यूरोपिय देश कर्जे में डूब रहे हैं – खर्चे के नियमों पर चर्चा करने के लिए यूरोपिय नेताओं की शीघ्रता होगी बैठक

ब्रुसेल्स – कोरोना संकट और यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपिय देशों की अर्थव्यवस्था लगातार फिसलकर कमज़ोर हो रही हैं। पोलैण्ड, रोमानिया और हंगरी जैसे पूर्व यूरोपिय देश कर्जे में डुब रहे हैं और उन्होंने पहले की तुलना में बाज़ार से तीन गुना अधिक कर्ज उठाया है, ऐसी जानकारी अमरीका की शीर्ष वृत्तसंस्था ने साझा की। यूरोपिय महासंघ इस नए आर्थिक संकट से चौकन्ना हुआ हैं और 1990 के दशक में बनाए खर्चे के नियमों में बदलाव करने के लिए शीघ्रता से बैठक बुलाई हैं।

उभरते बाज़ार होनेवाले कर्जदार देशों की सूची हाल ही में जारी हुई। इनमें ईंधन समृद्ध सौदी अरब सबसे आगे हैं। पूर्व यूरोप के देशों ने भी इस वर्ष लगभग 32 अरब डॉलर्स कर्ज प्राप्त करने की जानकारी इसमें दर्ज़ है। इसके अलावा इस सूची के पहले पांच स्थानों पर बने देशों में यूरोप के पोलैण्ड, रोमानिया और हंगीर का समावेश है। उभरते बाजार बने कर्जदार देशों की सूची में सौदी के बाद दूसरे स्थान पर बने पोलैण्ड ने नौ अरब डॉलर्स का कर्ज़ उठाया है। छह अरब डॉलर्स कर्ज प्राप्त करनेवाला रोमानिया चौथे और पांच अरब डॉलर्स कर्जा उठाने वाला हंगरी पांचवे स्थान का देश बना है।

यूरोपिय देशों के इस कर्जे के लिए महासंघ की आर्थिक नीति, खर्चे के नियम ज़िम्मेदार होने की आलोचना हो रही है। रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण उभरे ईंधन संकट का हल निकालने के लिए यूरोपिय देशों ने जनता के लिए सहुलियत देने का ऐलान किया था। साथ ही इस युद्ध की वजह से पड़ोसी देशों से पहुंच रहे शरणार्थियों की व्यवस्था करना और सैन्य ताकत खड़ी करने में भी यूरोपिय देशों का खर्चा बढ़ा है, इसपर अमरिकी वृत्तसंस्था ने ध्यान आकर्षित किया।

यूरोपिय देशों को चार से पांच प्रतिशत ब्याज से इस कर्जे का भुगतान करना हैं। इस वजह से इन देशों के लिए आनेवाला समय अधिक कठिन सवाल खड़े करेगा। यह सिर्फ इन तीन देशों का मसला नहीं हैं, बल्कि अन्य यूरोपिय देश भी मौजूदा समय में आर्थिक संकट का मुकाबला कर रहे हैं। इससे मार्ग निकालने के लिए 1990 के दशक में यूरोपिय देशों ने बनाए खर्चे के नियम बदलने की आवश्यकता है, ऐसा महासंघ के वरिष्ठ अधिकारी कह रहे हैं। इसके लिए महासंघ के वरिष्ठ नेता शीघ्रता में बैठक करेंगे।

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