अमरीका को लष्करी अड्डा प्रदान करके पाकिस्तान नई भूल नहीं करेगा – प्रधानमंत्री इम्रान खान का ऐलान

इस्लामाबाद – अफ़गानिस्तान में अमरीका के ‘वॉर ऑन टेरर’ में शामिल होकर पाकिस्तान ने काफी बड़ी गलती की और इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकाई है, ऐसा दावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किया। लेकिन, अब पाकिस्तान अपनी संप्रभुता से समझौता करके अफ़गानिस्तान में कार्रवाई करने के लिए अमरीका को अड्डा देने की गलती नहीं करेगा, यह बयान भी इम्रान खान ने ड़टकर किया। पाकिस्तान की संसद में इम्रान खान का यह भाषण काफी चर्चा में है। कुछ पाकिस्तानी विश्‍लेषकों ने इस बयान पर इम्रान खान की सराहना की है। लेकिन, इस पर अमरीका की प्रतिक्रिया प्राप्त हुए बगैर नहीं रहेगी और क्या इसके लिए पाकिस्तान तैयार है? यह सवाल भी इस देश के माध्यम उठा रहे हैं।

चीन के एक समाचार चैनल को साक्षात्कार के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने हमारा देश अमरीका के पक्ष में नहीं बल्कि चीन के पक्ष में साथ देगा, यह ऐलान किया था। पाकिस्तान चीन के साथ सहयोग तोड़ दे, इसके लिए अमरीका दबाव ड़ाल रही है, लेकिन पाकिस्तान ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है, यह ऐलान इम्रान खान ने किया। इसके बाद इम्रान खान ने पाकिस्तान की संसद में यह बयान किया कि, अमरीका पाकिस्तान का मित्रदेश नहीं है और पाकिस्तान बेवजह अमरीका की अफ़गानिस्तान में जारी आतंकवाद विरोधी जंग में शामिल हुआ था, यह आरोप भी लगाया। साथ ही अल कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अमरीका ने पाकिस्तान में घुसकर कार्रवाई की थी, इस पर भी इम्रान खान ने नाराज़गी जताई।

अल्ताफ हुसेन नामक लंदन में स्थित पाकिस्तानी नेता का बतौर आतंकी ज़िक्र करके उसे खत्म करने के लिए क्या ब्रिटेन पाकिस्तान को ड्रोन हमला करने की अनुमति प्रदान करेगा, यह सवाल भी इम्रान खान ने संसद में किया। साथ ही अफ़गानिस्तान में अमरीका की जंग में शामिल ना हों, यह कहनेवाले चुनिंदा नेताओं में हमारा समावेश था, लेकिन तब ‘तालिबान खान’ हमारा कहकर मज़ाक उडाया गया, यह याद भी इम्रान खान ने ताज़ा की। पाकिस्तान की पूर्व सरकारों ने अमरीका के दबाव में की हुई गलती हम नहीं दोहराएँगे, ऐसा कहकर इम्रान खान ने अमरीका को लष्करी अड्डा प्रदान ना करने का ऐलान कर दिया। उनके इस भाषण की पाकिस्तान के चरमपंथी विश्‍लेषक और पत्रकारों ने सराहना करके इसे काफी अहमियत दी है। अमरीका को पहली बार किसी पाकिस्तानी नेता ने आत्मविश्‍वासभरा जवाब दिया है, ऐसा इन चरमपंथियों का कहना है।

पाकिस्तान सेना के पूर्व अफसरों ने भी इम्रान खान के इस निर्णय का समर्थन किया है। लेकिन, इस पर अमरीका की प्रतिक्रिया प्राप्त हुए बगैर नहीं रहेगी, इस बात का अहसास भी यह अधिकारी करा रहे हैं। अमरीका अगले दिनों में पाकिस्तान की आर्थिक घेराबंदी करेगी, एफएटीएफ एवं अन्य संस्थाओं पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके पाकिस्तान को तंग किए बगैर नहीं रहेगी, ऐसा इन पूर्व सेना अधिकारियों का कहना है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान चीन, रशिया और ईरान के साथ सहयोग बढ़ाकर अमरीका के दबाव का मुकाबला करने की तैयारी जुटाए, ऐसी सलाह भी इन अफसरों ने दी है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यह तैयारी जुटाई है और बीते कुछ दिनों से इम्रान खान द्वारा चीन की सराहना यही दिखा रही है। साथ ही अमरीका के खिलाफ हमें रशिया यकीनन सहायता प्रदान करेगी, यह विश्‍वास पाकिस्तान को है। लेकिन, अमरीका जैसी महासत्ता का दबाव ठुकराना इतना आसान नहीं है, इस बात का अहसास पाकिस्तान के कुछ समज़दार पत्रकार रखते हैं। पाकिस्तान को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे और इसे बर्दाश्‍त करने के लिए आवश्‍यक आर्थिक और सियासी स्तर की क्षमता पाकिस्तान नहीं रखता, इस ओर भी यह पत्रकार ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

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