शांत समुद्री क्षेत्र पर इंडो-पैसिफिक की समृद्धि निर्भर – भारतीय नौसेनाप्रमुख एडमिरल आर.हरि कुमार

नई दिल्ली – इंडो-पैसिफिक की समृद्धि शांत समुद्री क्षेत्र पर निर्भर है। ऐसे में समुद्री क्षेत्र में शांति बनाए रखना ही ‘इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव’ (आईपीओआई) का ध्येय है। इसके लिए अपने सहयोगी और भागीदार देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए ‘आईपीओआई’ की कोशिश जारी है, यह भारतीय नौसेनाप्रमुख एडमिरल आर.हरि कुमार ने कहा। ‘आईपीओआई’ परिषद मंगलवार से शुरू हुई और २५ नवंबर तक चलने वाली इस परिषद में ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र की सुरक्षा के बारे में गंभीर चर्चा की उम्मीद है। इसके शुरू में ही भारतीय नौसेनाप्रमुख ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों की समृद्धि के लिए समुद्री सुरक्षा आवश्यक होने का बयान करके इसकी अहमियत रेखांकित की।

सम्मान, संवाद, शांति, समृद्धि और सहयोग के आधार पर भारतीय नौसेना इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुराक्षा चाहती है, ऐसा नौसेनाप्रमुख ने इस दौरान कहा। इस क्षेत्र के देशों के संवाद से सामूहिक समझदारी से समस्याओं को अधिक प्रभावी रूप से हटाना मुमकिन होगा, यह विश्वास एडमिरल आर.हरि कुमार ने व्यक्त किया। साथ ही ‘आइपीओआई’ कोई नया गुट नहीं है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के विकास और सुरक्षा के लिए पहले से कार्यरत द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग को गति देने के लिए ‘आईपीओआई’ का गठन होने की बात नौसेना प्रमुख ने स्पष्ट की।

भारत को मुक्त, खुले, सर्वसमावेशक, शांत और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की उम्मीद है। यह उम्मीद भारत के बुनियादी सिद्धांतों की चौखट से उभरी है। विविधता, सहजीवन, खुलापन और संवाद ही भारतीय सभ्यता का आधार है, ऐसा नौसेनाप्रमुख ने इस परिषद में स्पष्ट किया। इसी बीच, सन २०१९ के ४ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने १४वें ‘ईस्ट एशिया समिट’ में ‘आईपीओआई’ की कल्पना रखी थी, यह जानकारी रक्षा मंत्रालय ने प्रदान की है। सीधे ज़िक्र किया ना हो, फिर भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की जारी हरकतों की वजह से निर्माण हुआ असंतुलन इस क्षेत्र के लगभग सभी देशों को असुरक्षित कर रहा है। ऐसी स्थिति में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के प्रमुख देशों से सहयोग करके भारत चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध कर रहा है।

भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के समावेश वाला क्वाड संगठन एवं फ्रान्स और ब्रिटेन के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बन रहा भारत का द्विपक्षीय सहयोग चीन की वर्चस्ववादी हरकतें और नीति का विरोध करने के लिए है, ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं। चीन अपने आर्थिक और सैन्य ताकत का इस्तेमाल करके इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों को अपने प्रभाव में लाने की कोशिश कर रहा है। इन देशों का अपनी सामरिक और आर्थिक रणनीति के लिए इस्तेमाल करने का ध्येय चीन ने सामने रखा है। इसके घातक परिणाम इस क्षेत्र के देशों पर हुए हैं। खास तौर पर छोटे देशों को चीन की इन हरकतों से खतरा बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में भारत ने ‘आईपीओआई’ का गठन करके इस क्षेत्र के देशों की एकजुट करने के प्रयास शुरू किए हैं और इसे अच्छा रिस्पान्स मिल रहा है।

इंडो-पैसिफिक के अहम हिस्सा वाले हिंद महासागर के क्षेत्र में भारत के नैसर्गिक प्रभाव को चुनौती देने की तैयारी चीन ने की है। जल्द ही इस क्षेत्र में चीनी नौसेना की मौजूगदी और हरकतें बढ़ेंगीं, ऐसी जानकारी चीन के विश्लेषकों ने साझा की थी। चीन की इन हरकतों के लिए भारत तैयार रहे, ऐसी चुनौती देकर इन विश्लेषकों ने भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन, चीन इस क्षेत्र पर वर्चस्व पाने की कड़ी कोशिश में होने की पूरी जानकारी रखनेवाली भारतीय नौसेना ने योजना के तहत अपनी क्षमता और सामर्थ्य बढ़ाया है और चीन चाहे कितनी भी कोशिश कर ले फिर भी इस समुद्री क्षेत्र में भारत के प्रभाव को चुनौती देना चीन के लिए आसान नहीं होगा, यह दावा सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं। चीन के व्यापारी यातायात का मार्ग होने वाले मल्लाक्का की खाड़ी पर भारतीय नौसेना के नियंत्रण को चुनौती देने की कोशिश चीन ने पहले भी की थी। लेकिन, चीन को इसमें सफलता नहीं मिली थी।

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