भारत ‘ग्लोबल साउथ’ की समस्या ‘जी २०’ में उठाएगा – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

निकोसिया – ऊर्जा, अनाज और खाद कम कीमत में उपलब्ध होने ही चाहियें। ‘ग्लोबल साउथ’ का हिस्सा होने वाले देशों की अर्थव्यवस्ता ऊर्जा, अनाज और खाद किफायती दाम और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध ना होने से खतरे में हैं। इसकी वजह से भारत में आयोजित हो रही ‘जी २०’ परिषद में यह मुद्दा सबसे ऊपर रहेगा, ऐसा भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा है। साथ ही साइप्रस के दौरे पर गए हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने मौसम में बदलाव और कार्बन उत्सर्जन के मुद्दे पर भारत की भूमिका स्पष्ट की।

दो दिन के सायप्रस दौरे के बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने यूक्रेन युद्ध के बुरे परिणामों का अहसास गिनेचुने शब्दों में कराया। इस युद्ध की वजह से खेतों और खेती पर निर्भर निर्यात ठप हो गई है। इस पर विश्व भारी मात्रा में निर्भर होने से इसके भयंकर परिणाम विश्व को भुगतने पड़ रहे हैं। इसकी वजह से खाद्य तेल एवं शक्कर की कीमतें ५० प्रतिशत से अधिक बढ़ी हैं। इसकी वजह से महंगाई की बढ़ोतरी हुई है और यूक्रेन युद्ध की वजह से ईंधन की कीमतों में भी बडा उछाल आया है। इसके अलावा ईंधन बाज़ार में भी हो रही भारी उथल-पुथल पर भारत के विदेश मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

जिसे ग्लोबल साउथ कहा जाता है, उन दक्षिणी देशों में ऊर्जा, अनाज और खाद की किल्लत की वजह से काफी बड़ी समस्याएं खड़ी हुई हैं। इसका इसी क्षेत्र के देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर बुरा असर पड रहा है, यह कहकर जयशंकर ने इस पर गंभीर चिंता जताई है। भारत में आयोजित हो रही ‘जी २०’ परिषद में यह मुद्दा उठाकर इसे सबसे ज्यादा अहमियत दी जाएगी, यह जयशंकर ने स्पष्ट किया। इसके साथ ही वैश्विक सप्लाइ चेन को प्रभावी ढ़ंग से कार्यक्षम रखना पूरे विश्व के लिए बड़ी अहम बात है, इसका अहसास भी जयशंकर ने इस समय कराया।

साथ ही वैश्विक स्तर पर उभरे मौसम में बदलाव के संकट पर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया। यह पूरे विश्व को सताने वाली समस्या है और अब यह संकट केवल संभावना के स्तर पर नहीं रहा बल्कि, इसके प्रभाव हमें दिखने लगे हैं, ऐसी चिंता जयशंकर ने व्यक्त की। वैश्विक जनसंख्या के तकरीबन १७ प्रतिशत जनसंख्या के भारत से वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में सिर्फ पांच प्रतिशत उत्सर्जन होता है। फिर भी भारत यही कार्बन उत्सर्जन १०० प्रतिशत रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ऐसा दावा विदेश मंत्री ने किया।

बदलती जीवन पद्धती कार्बन उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार होने का बयान करके भारत के प्रधानमंत्री ने इसपर गंभीर चिंता जताई थी। साथ ही मौसम बदलाव के संकट पर गौर करके इस पर मात करने के लिए भारत ने ‘इंटरनैशनल सोलर अलायन्स’ और ‘कोलिशन फॉर डिज़ास्टर रेज़िलियन्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर’ जैसी अंतरराष्ट्रीय संगठन गठित करने की पहल की थी, इसकी याद भी विदेश मंत्री जयशंकर ने दिलाई।

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