ईरान के युद्धपोतों की अटलांटिक महासागर में आवाजाही चिंताजनक – अमरीका के रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन

अटलांटिक महासागरवॉशिंग्टन/तेेहरान – ईरान के युद्धपोतों का अटलांटिक महासागर में प्रवेश और लैटिन अमरीका में होनेवाली ईरानी हथियारों की बिक्री बहुत ही चिंताजनक बात है, ऐसा अमरीका के रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन ने जताया। गुरुवार को ईरान के युद्धपोतों ने पहली बार अटलांटिक महासागर में प्रवेश किया होने की जानकारी ईरानी नौसेना ने दी थी। ये युद्धपोत वेनेजुएला की भेंट करनेवाले होकर, उनमें हथियार होने की बात बताई जा रही है।

ईरानी नौसेना का ‘साहंद’ यह विध्वंसक और ‘फॉरवर्ड बेस’ के रूप में जाना जानेवाला ‘मकरान’ यह युद्धपोत अटलांटिक महासागर में दाखिल हुए होने की जानकारी ईरानी नौसेना ने दी है। युद्धपोत वेनेजुएला की भेंट करनेवाले हैं। ‘पॉलिटिको’ इस वेबसाइट ने दी खबर के अनुसार, इन युद्धपोतों पर ‘फास्ट अटॅक बोट्स’ होने की संभावना है। इसी खबर में, ईरानी युद्ध पोतों पर लाँग-रेंज क्षेपणास्त्र होने का भी दावा किया गया है। अमेरिका के कुछ अधिकारियों ने भी, उस पर हथियार हो सकते हैं, ऐसे संकेत दिए हैं।

अटलांटिक महासागरइस पृष्ठभूमि पर, अमरीका की संसद में हुई सुनवाई में रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन से ईरानी युद्धपोत और संभाव्य हथियारों के बारे में सवाल पूछे गए। ‘अमरीका के नजदीकी क्षेत्र में किसी भी प्रकार के शस्त्रास्त्रों का प्रसार होना, यह मेरे लिए बहुत ही गंभीर बात है। ईरान को लैटिन अमरिकी देशों में हथियारों की सप्लाई करने का मौका देना यह बहुत ही चिंताजनक उदाहरण साबित हो सकता है’, ऐसा रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा है।

अमरीका के विदेश विभाग ने भी इस बारे में तीव्र चिंता ज़ाहिर की है। ‘ईरान के युद्धपोत अगर अन्तर्राष्ट्रीय नियमों को तोड़कर हथियार ले जा रहे हैं, तो उन्हें रोकने के लिए सारी कोशिशें की जायेंगी’, ऐसी चेतावनी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राईस ने दी है। इससे पहले ट्रम्प प्रशासन के कार्यकाल में ईरान ने, वेनेजुएला को ईंधन की सप्लाई करने के लिए जहाज़ भेजे थे। अमरीका ने ईरान के चारों जहाज़ अपने कब्ज़े में लिए थे।

ईरानी युद्धपोतों के मुद्दे पर हालाँकि रक्षा मंत्री चिंता ज़ाहिर कर रहे हैं, फिर भी उन युद्धपोतों पर नज़र रखने के लिए किसी भी प्रकार की विशेष व्यवस्था नहीं की गई है, ऐसे संकेत सूत्रों ने दिए हैं। बायडेन प्रशासन ने क्युबा और वेनेजुएला की सरकारों से संपर्क करके, युद्धपोत वापस भेजने के बारे में चर्चा की होने के दावे भी सामने आ रहे हैं।

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