्रणाओं का इस्तेमाल सहजता से कर सकते हैं|

अमरिकी सेना की संवेदनशील जानकारी हॅक करनेवाले हॅकर्स के बारे में, युनिट-८२०० के तंत्रज्ञों ने अमरीका को सचेत किया होने की ख़बर न्यूयॉर्क टाईम्स में सन २०१७ में प्रकाशित हुई थी|

गुणवत्ता के मामले में युनिट-८२०० की तुलना ठेंठ अमरीका की ‘राष्ट्रीय सुरक्षा एजन्सी’ (एनएसए) के साथ की जाती है|

अत्याधुनिक जासूसी ड्रोन्स का इस्तेमाल कर संभाव्य शत्रुराष्ट्रों की राजकीय एवं लष्करी गतिविधियों पर नज़र रखना, शत्रुराष्ट्रों के आस्थापनों के टोह में रहना ये काम इस्रायली गुप्तचरयंत्रणा के द्वारा किये जाते हैं, जिनका नियंत्रण बहुत ही कुशल तंत्रज्ञों द्वारा किया जाता है|

इस्रायली गुप्तचरयंत्रणा का दूसरा महत्त्वपूर्ण अंग यानी ‘शिन बेत’ – गुप्तचरयंत्रणा का ‘इंटर्नल सिक्युरिटी’ विभाग|

इस शिन बेत का घोषवाक्य है – ‘डिफेंडर दॅट शॅल नॉट बी सीन’ अर्थात् ऐसा रक्षाकर्ता, जिसका अस्तित्व दिखायी नहीं देता| आतंकवाद, जासूसी, घातपात, देशद्रोही कारनामें, साथ ही, गोपनीय जानकारी लीक होना इन जैसीं आपत्तियों से इस्रायल की हिफ़ाज़त करना यह शिन बेत का कार्य है; और इसके लिए तंत्रज्ञान का तथा मानवी स्रोतों का इस्तेमाल कर जानकारी खोदकर निकाली जाती है|

शिन बेत का यह कार्य अत्यधिक गोपनीय पद्धति से चलता है| फिर भी, माध्यमों में प्रकाशित हुईं जानकारियों के अनुसार, शिन बेत के -अरब-अफेयर्स डिपार्टमेंट, नॉन-अरब अफेयर्स डिपार्टमेंट और प्रोटेक्टिव्ह सिक्युरिटी डिपार्टमेंट ऐसे तीन उपविभाग बताये जाते हैं|

इनमें से अरब-अफेयर्स डिपार्टमेंट प्रायः अरबों से संबंधित आतंकवाद का और घातपाती कृत्यों का मुक़ाबला करने का कार्य करता है, जिसमें वेस्ट बँक और गाझापट्टी इनमें होनेवाले आतंकवादी कारनामों का भी सामना किया जाता है|

वहीं, नॉन-अरब-अफेयर्स डिपार्टमेंट प्रायः अरबराष्ट्रों के अलावा अन्य जगत से इस्रायल को होनेवाले आतंकवादी ख़तरे का मुक़ाबला करता है|

वैसे ही, इस्रायलस्थित सरकारी ऑफिसेस, दूतावास, हवाईअड्डों जैसे आस्थापन, संशोधन आस्थापन, साथ ही, अतिउच्चपदस्थ व्यक्ति इनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी प्रोटेक्टिव्ह सिक्युरिटी डिपार्टमेंट के अधिकारक्षेत्र में होती है|

यह हालॉंकि सुरक्षा विभाग है, मग़र फिर भी वह रक्षामंत्रालय के अधिकारक्षेत्र में नहीं आता, बल्कि शिन बेत के प्रमुख ठेंठ इस्रायली प्रधानमंत्री से ऑर्डर्स लेते हैं|

लेकिन इन दो अंगों के साथ ही, इस्रायली गुप्तचरयंत्रणा का सबसे महत्त्वपूर्ण माना जानेवाला अंग यानी ‘मोस्साद’ – इस्रायल का ‘ओव्हरसीज् इंटिलिजन्स’ विभाग|

‘मोस्साद’ का मोटे तौर पर अर्थ – ‘इन्स्टिट्युट फॉर इंटिलिजन्स अँड स्पेशल ऑपरेशन्स’ ऐसा है; और गोपनीय जानकारी हासिल करना, देशहित के गोपनीय ऑपरेशन्स करना, वैसे ही आतंकवाद का मुक़ाबला करना यह मोस्साद का मुख्य कार्य है|

दुनियाभर के इस्रायल-शत्रुओं के दिलों में ख़ौफ़ पैदा करनेवाला यह मोस्साद आख़िरकार है क्या?(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.