भारत-फ्रान्स-यूएई त्रिपक्षीय रणनीतिक सहयोग की कृति योजना घोषित

नई दिल्ली – यूक्रेन युद्ध, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की गतिविधियां और वैश्विक स्तर की अन्य भू-राजनीतिक गतिविधियां तेज़ होने की स्थिति में भारत, फ्रान्स और यूएई ने त्रिपक्षीय सहयोग स्थापित किया है। तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने शनिवार को फोन पर चर्चा की और इस त्रिपक्षीय रणनीतिक सहयोग की योजना को लेकर अन्तिम निर्णय लिया। इसके बाद संयुक्त निवेदन जारी करके तीनों देशों के रणनीतिक सहयोग की कृति योजना घोषित की गई। रक्षा और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में तीनों देश अधिक मज़बूती से सहयोग करेंगे और आर्थिक, प्रौद्योगिकी मोर्चे पर भी भागीदारी बढ़ाएंगे।

भारत-फ्रान्स-यूएई की पिछले वर्ष सितंबर में पहली त्रिपक्षीय चर्चा हुई थी। इससे पहले जुलाई में पहली बार इन देशों ने त्रिपक्षीय सहयोग स्थापित करने का ऐलान किया था। पिछले कुछ महीनों में विश्व में बड़ी तेज़ी से भू-राजनीतिक गतिविधियां जारी हैं। इसकी वजह से कई गुट तैयार हो रहे हैं और भारत-फ्रान्स-यूएई के रूप में नया त्रिपक्षीय गुट पिछले साल बना था।

तीनों देशों के समान हितों के मद्देनज़र यह सहयोग स्थापित किया गया है। भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर, फ्रान्स के विदेश मंत्री कैथरिन कॉलोना और यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन ज़ायद अल-नह्यान ने शनिवार को इस त्रिपक्षीय सहयोग की कृति योजना पर अन्तिम निर्णय लेने के लिए और इसे लागू करने के लिए फोन पर चर्चा की। भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने सोशल मीडिया से इससे संबंधित जानकारी सार्वजनिक की। तीनों देश विभिन्न स्तरों पर, विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग मज़बूत करेंगे।

भारत-यूएई, यूएई-फ्रान्स, भारत-फ्रान्स का द्विपक्षीय सहयोग पहले से मज़बूत हैं। अब त्रिपक्षीय सहयोग के ज़रिये यह देश एक-दूसरे के बीच रणनीतिक भागीदारी बढ़ा रहे हैं।विशेषरूप से रक्षा और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहयोग बढ़ाया जाएगा। तीनों देशों के रक्षाबलों में विभिन्न स्तर का सहयोग बढ़ाना तय हुआ है। साथ ही तीनों देशों की अन्न सुरक्षा, सर्क्युलर इकॉनॉमी’ में एकसाथ काम करने का निर्णय लिया गया है। प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और मौसम के बदलाव जैसे मुद्दों पर भी त्रिपक्षीय सहयोग मज़बूत किया जाएगा।

इसके अलावा भविष्य में महामारी की बिमारियों का खतरा भांपकर इस क्षेत्र में भी भारत-फ्रान्स-यूएई एकत्रित काम करेंगे। आगे के दिनों में कोरोना से भी महाभयंकर महामारी फैलेगी, ऐसी चेतावनी विशेषज्ञ बार-बार दे रहे हैं। कोरोना का विषाणु जैविक युद्ध का हिस्सा था, यह आरोप पहले ही लगाए गए हैं। साथ ही भविष्य में ऐसे जैविक युद्ध का खतरा हो सकता है, ऐसी चेतावनियां विशेषज्ञ लगातार बयान कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर भविष्य की महामारियों के खतरों का मुकाबला करने के लिए सहयोग स्थापित करने का तीनों देशों की कृतियोजना का निर्णय बड़ी अहमियत रखता है।

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