रशिया-यूक्रैन युद्ध के कारण विश्‍व स्तर पर ‘फुड क्राइसिस’ निर्माण होगा – संयुक्त राष्ट्रसंघ का इशारा

रोम – रशिया-यूक्रैन युद्ध की वजह से अनाज के साथ खाद की कीमतों में भारी उछाल आया है| इससे अगले दिनों में अनाज की समस्या अधिक गंभीर होगी| ऐसी स्थिति में ‘ग्लोबल फुड क्राइसिस’ का सामना करना पड़ेगा, यह इशारा संयुक्त राष्ट्र संगठन के ‘फुड ऍण्ड एग्रिकल्चर ऑर्गनाइजेशन’ (एफएएओ) ने दिया| विश्‍व स्तर पर फिलहाल अनाज एवं खाद की कीमतें विक्रमी स्तर पर पहुँची हैं| इसका असर कुछ देशों में दिखाई दे रहा है| ऐसी स्थिति में यह संकट अधिक खतरनाक हो जाएगा, ‘एफएओ’ के इस इशारे की गंभीरता बढ़ रही है|

रशिया-यूक्रैन युद्ध के कारण विश्‍व स्तर पर ‘फुड क्राइसिस’ निर्माण होगा - संयुक्त राष्ट्रसंघ का इशारा‘फुड ऍण्ड एग्रिकल्चर ऑर्गनाइजेशन’ (एफएएओ) ने पिछले हफ्ते रपट जारी की| इसमें अनाज के अलावा खाद की कीमतों में आए हुए उछाल का खास तौर पर ज़िक्र किया गया है| मार्च २०२२ में ‘एफएओ’ का ‘फुड प्राईस इंडेक्स’ १५९.३ के विक्रमी स्तर पर पहुँचा| ‘एफएओ’ ने निदेशांक की जानकारी रखने के बाद यह सर्वोच्च स्तर दर्ज़ हुआ है| फ़रवरी की तुलना में इस निदेशांक की १७.९ अंक बढ़ोतरी हुई है और यह भी एक उच्चांक ही है|

अनाज की कीमत भारी मात्रा में बढ़ी है| गेहूँ, मकई एवं बार्ली की कीमतों में बढ़ोतरी विक्रमी होने का बयान ‘एफएओ’ ने किया है| गेहूँ की कीमत २० प्रतिशत से अधिक और मकई की कीमत १९ प्रतिशत बढ़ी है| सबसे ज्यादा बढ़ोतरी खाने के तेल की कीमतों में हुई है| मात्र एक महीने में यह तेल २३.२ प्रतिशत महंगा हुआ है| दूध और दूध के उत्पादन, मांस एवं शक्कर की कीमतों में भी भारी बढ़ोतरी के साथ विक्रमी स्तर पर पहुँची हैं, ऐसा ‘एफएओ’ ने कहा है|

अनाज के साथ ही खाद की कीमत में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है और रशिया एवं बेलारुस पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से इसकी आपूर्ति पर असर पड़ा है| खाद के बाज़ार में रशिया का हिस्सा भारी १३ प्रतिशत है| रशिया के निर्यात को लक्ष्य करने से करीबी समय में खाद की किल्लत निर्माण होगी और इससे वैश्‍विक स्तर पर खेती को नुकसान पहुँच सकता है, यह दावा वर्ल्ड बैंक ने किया है|

रशिया-यूक्रैन युद्ध के कारण विश्‍व स्तर पर ‘फुड क्राइसिस’ निर्माण होगा - संयुक्त राष्ट्रसंघ का इशारारशिया और यूक्रैन का ज़िक्र विश्‍व के ‘ब्रेडबास्केट’ के नाम से किया जाता है| गेहूँ, अनाज, मकई, सूरजमुखी के उत्पादन में यही देश आगे हैं| विश्‍व में अनाज़ के कुल निर्यात में से १४ प्रतिशत निर्यात रशिया और यूक्रैन से होता है| दोनों देशों के बीच युद्ध की वजह से अब यह निर्यात प्रभावित हुआ है| इसका असर कुछ देशों में स्पष्टरूप से दिखाई देने लगा है|

एशिया, अफ्रीका और खाड़ी के गरीब देश रशिया एवं यूक्रैन से आयात अधिकतम अनाज एवं खाद पर भारी निर्भर हैं| इसकी वजह से इन देशों में ‘फुड क्राइसिस’ यानी अनाज की किल्लत सामने आ रही है, ऐसा इशारा ‘एफएओ’ के अधिकारी ने दिया| आर्थिक संकट के साथ ही अनाज और धान की किल्लत एवं महंगाई से क्रोधित जनता सड़कों पर उतरकर अपनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है| इन प्रदर्शनों से ही आगे दंगे भड़केंगे और इन पर काबु पाना गरीब और अविकसित देशों के साथ ही प्रगत देशों के लिए भी एक चुनौती होगी| ‘एफएओ’ ने अपनी रपट के माध्यम से पूरे विश्‍व को इस भीषण सच्चाई का अहसास कराया है|

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