चीन में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के नेतृत्व पर सवाल

बीजिंग: अमरिका के साथ व्यापार युद्ध में लग रहे झटके, अर्थव्यवस्था में गिरावट, चीनी जनता की तरफ से बढ़ रहे प्रदर्शन और निचले दर्जे के वैक्सीन का घोटाला जैसे एक के बाद एक आई चुनौतियों का सामना करने में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग असफल साबित हो रहे हैं, ऐसी तीव्र आलोचना हो रही है। चीन की सरकारी यंत्रणाओं के साथ जुड़े विश्लेषक भी जिनपिंग की नीति पर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं और उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से जिनपिंग की सार्वजनिक कार्यक्रमों में उपस्थिती नही है और तभी चीनी मीडिया ने लगाईं खबरों से इस बारे में रहस्य अधिक बढ़ गया है।

चीन, राष्ट्राध्यक्ष, जिनपिंग, नेतृत्व, सवाल, बीजिंग, अमरिका, व्यापार युद्धजिनपिंग ने पिछले साल भर में सत्ता पर अपनी पकड़ अधिकाधिक मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। राष्ट्राध्यक्ष पद के कार्यकाल का किया हुआ अमर्याद विस्तार, चीन के रक्षा दल के कमांडर के तौर पर शुरू हुआ उल्लेख, कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक ‘माओ’ की तरह सत्ताधारी पार्टी की घटना में स्वयं के विचारों का समावेश करना जैसे कदम उठाकर जिनपिंग ने स्वयं देश के सर्वोच्च एकमात्र नेता हैं, ऐसा जोरदार प्रचार किया था। ‘वन बेल्ट, वन रोड’ (ओबीओआर) जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन का और स्वयं का स्थान मजबूत करने की उनकी कोशिशों को सफलता मिलने की तस्वीर भी शुरुआत के दौर में दिखाई दी थी।

चीन, राष्ट्राध्यक्ष, जिनपिंग, नेतृत्व, सवाल, बीजिंग, अमरिका, व्यापार युद्धलेकिन अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने शुरू किए व्यापार युद्ध और उसके पहले और बाद में घटी घटनाओं ने जिनपिंग का नेतृत्व सक्षम न होने के संकेत मिल रहे हैं। विशेष रूपसे पिछले कुछ महीनों में चीन के विश्लेषकों की तरफ से राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग लक्ष्य बन रहे हैं, इस वजह से इस बात की तरफ विशेष ध्यान आकर्षित हुआ है। चीन के ‘सिंगुआ यूनिवर्सिटी’ के प्राध्यापक ‘झु झेंगरन’ ने लिखा लेख इन दिनों चीन में चर्चा का विषय साबित हुआ है और मीडिया पर भी उसे बड़े पैमाने पर प्रसिद्धी मिली है।

चीन, राष्ट्राध्यक्ष, जिनपिंग, नेतृत्व, सवाल, बीजिंग, अमरिका, व्यापार युद्ध‘इमिनंट फियर्स, इमिनंट होप्स’ नामके इस लेख में प्राध्यापक झेंगरन ने असफल निर्णयों की सूचि सादर की है। उसमें अर्थव्यवस्था, विदेश नीति जैसे विषयों से लेकर देश के अंतर्गत सुधार और सोच जैसे मुद्दों का समावेश है। जिनपिंग यही सुप्रीमो होने की वजह से असफलता की जिम्मेदारी उनकी ही है। इस असफलता की वजह से चीनी जनता में अस्वस्थता की भावना बढ़ गई है, ऐसा दावा झेंगरन ने किया है।

बीजिंग के भूतपूर्व प्राध्यापक ‘झेंग मिंग’, हांगकांग के जोसेफ चेंग और लंडन के ‘स्टीव त्सैंग’ जैसे विश्लेषकों ने भी जिनपिंग के नेतृत्व पर सवाल किए हैं। पिछले कुछ दिनों में जिनपिंग की महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में गैरहाजिरी यह उनके खिलाफ खड़े किए जाने वाले सवाल उचित हैं, यही दिखा रही है। अर्थव्यवस्था और अन्य मुद्दों पर असफलता की वजह से चीनी जनता का सत्ताधारी राजवट के ऊपर से भरोसा उड़ रहा है, ऐसा भी चीन के कुछ विश्लेषकों ने कहा है।

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