फेडरल रिज़र्व समेत यूरोप और ब्रिटेन ब्रिटेन के सेंट्रल बैंकों ने किया ब्याज दर बढ़ाने का ऐलान

वॉशिंग्टन/लंदन/ब्रुसेल्स – वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आने की चेतावनियां सामने आ रही हैं और इसी बीच विश्व के प्रमुख सेंट्रल बैंकों ने फिर से ब्याज दर बढ़ोतरी का ऐलान किया है। अमरीका के ‘फेडरल रिज़र्व बैंक’ समेत ‘यूरोपियन सेंट्रल बैंक’ और ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने ब्याज दर बढ़ोतरी घोषित की। ‘फेडरल रिज़र्व’ ने ०.२५ प्रतिशत यानी २५ अंक ब्याज दर बढ़ोतरी की है और इसके साथ ही अमरीका में ब्याज दर बढ़कर ४.७५ प्रतिशत पर पहुंचा है। मार्च के अन्त में एवं २०२३ में ब्याज दर बढ़ोतरी का सिलसिला जारी रहेगा, ऐसे संकेत फेडरल रिज़र्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने दिए है। फेडरल रिज़र्व के इस ऐलान पर शेअर बाज़ार से सकारात्मक रिस्पान्स प्राप्त हुआ है। लेकिन, मुद्रा कारोबार में ‘डॉलर इंडेक्स’ एक प्रतिशत से भी अधिक फिसला है।

पिछले कुछ महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी जैसा माहौल बना है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, वर्ल्ड बैंक, संयुक्त राष्ट्र संगठन, वैश्विक व्यापार संगठन समेत कई प्रमुख संस्था एवं वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों ने साल २०२३ में मंदी का झटका लगेगा, ऐसा अनुमान जताया है। इसके लिए विश्व के प्रमुख देशों में हो रही ब्याज दर बढ़ोतरी एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है। अमरीका, यूरोप और अन्य प्रमुख देशों ने मंहागई का उछाल रोकने का कारण आगे करके ब्याज दर बढ़ोतरी का लगातार समर्थन किया है। बुधवार को फेडरल रिज़र्व ने किए ऐलान में भी जेरोम पॉवेल ने महंगाई दर अभी पर्याप्त मात्रा में नीचे नहीं होने का बयान करके इस ब्याजदर बढ़ोतरी का समर्थन किया।

अमरीका समेत कई पश्चिमी देशों में महंगाई विक्रमी स्तर पर पहुंची थी। महंगाई के जारी उछाल के कारण आम जनता का बड़ा नुकसान हुआ और कई देशों में ‘कॉस्ट ऑफ लीविंग क्राइसिस’ की समस्या उभरती देखी गई थी। महंगाई और बाद में उभरी समस्याओं का ठिकरा पश्चिमी देशों ने रशिया-यूक्रेन युद्ध एवं कोरोना के फैलाव पर फोड़ा था। लेकिन, वास्तव में इन देशों की गलत नीति ही इसका कारण होने की ओर कई आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्लेषकों ने बार बार ध्यान आकर्षित किया है। लेकिन, इसके बावजूद अमरीका और पश्चिमी देशों ने ब्याज दर बढ़ोतरी ही एक मात्र इलाज़ होने का बयान करके इसपर अमल करना जारी रखा है।

बुधवार को फेडरल रिज़र्व ने पिछले साल से आठवीं ब्याज दर बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही अमरीका में २००७ के बाद ब्याज दर सर्वोच्च स्तर पर पहुँचा है। इससे अमरीका के गृहनिर्माण एवं गृहकर्ज क्षेत्र को नुकसान पहुँचने की आशंका जताई जा रही हैं। साथ ही अमरीका में उत्पादों की मांग भी कम होने के संकेत प्राप्त हुए हैं। यह स्थिति अमरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की स्थिति दर्शा रही हैं, फिर भी फेडरल रिज़र्व और बायडेन प्रशासन लगातार इस संभावना को नकार रहे हैं।

अमरीका के बाद यूरोपिय महासंघ की सेंट्रल बैंक ‘यूरोपियन सेंट्रल बैंक’ और ब्रिटेन के ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने भी ब्याज दर बढ़ोतरी का ऐलान किया हैं। दोनों सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दर ०.५ प्रतिशत यानी की ५० अंक बढ़ाए हैं। इसका ऐलान करते हुए ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने इस वर्ष ब्रिटीश अर्थव्यवस्था को मंदी से नुकसान पहुँचेगा, ऐसी संभावना भी जताई है।

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