रशियन राष्ट्राध्यक्ष का दौरा भारत की विदेश नीति की संप्रभुता साबित करता है – पाकिस्तानी पत्रकारों ने की सराहना

नई दिल्ली – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन सोमवार के दिन भारत की यात्रा पर आ रहे हैं| साथ ही दोनों देशों की ‘टू प्लस टू’ चर्चा होगी और अमरीका के साथ सहयोग बढ़ाते समय भारत रशिया के साथ ताल्लुकात तोड़ने के लिए तैयार नहीं है, इससे पूरे विश्‍व यही संदेश को प्राप्त हुआ है| एक ही समय पर अमरीका और रशिया के साथ संबंध और सहयोग जारी रखकर भारत ने रणनीतिक संप्रभुता और संतुलन क्या होता है, यह सबको दिखा दिया, इसका स्वीकार करने के लिए भारत का द्वेष करने वाले पाकिस्तान के पत्रकार भी मज़बूर हुए हैं| साथ ही भारत की यात्रा पर आ रहे रशियन राष्ट्राध्यक्ष पाकिस्तान की ओर देखने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं, यह अफसोस भी इन पत्रकारों ने व्यक्त किया है|

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ६ दिसंबर के दिन यात्रा पर भारत आ रहे हैं और उनके इस एक दिवसीय दौरे में दोनों देशों के बीच अहम चर्चा और सहयोग की उम्मीद है| भारत और रशिया के विदेशमंत्री और रक्षामंत्रियों की ‘टू प्लस टू’ चर्चा शुरू हो रही है| इससे पहले भारत ने अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ ‘टू प्लस टू’ चर्चा की थी| लेकिन, भारत का पारंपारिक मित्रदेश रशिया के साथ ऐसी चर्चा नहीं हुई थी| इसी वजह से इन दोनों देशों के बीच इस चर्चा की अहमियत बढ़ गई है और इस पहली ‘टू प्लस टू’ चर्चा के अवसर पर राष्ट्राध्यक्ष पुतिन भारत की यात्रा पर आ रहे हैं|

रशिया से खरीदी गई ‘एस-४०० ट्राईअम्फ’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा जल्द ही भारत को प्रदान की जाएगी, यह जानकारी रशिया ने प्रदान की थी| साथ ही भारत रशियन निर्माण के ‘एके-२०३’ रायफल भी खरीदेगा| इसके लिए ६८ करोड़ डॉलर्स से अधिक राशि का समझौता किया गया है और बीते महीने केंद्रीय मंत्रिमंड़ल की ‘डिफेन्स एक्विज़ीशन काऊन्सिल’ ने इसे मंजूरी प्रदान की थी| उत्तर प्रदेश के अमेठी में इस रायफल का निर्माण किया जाएगा और दोनों देशों के इस सहयोग के ज़रिये भारतीय सेना को तकरीबन ७.५ लाख रायफल्स प्रदान होंगे| इनमें से पहले ७० हज़ार रायफल्स का निर्माण रशिया में बने पूर्जों से किया जाएगा| इसके बाद पूरी तरह से भारत में बनाए जानेवाले पूर्जों से इन रायफल्स का निर्माण किया जाएगा|

इन रायफल्स के लिए रशिया ने भारत को तकनीक प्रदान करने का निर्णय किया है| यह भारत-रशिया सहयोग बरकरार होने की बात दर्शाती है| कुछ महीने पहले रशिया ने भारत के क्वाड समावेश पर आपत्ति जताई थी| साथ ही भारत अमरीका से कर रहे सैन्य सहयोग पर भी रशिया नाराज़ होने की बात छुपी नहीं रही| लेकिन भारत ने अपनी कृति से रशिया को आश्‍वस्त किया हुआ दिखता है|

तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बातचीत की थी| अफ़गानिस्तान की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए दोनों देशों ने पैनल बनाने की खबरें भी प्राप्त हुई थीं| सितंबर में रशिया के सुरक्षा सलाहकार निकोलाय पत्रुशेव ने भारत आकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर बातचीत की थी| कुछ हफ्ते पहले भारत ने अफ़गानिस्तान के विषय में आयोजित की हुई चर्चा में रशिया शामिल हुई थी| रशिया के सक्रिय समावेश की वजह से भारत द्वारा आयोजित यह चर्चा कामयाब होने की बात कही जा रही है|

इसका पाकिस्तान ने संज्ञान लिया है और भारत की लगातार आलोचना करने वाले पाकिस्तानी पत्रकार एवं विश्‍लेषकों ने भी भारत की विदेश नीति की सराहना की है| एक देश के साथ संबंध बनाए रखने के लिए अन्य देश के सहयोग से इन्कार करनेवाले पाकिस्तान को इससे काफी कुछ सिखने जैसा है| भारत एक ही समय पर अमरीका और रशिया के साथ अच्छे संबंध बनाए रख सकता है| केवल इतना ही नहीं बल्कि, ईरान और इस्रायल के साथ भी भारत ने सहयोग स्थापित किया है, इस ओर पाकिस्तानी विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं|

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