एलॉन मस्क की ‘स्टारलिंक’ के खिलाफ चीन कुल १३ हज़ार उपग्रहों का नेटवर्क बनाएगा

बीजिंग – एलॉन मस्क की ‘स्पेसेक्स’ कंपनी द्वारा स्थापित ‘स्टारलिंक सैटेलाईट इंटरनेट नेटवर्क’ के खिलाफ चीन ने दहाड़ लगाई है। पिछले साल चीनी सेना ने अपने वैज्ञानिकों को ‘स्टारलिंक’ के खिलाफ शस्त्र विकसित करने के निर्देश देने की जानकारी सामने आयी थी। इसके बाद अब चीन की हुकूमत ने ‘स्टारलिंग’ का प्रभाव खत्म करने के लिए अंतरिक्ष में कुल १३ हज़ार उपग्रहों का नेटवर्क स्थापित करने का निर्णय लिया है। चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ से संबंधित वैज्ञानिक और कंपनी द्वारा इसका कार्यान्वयन होगा।

मस्क की ‘स्पेसेक्स’ कंपनी ने लगभग तीन हज़ार छोटे सैटेलाइटस्‌‍ अंतरिक्ष में स्थापित किए हैं। पृथ्वी की कक्षा अर्थात ‘लो ऑर्बिट’ में स्थापित यह उपग्रह विश्व के कोने-कोने में तेज़ इंटरनेटे सेवा प्रदान करने की क्षमता के हैं। ‘स्टारलिंग’ के तहत पृथ्वी की कक्षा में लगभग ४० हज़ार छोटे उपग्रह स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना मस्क ने तैयार की है। इसके लिए समय सीमा अभी निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन इस पर कार्यवाही शुरू होने का बयान मस्क ने किया है।

पिछले साल फ़रवरी में रशिया ने यूक्रेन पर हमला किया था। रशिया के इस सैन्य अभियान के दौरान रशियन रक्षा बलों ने यूक्रेन में सैटेलाईट कम्युनिकेश और इंटरनेट सेवा प्रदान करने की यंत्रणा ध्वस्त कर दी थी। इसकी वजह से यूक्रेनी सेना के पास स्वतंत्र सैटेलाइट संपर्क यंत्रणा उपलब्ध नहीं थी। अमरिकी रक्षा विभाग ने मस्क को निर्देश देकर ‘स्टारलिंक नेटवर्क’ की सेवा यूक्रेनी सेना को मुहैया करने के लिए कहा था। इसके लिए मस्क ने अब तक लगभग १० करोड़ डॉलर्स से अधिक खर्च किया है।

स्टारलिंक ने यूक्रेन युद्ध में साबित की हुई क्षमता और अमरिकी रक्षा विभाग से जारी सहयोग की वजह से चीन खौफ में है। स्टारलिंक की वजह से अंतरिक्ष में अपने वर्चस्व को खतरा होने की संभावना चीनी वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारियों ने जताई थी। इसकी वजह से अब चीन ने ही स्टारलिंक को चुनौती देने के लिए १३ हज़ार उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित करने की योजना बनायी है। चीन की ‘स्पेस इंजिनियरिंग युनिवर्सिटी’ के वैज्ञानिक शु कैन और चायना सैटेलाइट नेटवर्क ग्रूप कंपनी द्वारा इस योजना का कार्यान्वनय होगा, यह जानकारी हाँगकाँग स्थित ‘साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट’ नामक अखाबर ने प्रदान की।

कुछ महीने पहले रशिया ने भी जैमिंग और सायबर हमलों के माध्यम से ‘स्टारलिंक’ की सेवा नाकाम करने की कोशिश की थी, ऐसा वृत्त प्रसिद्ध हुआ था।

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