सोरस के आरोपों पर भारतीय विदेश मंत्री का करारा प्रत्युत्तर

नई दिल्ली – जॉर्ज सोरस वृद्ध, धनिक, बड़े ज़िद्दी और खतरनाक हैं। वे सिर्फ वृद्ध, धनिक और बड़े ज़िद्दी होते तो उनको नज़रअंदाज़ किया जा सकता था। लेकिन, न्यूयॉर्क में बैठकर विश्व को अपने ढ़ंग से चलाने के लिए सोरस अपने स्रोत इस्तेमाल कर रहे हैं। यह काफी घातक है और इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। सोरस को भारत लोकतांत्रिक देश होने की बात मंजूर है। लेकिन, इस लोकतांत्रिक देश का लोकनियुक्त नेतृत्व स्वीकार नहीं है। इसका मतलब लोकतंत्र के चुनावों से अपनी उम्मीद के अनुसार नतीजे आएं तब ही वह लोकतंत्र है वरना वह लोकतंत्र नहीं है, यही सोरस का दावा है। इस दावे के पीछे यूरोप-अमरीका की वर्चस्ववादी मानसिकता है, ऐसी कड़ी आलोचना विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने की। 

जॉर्ज सोरसऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए हुए विदेश मंत्री जयशंकर से जॉर्ज सोरस द्वारा भारत के प्रति किए गए बयान पर सवाल पूछा गया था। भारत के लोकतंत्र और नेतृत्व पर सवाल करके सोरस ने भारत में नेतृत्व बदलने के मुद्दे पर आपत्तिजनक और उकसानेवाले बयान किए थे। इसका दाखिला देते हुए जॉर्ज सोरस खतरनाक होने का दावा विदेश मंत्री ने किया। पश्चिमी देश दूसरे देशों में सत्ता परिवर्तन करने के लिए साज़िश रचते हैं, यह हमने सुना है। यही प्रकार लोकतंत्र को बचाने के नाम से जॉर्ज सोरस भारत में करने की मंशा रखते हैं। इसके लिए सोरस अपनी संपत्ति और अपनी संस्थाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, यह बहुत ही घातक बात है क्योंकि, १४० करोड़ जनसंख्या वाले देश को किसे अपना नेता चुनना है, यह तय करने की कोशिश सोरस कर रहे हैं, ऐसे तीखे शब्दों में जयशंकर ने सोरस के कथित उदारवाद पर हमला किया। 

इससे पहले सोरस ने भारत अपने देश के लाखों इस्लामधर्मियों की नागरिकता रद्द करने की तैयारी में होने के झुठे आरोप लगाए थे। ऐसा नहीं हुआ और सोरस का दुष्प्रचार बाद में स्पष्ट हुआ। लेकिन, ऐसे दुष्प्रचार की वजह से भारत में तनाव बढ़ने का खतरा होता है, इसका अहसास भारत के विदेश मंत्री ने कराया। इसके ज़रिये सोरस की विश्वासार्हता पर ही विदेश मंत्री ने सवाल उठाए और सोरस की भारत विरोधी साज़िश पर ध्यान आकर्षित किया।

इसी बीच, सोरस ने भारत के खिलाफ बयान पर पूरे देश से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और सोशल मीडिया पर सोरस के विवादित इतिहास बयान किया जा रहा है। ९० के दशक में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड का घात करके सोरस ने अरबों डॉलर्स कमाए थे। साथ ही थायलैण्ड, मलेशिया, इंडोनेशिया, जापान और रशिया की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुँचाया, ऐसा आरोप सोरस पर लगाया गया था। इस पर जवाब देते हुए सोरस ने कहा था कि, हमारे आर्थिक कारोबार का सामाजिक प्रभाव क्या होता है इसकी हम परवाह नहीं करते। इस साक्षात्कार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। विश्व को उदारवाद और लोकतंत्र के पाठ पढानेवाले जॉर्ज सोरस ने इस साक्षात्कार में ‘हम पैसे कमाने वाले उद्यमी हैं और पैसा कमाना ही हमारा ध्येय है’, ऐसा स्पष्ट कह रहे हैं। इसका दाखिला देते हुए सोरस की भारतीय लोगों ने कड़ी आलोचना की है।

रशियन माध्यमों ने भी सोरस को लोकतंत्र नहीं, बल्कि पहले की वैश्विक व्यवस्था बचानी है और इसी कोशिश में वे हैं, यह आरोप लगाया है।

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