डॉ.होरेस डॉब्ज

अक्तूबर २००९ में डॉल्फिन को भारत के ‘राष्ट्रीय जलचर’ के रूप में घोषित किया गया। डॉल्फिन का संवर्धन हो इसी उद्देश्य से यह किया गया। दुनिया भर में डॉल्फिन का नामोंनिशान मिटने न पाए और इस बुद्धिमान सस्तन प्राणि की वृद्धि हो इसी लिए प्रयत्नशील रहने वाले संशोधक के रूप में डॉ. होरेस डॉब्ज की अपनी एक अलग ही पहचान है।

द डॉल्फिन मैनके रूप में पहचाने जानेवाले डॉ. होरेस का जन्म इंग्लैंड के नॉर्थ फेरिबी नामक स्थान पर हुआ। डॉल्फिन का अभ्यास करनेवाले आधुनिक शास्त्रज्ञों में से वे एक अग्रणी शास्त्रज्ञ हैं, डॉ. होरेस के जीवन की दिशा ही डॉल्फिन मछलियों ने बदल डाली। १९६३ में डॉ. होरेस ने ऑक्सफर्ड अंडरवॉटर रिसर्च ग्रुप की स्थापना की। केमेरा अंडरवॉटरयह उनकी पुस्तक एक अच्छे मार्गदर्शक के रूप में मशहूर थी। वे डॉक्टरेट होरेस रॉयल सोसायटी ऑफ मेडिसिन के सदस्य थे, इस प्रकार सम्मान प्राप्त व्यक्ति बहुत कम ही मिलते हैं।

वेदनाओं पर काम करनेवाले ड्रग्ज एवं उसका परिणाम एवं विशेष तौर पर मानवी मस्तिष्क पर होनेवाले परिणामों के संबंध में संशोधन डॉ. होरेस कर रहे थे। डॉल्फिन के अधिकाधिक निरीक्षण के पश्चात उन्हें उनके मस्तिष्क में क्या चल रहा है इस बारे में उनका कौतूहल बढ़ने लगा, परन्तु अचानक वह संशोधन करने वाली संस्था बंद हो गई। होरेस के पास अन्य संशोधन हेतु अवसर सामने से चलकर आये, परन्तु डॉल्फिन का अध्ययन, संशोधन आदि के साथ साथ डॉ. होरेस डॉल्फिनमय हो गए थे। प्रेमल पत्नी, दो बच्चे, बैद्यकीय संशोधन, अच्छी तनख्वा़ह, छायाचित्र बनाने का शौक, स्क्युबा डायविंग की चाह इस प्रकार से चलने वाली डॉ. होरेस के जीवन की दिशा ही बदल गई। डॉल्फिन की चाह में डॉ. होरेस ने संशोधन एवं उनकी पत्नी ने इस बात का निश्चय किया कि इस जि़द़ को पूरा करने के लिए नौकरी करेंगे।

डॉल्फिनों से पानी की गहराई में जाकर मिलना है तो इसके लिए स्क्युबा डायविंग आना आवश्यक होता है। डॉ. होरेस एवं उनका बेटा ऍशली पानी के गहराई में डॉल्फिन के चित्र निकालने के लिए जाते थे उस वक्त डोनाल्ड नामक डॉल्फिन के साथ उनकी अच्छीखासी दोस्ती हो गई थी और वह डॉल्फिन भी उन्हें अच्छी तरह पहचानने लगा था, वह उनके बेटे को अपने सिर पर बिठाकर पानी में चक्कर लगाकर डॉ. होरेस के पास लाकर छोड़ देता था। यह घटना भी इस अभ्यास के लिए कारणीभूत साबित हुई। केंब्रिज महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. रिचर्ड हॅरिसन (FRS) समुद्र में रहने वाले सस्तन जलचर, विशेष तौर पर व्हेल, डॉल्फिन के अभ्यासक थे। डॉ. होरेस को संशोधन के काम में उनसे काफी सहायता मिली। डॉ. होरेस ने १९७९ में डॉल्फिन स्पॉटर्स नामक हँडबुक प्रसिद्ध की। केंब्रिज महाविद्यालय के अभ्यास क्रम में वह काफी उपयोगी साबित हुई। मानसिक साथ ही शारीरिक विकलांग होने वाले बच्चों के लिए विशेष तौर पर तैयार किया गया हीलिंग डॉल्फिननामक यह कार्यक्रम काफी प्रसिद्ध हुआ था।

डॉ. होरेस के मतानुसार डॉल्फिन यह एक होशियार एवं प्रेमी प्राणि है। शरीर की तुलना में उनका मस्तिष्क भी मानवी मस्तिष्क के इतना ही होता है। मुसीबत में फँसे मनुष्यों की सहायता करने के प्रति डॉल्फिन के अनेकों उदाहरण है। पानी में आनेवाले मनुष्यों के प्रति उनको विशेष लगाव रहता है। प्रग्ल्भ बुद्धि के बगैर असल में विनोद नहीं होता और डॉल्फिनों में भी मनुष्य के समान विनोदी बुद्धि होती है। रबड़ की नौका में एक ही व्यक्ति के द्वारा बैठकर पतवार चलाने की प्रतियोगिता थी, इस प्रतियोगिता में किसी भी हालत में हार ही जायेगी ऐसी नौका को यह डोनाल्ड नामक डॉल्फिन जोरों के साथ ढकेलते हुए आगे ले गई और वह नौका प्रतियोगिता जीत गई। भगवान की सहायता से ही इस प्रकार की विजय प्राप्त होती है, ऐसा उन आयोजकों का मानना था, परन्तु भगवान के मदद में डॉल्फिन द्वारा की गई मदद आती है या नहीं इस बात को लेकर वहाँ पर विवाद छिड़ गया। डॉ. होरेस का पानी में गिर गया हुआ केमेरा भी ढूँढकर देने में डॉल्फिन ने ही मदद की।

आज डॉल्फिन के प्रेमी स्वभाव की जानकारी होने के बावजूद भी उनकी हत्या की जाती है। जापान, कोरिया जैसे देशों में डॉल्फिन को खाया भी जाता है। समुद्र में होने वाले प्रदूषण का भी उन पर परिणाम होता है। भारत में भी कुछ किनारों पर उनका शिकार किया जाता था। स्वच्छंद एवं आनंदित रहने वाले इन प्राणियों को देखकर आत्महत्या करने के इरादे से जाने वाले कितने ही लोगों के इरादे बदल गए हैं। डॉल्फिनों को उनके इलाके में घटित होनेवाली हर एक बातों के प्रति कौतूहल रहता है। इंटरनेशनल डॉल्फिन वॉचनामक यह संस्था डॉ. होरेस ने शुरू की है। इसी में से डॉल्फिन लिंक प्रोजेक्ट का जन्म हुआ। डिप्रेशन के शिकार मनुष्यों का उपचार करने के लिए डॉल्फिन का उपयोग कैसे किया जा सकता है इस विषय पर संशोधन करने का विचार डॉ. होरेस ने किया। होरेस एवं उनके सहकर्मी संपूर्ण जगत् में चल रहे डॉल्फिन के संशोधन में से एक जानकारी कोश तैयार कर रहे हैं। आबूधाबी के नज़दीकी डॉल्फिन टोली के सदस्यों के परस्परसंबंधित आचरण का अध्ययनइस प्रकार का प्रबंध प्रसिद्ध करने वाले डॉ. होरेस के पास विश्राम करने हेतु भी अवकाश नहीं रहता है, क्योंकि डॉ. होरेस डॉल्फिनॉलॉजिस्ट बन गए हैं।

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