आक्रमण को मुँहतोड़ जवाब देने का सामर्थ्य भारत के पास है – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग

गुवाहाटी – ‘भारत शांति का पुजारी है। उसी समय, आक्रमण को मुँहतोड़ जवाब देने का सामर्थ्य भी भारत के पास है। पिछले साल लद्दाख स्थित गलवान के संघर्ष में भारतीय सैनिकों ने अपने धीरज और पराक्रम का ज़बरदस्त प्रदर्शन किया था। देश के लिए जान हथेली पर लेकर लड़ते हुए बलिदान देनेवाले सैनिकों को मैं सेल्यूट करता हूँ’, ऐसा रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने कहा। गलवान के संघर्ष को एक साल पूरा होते समय, भारतीय लष्कर ने इस संघर्ष में बलिदान देनेवाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पण की। लेकिन रक्षामंत्री ने आसाम के कार्यक्रम के उपलक्ष्य में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पण की।

‘बॉर्डर रोड ऑर्गनायझेशन’ (बीआरओ) ने नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को जोड़नेवालीं लगभग १२ सड़कों का निर्माण किया है। चीन से सटी सीमा के करीबी इलाके में ये सड़कें रणनीतिक दृष्टि बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होतीं हैं। आसाम के बिलगर में इन सड़कों के राष्ट्रार्पण का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंग के साथ रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत उपस्थित थे। इस कार्यक्रम के उपलक्ष्य में रक्षा मंत्री ने बलवान के शहीदों को आदरांजली अर्पण की और उनके धीरज और पराक्रम को हम सेल्यूट करते हैं, ऐसा कहा है। इस समय भारत की नीति को रक्षामंत्री ने स्पष्ट शब्दों में प्रस्तुत किया। ‘भारत शांति का पुजारी है। लेकिन भारत पर हुए आक्रमण का मुँहतोड़ जवाब देने का सामर्थ्य भारत के पास है’, ऐसा कहकर राजनाथ सिंग ने यह एहसास करा दिया कि भारत की शांतिप्रियता को दुर्बलता ना समझें।

नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को एक-दूसरे के साथ अधिक दृढ़तापूर्वक जोड़नेवालीं, ‘बीआरओ’ ने बनाईं ये सड़कें २८५ किलोमीटर इतनी लंबाई की है। इनमें से एक सड़क अरुणाचल प्रदेश के किमिन से आसाम के पोतिन को जोड़नेवाली है। साथ ही, यहाँ का एक मार्ग लद्दाख और दूसरा जम्मू को जोड़नेवाला बताया जाता है। बाकी नौं सड़कें अरुणाचल प्रदेश के सीमाभाग में यातायात अधिक सुलभ करनेवाली हैं। इनमें से पूर्वीय सीमा को जोड़नेवाली सड़क सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण होकर, वह ‘गेम चेंजर’ साबित होगी, ऐसा विश्वास रक्षामंत्री ने व्यक्त किया।

इन सड़कों का निर्माण यानी भारत ने अपनाई ‘ऍक्ट ईस्ट’ नीति का भाग साबित होता है, ऐसा दावा रक्षामंत्री ने इस समय किया। साथ ही, बीआरओ ने सन २०१४ से ४,८०० किलोमीटर इतनी लंबाई की सड़कों का निर्माण किया होकर, यह रिकॉर्ड साबित होता है, इस पर राजनाथ सिंग ने गौर फरमाया और इसके लिए बीआरओ की प्रशंसा की। भारत की रक्षाविषयक नीति में पिछले कुछ सालों से बहुत ही महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। देश ने रक्षाबलप्रमुख पद का निर्माण किया। साथ ही, देश के लिए आवश्यक होनेवाले हथियारों का निर्माण देश में ही हों और उसकी निर्यात भी हों, ऐसा ध्येय सरकार ने सामने रखा है, इसका भी विशेष ज़िक्र इस समय रक्षामंत्री ने किया।

इसी बीच, गलवान के संघर्ष को एक साल पूरा होते समय, नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में किया यह सड़कों का निर्माण यानी भारत ने चीन को दी कड़ी चेतावनी साबित होती है। अरुणाचल प्रदेश यानी दक्षिण तिब्बत होकर वह चीन का भाग है, ऐसा चीन का दावा है। लेकिन चीन के इस दावे की भारत परवाह नहीं करता, यह इन सड़कों का उद्घाटन करके भारत के रक्षामंत्री ने दिखा दिया है।

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