भारतीय सेना के ‘कॉम्बैट वीइकल’ ‘नाईट विज़न’ से सज्जित करने की गतिविधिया शुरू

नई दिल्ली – चीन ने प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शुरू की हुई उकसानेवाली हरकतों की पृष्ठभूमि पर भारतीय सेना ने लंबे संघर्ष के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू की है। इसके तहत ‘इन्फंट्री कॉम्बैट वीइकल’ का इस्तेमाल रात के अंधेरे में भी करने के लिए इन गाड़ियों को ‘नाईट विज़न’ यंत्रणा से सज्जित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। मौजूदा स्थिति में भारतीय सेना ‘बीएमपी-२/२ इन्फंट्री कॉम्बैट वीइकल्स’ का इस्तेमाल कर रही है और लद्दाख की सीमा पर इन गाड़ियों की तैनाती की गई है।

night-visionअगले दिनों में संघर्ष शुरू होने पर रात के अंधेरे में मुकाबला करने के नज़रिए से सेना ने स्वदेशी कंपनियों से ‘बीएमपी-२/२ इन्फंट्री कॉम्बैट वीइकल्स’ का आधुनिकीकरण करने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए कंपनियों से ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट’ (ईओआय) मंगाई गई है। मौजूदा स्थिति में तैनात ‘बीएमपी-२/२ के इन्फंट्री कॉम्बैट वीइकल’ फिलहाल ‘इमेज इंटेन्सिफायर टेक्नॉलॉजी’ से लैस हैं और रात के अंधेरे में इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो सकता। इसी कारण रात के दौरान मुहीम शुरू करने में रुकावटें आती हैं, यह दावा लष्करी सूत्रों ने किया।

वर्ष १९८५ में ‘बीएमपी-२/२ के इन्फंट्री कॉम्बैट वीइकल्स’ का भारतीय सेना में समावेश किया गया था। इसके बाद यह भारतीय सेना का अहम हिस्सा बने हैं। फिलहाल सेना में ८०० से अधिक ‘बीएमपी-२/२ के इन्फंट्री कॉम्बैट वीइकल’ कार्यरत हैं। रात में लड़ने की क्षमता विकसित करने पर यह लड़ाकू गाड़ियां अधिक घातक साबित होंगी, यह कहा जा रहा है। सरहदी क्षेत्र बड़ी मात्रा में ‘मशीन ऑपरेशन्स’ के लायक हैं। वर्तमान खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी क्षमता में बढ़ोतरी करनी होगी। इन गाड़ियों की क्षमता में बढ़ोतरी करने पर किसी भी चुनौती का मुकाबला करना संभव होगा, यह बात सेना की रपट में दर्ज़ है।

नई ‘बीएमपी-२/२ के इन्फंट्री कॉम्बैट वीइकल्स’ में ‘थर्ड जनरेशन थर्मल इमेजर बेस्ड गनर साईट’ और ‘ऑटोमैटिक टार्गेट ट्रैकर’ जैसी यंत्रणाओं का समावेश रहेगा। अगले दो वर्षों में प्रगत यंत्रणाओं से सज्जित ‘कॉम्बैट वीइकल्स’ सेना के बेड़े में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है, यह जानकारी सूत्रों ने साझा की। इससे पहले सेना ने जून महीने में १५६ ‘बीएमपी-२/२ के इन्फंट्री कॉम्बैट वीइकल्स’ की माँग दर्ज़ की थी। इसके लिए एक हज़ार करोड़ रुपयों से अधिक रकम का प्रावधान किया गया है और ‘ऑर्डनन्स फैक्टरी बोर्ड़’ से इसकी आपूर्ति की जाएगी।

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