पेरू के सरकार विरोधी प्रदर्शनों से चीन को लगा करारा झटका – चीनी स्वामित्व की तांबे की खदान बंद होने की कगार पर

लिमा – लैटिन अमरीका के पेरू में पिछले दो महीनों से हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों से चीन को करारा झटका लगा है। चीन की स्वामित्व की तांबे की खदान का काम इन प्रदर्शनों के कारण बंद रखना होगा। चीन ने पेरू में किए निवेश के लिए यह बड़ा झटका साबित हो रहा है। इस खबर के बाद हांगकांग शेअर बाज़ार में वर्णित चीनी कंपनी के शेअर्स पर इसका असर हुआ है।

पिछले कुछ सालों में चीन ने खनिज समृद्ध लैटिन अमरिकी देशों के साथ मुक्त व्यापारी समझौते किए हैं। इसमें चांदी, तांबा, जिंक और टिन (कथिल) के खदानों से भर पेरू का भी समावेश है। तांबे का सबसे अधिक उत्पाद कर रहे देशों में पेरू का स्थान दसवां हैं। चीन की ‘मिनमेटल्स कॉर्पोरेशन’ कंपनी ने ‘लास बंबास’ नामक तांबे की खदान का स्वामित्व प्राप्त किया था। इसके बाद साल २०१६ से यहां पर तांबे का खनन भी शुरू किया था।

इस खदान से पुख्ता कितने टन तांबे का खनन होता है, इसकी पुख्ता जानकारी अभी प्रसिद्ध नहीं हुई है। लेकिन, हर वर्ष चार लाख टन तांबे का खनन हो सकता है, यह दावा है। इस वजह से चीन लास बंबास खदान से भारी मात्रा में तांबे का भंड़ार प्राप्त कर रहा है, ऐसी बात हो रही है। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से लास बंबास खदान को पेरू की अस्थिरता ने नुकसान पहुँचाया है।

पिछले साल स्थानिय लोगों के विरोध के कारण इस खदान का कामकाज ५० दिन बंद रखना पड़ा था। तथा, पिछले दो महीनों से पेरू की मौजूदा सरकार के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के कारण लास बंबास की खदान फिर से बंद रखने का संकट होने का दावा किया जा रहा है। सत्ता से हटाए गए पूर्व राष्ट्राध्यक्ष पेड्रो कैसिलो के समर्थक पेरू के शहरों में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं।

पिछले दो महीनों से जारी इन प्रदर्शनों की वजह से यातायात के मार्ग प्रभावित हुए हैं। कुछ ठिकानों पर कर्फ्यू लगाया गया है। लास बंबास खदान के इलाके में भी भारी मात्रा में आगजनी हुई हैं और सामान की यातायात कर रहे वाहनों पर हमले हुए हैं। इस वजह से खदान का कामकाज़ जारी रखने के लिए आवश्यक सामान पहुंच नहीं सका है। इस वजह से लास बंबास खदान बंद रखनी पड़ रही है, ऐसा चीनी कंपनी ने कहा है।

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