गलवान वैली के संघर्ष को लेकर चीन की आलोचना करनेवाले प्रस्ताव को अमरिकी संसद की मंज़ुरी

वॉशिंग्टन/नई दिल्ली – अमरीका की संसद में मंज़ूर हुए ‘नॅशनल डिफेन्स ऑथोरायझेशन ऍक्ट’ (एनडीएए) में, भारत की गलवान वैली में हुए झालेल्या संघर्ष को लेकर चीन को खरी खरी सुनाई है। यह संघर्ष चीन की युद्धखोरी के कारण भड़का, यह बताकर, इसकी पूरी ज़िम्मेदारी चीन की ही होने का दावा इस प्रस्ताव में किया गया है। यह प्रस्ताव अमरीका के ‘एनडीएए’ का भाग बना होकर, ‘एनडीएए’ का अब क़ानून में रूपांतरण हुआ है।

गलवान वैली में चीन के लष्कर ने आकस्मिक हमला करके भारत के २० सैनिकों को शहीद किया था। इस संघर्ष में कर्नल संतोष बाबू समेत २० सैनिक शहीद होने पर भारत में चीन के विरोध में ग़ुस्से की तीव्र लहर आयी थी। इस संघर्ष में चीन के जवान भारतीय सैनिकों से भी अधिक संख्या में मारे गये होने की ख़बर है। लेकिन चीन ने इस संख्या को सार्वजनिक करने से इन्कार किया। साथ ही, यह संघर्ष भारतीय लष्कर की आक्रामकता के कारण शुरू हुआ, ऐसा आरोप चीन ने किया था। लेकिन आन्तर्राष्ट्रीय जनमत भारत के समर्थन में खड़ा रहा है और इस मामले में अमरीका ने भी भारत का समर्थन किया दिख रहा है।

चीन भारत से सटे सीमाक्षेत्र में लगातार आक्रामकता का प्रदर्शन कर रहा है, ऐसा दोषारोपण अमरिकी संसद में प्रस्तुत किये ‘एनडीएए’ में किया गया था। दोनों देशों की सीमा पर की स्थिति सामान्य स्तर पर ले आने के लिए अब चीन ने ही पहल करनी होगी। यहँ की स्थिती बल का इस्तेमाल करके बदलने की कोशिश चीन ना करें, ऐसी टिप्पणियाँ ‘एनडीएए’ में की गयीं हैं।

साथ ही, भूतान जैसे छोते देश के भूभाग पर चीन ने ठोके दावें आन्तर्राष्ट्रीय नियमों का भंग करनेवाले हैं। इससे इस क्षेत्र में अस्थिरता फ़ैल रही होने की आलोचना भी ‘एनडीएए’ में की गयी थी।

साऊथ चायना सी और ईस्ट चायना सी क्षेत्र में, चीन की ख़ुराफ़ातों का भी ज़िक्र इसमें किया गया है। अमरीका के कॉग्रेसमन राजा कृष्णमूर्ती ने चीन की आलोचना करनेवाला प्रस्ताव संसद में प्रस्तावित किया था। इसको अमरीका की संसद में मिली मान्यता यही साबित कर रही है कि भारत जैसे महत्त्वपूर्ण सहयोगी देश के पीछे अमरीका डटकर खड़ी है। भारत समेत अपने अन्य साझेदार देशों के बारे में अमरीका का उत्तरदायित्व इससे अधिक प्रकर्षता से सामने आयेगा, ऐसा विश्‍वास कृष्णमूर्ती ने व्यक्त किया।

इसी बीच, भारत और चीन के बीच के विवाद में अमरीका ने भारत का पक्ष लेकर, लद्दाख की एलएसी पर का विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव भी दिया था। भारत ने यह प्रस्ताव नकारा था। लेकिन चीन ने गलवान वैली में क़ायर हमला करके भारत का फिर एक बार विश्‍वासघात किया। इसके दीर्घकालीन परिणाम चीन को भुगतने पड़ेंगे, ऐसा भारत द्वारा लगातार जताया जा रहा है। भारत का चीन के साथ होनेवाला व्यापारी सहयोग इससे ख़तरे में आया है। आनेवाले समय में चीन भारत के मार्केट का फ़ायदा नहीं उठा सकेगा, ऐसा संदेश चीन को भारत द्वारा दिया जा रहा है।

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