तुर्की में ‘गैस हब’ बनाने का रशिया का प्रस्ताव

मास्को/अस्ताना – यूरोपिय देशों के अलावा अन्य देशों को नैसर्गिक ईंधन वायु की सप्लाई करने के लिए तुर्की में ‘गैस हब’ बनाने का प्रस्ताव रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दिया है। तुर्की का यह प्रस्तावित ‘हब’ केवल ईंधन सप्लाई तक ही नहीं बल्कि ईंधन की कीमतें तय करने के लिए भी अहम साबित होगा, ऐसे संकेत रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दिए। तुर्की ने इस पर सकारात्मक प्रतिसाद दिया है और दोनों देशों की यंत्रणा जल्द ही तकनीकी मुद्दों का अध्ययन शुरू करेंगी, ऐसा तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने कहा। यूरोपिय देश लगा रहे प्रतिबंध और रशिया ने बंद किए ईंधन सप्लाई की  पृष्ठभूमि पर इस नए ‘हब’ का प्रस्तव ध्यान आकर्षित कर रहा है।

गुरूवार को कज़ाकस्तान की राजधानी अस्ताना में मध्ये एशियाई देश और रशिया के बीच परिषद शुरू हुई। इस दौरान रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन से मुलाकात की। इसी बीच पुतिन ने तुर्की के सामने ‘गैस हब’ का प्रस्ताव रखा। ‘तुर्की का यह प्रस्तावित ईंधन वायु केंद्र ईंधन वायु की कीमतें तय करने के लिए अहम व्यासपीठ साबित हो सकता है। रशिया और तुर्की मिलकर यह केंद्र स्थापित कर सकते हैं और यह केवल ईंधन सप्लाई के लिए ही नहीं, बल्कि इसकी कीमतें तय करने के लिए भी अहम साबित होगा। फिलहाल ईंधन वायु की कीमतों में भारी उछाल आ रहा है। यह कीमतें बाज़ार के निकषों के अनुसार किसी भी राजनीतिक दखलअंदाज़ी के बिना सामान्य स्तर पर लाए जा सकते हैं’, इन शब्दों में पुतिन ने तुर्की को प्रस्ताव दिया है।

रशिया और तुर्की के बीच फिलहाल दो ईंधन पाईपलाईन्स मौजूद हैं। इनमें ‘ब्लू स्ट्रीम’ और ‘तुर्कस्ट्रीम’ का समावेश है। ‘ब्लू स्ट्रीम’ सन २००३ से कार्यरत है और इससे तुर्की को हर वर्ष १६ अरब घनमीटर ईंधन वायु की आपूर्ति होती है। ‘तुर्कस्ट्रीम’ सन २०२० में कार्यरत हुई और इससे तुर्की समेत यूरोपिय देशों को ३१.५ अरब घनमीटर ईंधन वायु की आपूर्ति होती है। इसके अलावा रशिया और तुर्की के बीच ‘ब्लू स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाइन शुरू करने की चर्चा भी हो रही है।

इस पृष्ठभूमि पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन का प्रस्ताव यूक्रेन का समर्थन कर रहे और रशिया पर प्रतिबंध लगा रहे यूरोपिय देशों के लिए बड़ा झटका होगा। यूरोपिय महासंघ रशिया पर बडे पैमाने पर प्रतिबंध लगा रहा है फिर भी हंगरी समेत कुछ देशों को इससे राहत दी गई है। इसके कारण इन देशों को अभी भी रशियन ईंधन वायु की आपूर्ति हो रही है। हंगरी ने भविष्य में ईंधन आयात करने के लिए भी रशिया से समझौते किए हैं।

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