युद्ध भड़का तो रशिया और चीन का पहला लक्ष्य अमरिका का ‘कमांड एयरक्राफ्ट’ होगा – अमरिका के एयरफोर्स सक्रेटरी की चेतावनी

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वॉशिंग्टन – युद्ध हुआ तो रशिया और चीन की प्रगत हवाई भेदी यंत्रणा अमरिका के ‘कमांड एंड कण्ट्रोल एयरक्राफ्ट’ को आसानी से अपना लक्ष्य बनाएंगी, ऐसी गंभीर चेतावनी अमरिका की एयरफोर्स सेक्रेटरी हिथर विल्सन ने दी है। अमरिकी संसद की रक्षा उपसमिति के सामने हुई सुनवाई में विल्सन ने रशिया और चीन के बढ़ते सामर्थ्य का एहसास कराया है। उसी समय इन दो देशों के प्रगत हथियारों को प्रत्युत्तर देने के लिए अमरिका को भी अधिक प्रगत यंत्रणा की आवश्यकता है, ऐसी आग्रही भूमिका रखी।

अमरिका के पास वर्तमान में युद्ध में इस्तेमाल करने के लिए ‘ई-८ जॉइंट सर्विलंस टार्गेट अटैक रडार सिस्टम एयरक्राफ्ट’ (जेस्टार्स) यह यंत्रणा उपलब्ध है। यह यंत्रणा ‘कमांड और कण्ट्रोल सेंटर’ का काम निभाती है। युद्धकाल में निगरानी रखना और युद्धभूमि पर लड़ने वाले सैनिकों को आवश्यक जानकारी देने की जिम्मेदारी इस ‘एयरक्राफ्ट’ यंत्रणा पर होती है। पिछले कुछ दशकों से सक्रिय यंत्रणा की जगह अमरिकी हवाई दल को अधिक प्रगत, सक्षम और अत्याधुनिक यंत्रणा की आवश्यकता है। ऐसा कहा जाता है।

‘कमांड एयरक्राफ्ट’

अमरिकी संसद ने ‘जेस्टार्स’ में १७ नए विमानों का समावेश करके यंत्रणा को शुरू रखा जाए, ऐसा आग्रह किया है। लेकिन हवाई दल ने ‘एडवांस्ड बैटल मैनेजमेंट सिस्टम’ की माँग की है और उसमें मानवरहित विमान और अंतरिक्ष यंत्रणा का समावेश है। इस मुद्दे पर अमरिकी हवाई दल का पक्ष रखते समय ‘एयरफोर्स सेक्रेटरी’ विल्सन ने रशिया और चीन की अत्याधुनिक हवाई भेदी यंत्रणाओं का प्रमाण दिया है।

‘युद्ध के समय जेस्टार्स जैसी यंत्रणा रशिया और चीन के खिलाफ निष्प्रभ साबित हो सकती है। रशिया और चीन की जमीन से हवा में हमला करने वाले मिसाइलों की पहुँच अमरिकी यंत्रणा की तुलना में अधिक है। युद्ध शुरू हुआ तो पहले ही दिन अमरिका का विमान रशिया और चीन की तरफ से आसानी से लक्ष्य बन जाएगा’, ऐसी गंभीर चेतावनी विल्सन ने दी है।

‘कमांड एयरक्राफ्ट’

रशिया ने प्रगत ‘एस-४००’ हवाई भेदी यंत्रणा निर्माण की है और वह २५० मील और ९८ हजार फूट की ऊंचाई के लक्ष्य को भेद सकती है। इस यंत्रणा में एक ही समय पर चार मिसाइलों की सुविधा है और यह मिसाइल ध्वनि की लगभग १५ गुना गति से लक्ष्य तक पहुँच सकता है, ऐसा दावा किया गया है। वर्तमान में अमरिका के ‘एफ-२२’ और ‘एफ-३५’ यह दो लड़ाकू विमान ही इस यंत्रणा को गुमराह करने में सक्षम है, ऐसा कहा जाता है। रशिया ने यह यंत्रणा चीन को भी दी है और चीन इस यंत्रणा की तैनाती भी शुरू कर रहा है।

रशिया ने ‘एस-५००’ यह अतिप्रगत मिसाइल यंत्रणा विकसित की है। यह यंत्रणा अंतरिक्ष के लक्ष्य को भी भेद सकती है, ऐसा कहा जाता है।

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