परमाणु अनुबंध बचाने के लिए सिर्फ शब्दों का समर्थन पूरा नहीं होगा – ईरान ने यूरोपीय देशों को फटकारा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

तेहरान – ‘वर्तमान की परिस्थिति में परमाणु अनुबंध को कायम रखने के लिए यूरोपीय महासंघ की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर्याप्त नहीं है। यूरोपीय महासंघ ने अधिक सक्रिय कदम उठाने चाहिए। यूरोप को ईरान के साथ आर्थिक सहकार्य कायम रखना है, तो उन्हें ईरान में निवेश अधिक बढ़ाना होगा’, ऐसी माँग ईरान के विदेश मंत्री ने की है। अमरिका ने ईरान पर लादे प्रतिबन्ध और नए प्रतिबंधों की धमकी इस वजह से यूरोपीय कंपनियों में चिंता का वातावरण फ़ैल गया है और ‘टोटल’ जैसी बड़ी कंपनियों ने ईरान से बाहर निकलने के संकेत भी दिए हैं।

रविवार को ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद झरिफ ने तेहरान में यूरोपीय महासंघ के ऊर्जा आयुक्त मिगेल एरिअल कैनेट से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान ईरान ने अपनी माँग को खुलकर यूरोपीय महासंघ के सामने रखा। अमरिका के अनुबंध से बाहर निकलने के बाद ईरानी जनता की तरफ से यूरोपीय देशों के बारे में अपेक्षाएं बढ़ी हैं, ऐसा झरिफ ने कहा है।

परमाणु अनुबंध

‘यूरोप की कई बड़ी कंपनियों ने ईरान के साथ के सहकार्य से पीछे हटने की संभावना व्यक्त की है। यह घोषणा यूरोपीय महासंघ की तरफ से परमाणु अनुबंध के बारे में दिए जाने वाले आश्वासनों से सुसंगत नहीं है’, इन शब्दों में झरिफ ने यूरोप की भूमिका पर नाराजगी जताई है। यूरोप की ‘मर्स्क टैंकर्स’, ‘अलायन्झ’, ‘डेनियली’ जैसी बड़ी कंपनियों ने ईरान में निवेश स्थगित करने के अथवा ईरान से पूरी तरह से बाहर निकलने के संकेत दिए हैं।

यूरोपीय देशों ने ईरान के इंधन क्षेत्र में निवेश और सहकार्य कायम रखने के आश्वासन दिए हैं, लेकिन साथ साथ यह चीज आसान नहीं है, ऐसी चेतावनी भी दी है। यूरोपीय महासंघ के ऊर्जा आयुक्त मिगेल एरियस कैनेट ने इस पर बात करना टालते हुए, परमाणु अनुबंध कायम रखना यही प्राथमिकता है, ऐसा कहा है।

‘वर्तमान का परमाणु अनुबंध कायम रखना महत्वपूर्ण है। इसलिए फिरसे नए अनुबंध के लिए चर्चा करने की नौबत नहीं आएगी। वर्तमान का अनुबंध उचित तरीके से आगे जा सकता है, यही हमारा ठोस सन्देश रहेगा, ऐसा कैनेट ने कहा है। यूरोपीय देशों का ईरान के इंधन क्षेत्र में करीब करीब २० अरब यूरो से अधिक निवेश है, ऐसा माना जाता है।

ईरान पर लगाए प्रतिबंधों को लेकर फ़्रांस के वित्तमंत्री की अमरिका को चुनौती देने की तैयारी

पॅरिस – ‘अमरिका मतलब वैश्विक राजनीति पर हुकूमत करने वाला कोतवाल नहीं है’, ऐसा कहकर फ़्रांस के अर्थमंत्री ‘ब्रूनो ला मारी’ ने सीधे अमरिका के खिलाफ आवाज उठाई है। अमरिका ने ईरान पर लादे प्रतिबंधों का नुकसान फ़्रांस और यूरोपीय देशों की अन्य कंपनियों को होने वाला है। इसीलिए यूरोपीय महासंघ इन कंपनियों के नुकसान को भर के देने के लिए आरक्षित निधि इस्तेमाल करे, ऐसी अजब माँग फ़्रांस के वित्त मंत्री ने की है। यूरोपीय महासंघ के निधि के बल पर फ़्रांस के वित्त मंत्री अमरिका से टक्कर लेने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसी तस्वीर दिखाई दे रही है।

यूरोप के फ़्रांस, ब्रिटन, जर्मनी इन प्रमुख देशों ने अमरिका ईरान के साथ किये परमाणु अनुबंध से बाहर निकलकर इस देश पर प्रतिबन्ध न लगाए, इसके लिए बहुत कोशिश की है। लेकिन अमरिका ने इसकी परवाह न करते हुए ईरान पर कठोर प्रतिबन्ध लगाए हैं और आने वाले समय में इन प्रतिबंधों का शिकंजा अधिक कसने की तैयारी की है। ऐसी परिस्थिति में फ़्रांस के वित्त मंत्री ने अमरिका को चुनौती देने वाली भाषा इस्तेमाल करके, अमरिका के प्रतिबंधों की वजह से यूरोपीय कंपनियों के होने वाले नुकसान को भरके देने की जिम्मेदारी महासंघ उठाए, ऐसी माँग की है। उसके लिए सन १९९६ में अमरिका ने क्यूबा पर डाले प्रतिबंधों को यूरोपीय देशों ने विरोध किया और अमरिका इन प्रतिबंधों को हटाने पर मजबूर हुआ था, इसकी याद फ़्रांस के वित्त मंत्री दिला रहे हैं।

वर्तमान में भी ऐसा हो सकता है, ऐसा कहकर फ़्रांस के वित्त मंत्री ने अमरिका के खिलाफ आक्रामक भूमिका लेने का आवाहन किया है। वास्तव में फ़्रांस की अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी सुस्थिति में नहीं है। ऐसे समय में, महासंघ की तिजोरी पर निर्भर रहकर अमरिका को चुनौती देने की वित्त मंत्री ‘ब्रूनो ला मारी’ की यह कोशिश हास्यास्पद बात साबित होती है। महासंघ के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था सँवारने की क्षमता महासंघ के पास नहीं है, यह बात बार बार सामने आई है। जर्मनी जैसे यूरोप की बलाढ्य अर्थव्यवस्था वाले देशों ने हाथ ऊपर किए थे। ऐसा होते हुए, फ़्रांस के वित्त मंत्री ने दिखाया यह आर्थिक शौर्य मतलब झूठा साहस है।

 

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