सुदान के दर्फुर में वांशिक संघर्ष में १६० से अधिक की मौत

sudan-darfur-genocide-1खार्तुम – सुदान के वेस्ट दर्फुर प्रांत में छिडे संघर्ष में १६० से अधिक लोगों की जान गई है और सैंकडों घायल हुए हैं। वेस्ट दर्फुर के क्रेनिक भाग के गावों में हिसाचार की जानकारी स्थानिक सूत्रों ने साझा की। नई हिंसाचार के कारण इस भाग के हजारों लोगों को विस्थापित होना पडा, यह बात सामने आई है। इस हिंसाचार में ’अरब जंजाविद’ विद्रोहियों का हाथ है, ऐसा दावा किया जा रहा है। पिछले चार महीनों में दर्फुर में इतने बडे पैमाने पर वांशिक संघर्ष की यह दूसरी घटना है।

sudan-darfur-genocide-3पिछले सप्ताह क्रेनिक में घटी हुई घटना के बाद बडा वांशिक संघर्ष छिडा। क्रेनिक की घटना में अज्ञात हमलावरों ने दो लोगों की हत्या कर दी थी। तत्पश्चात विद्रोहियों के गुट क्रेनिक के गावों में घुसकर आगजनी एवं हत्याएं करने लगे। लगभग २४ घंटों से अधिक समय हिंसा होती रही। हिंसाचार में प्रमुखता है अफ्रीकी वंश के इलाके में लोगों को लक्ष्य किया गया। संघर्ष में कम से कम १६८ लोगों की जानें गईं और १०० से अधिक घायल हुए। घायलों में कईयों की स्थिति चिंताजनक है और मृतकों की संख्या बढने का डर व्यक्त किया जा रहा है।

sudan-darfur-genocide-2पिछले दो वर्षों में दर्फुर में हिंसा की घटनाओं में फिर से बढोतरी होती हुई दिख रही है। वांशिक संघर्ष एवं हिंसाचार की यह नई घटनाएं सन २००३ में छिडे संघर्ष से सदृश्यता दर्शाती हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है। सन २००३ में पानी, खेत और जमीन के मुद्दों पर स्थानिक अफ्रीकी एवं अरब वंशियों मे संघर्ष हुआ था। तब सुदान में हुकूमशहा ओमर बशीर की हुकूमत थी। बशीर ने अरब गुटों का समर्थन करके अफ्रीकी वंशियों का संहार कराया था। सन २०२० में बशीर का तकता पलटकर सेना ने सत्ता हथियाई।

दर्फुर में हिंसाचार रोकने के लिए सन २००७ में संयुक्त राष्ट्र संघ ने शांतिसेना तैनात की थी। पर इसके बाद हिंसाचार में विशेष फरक नहीं पडा है। बल्कि, शांतिसेना पर ही हमलों की घटनाएं घटी हैं। लगभग १५ वर्ष यह भीषण संघर्ष चलता रहा। इसमें तीन लाख से अधिक लोग मारे गए हैं और २५ लाख से अधिक विस्थापित हुए हैं। दर्फुर भाग में तैनात की गई शांतिसेना की मुदत सन २०२० के अंत में पूरी हो गई और इस भाग में अब सुदानी सेना तैनात की गई है। पर इसके बाद दर्फुर में सेना शांति स्थापित करने में असफल रही है।

नई घटनाओं में ’अरब जंजाविद’ विद्रोही गुटों का हाथ होने की बात सुदान की सैन्य हुकूमत के लिए धोखे के संकेत हैं। अरब जंजाविद गुटों को कुछ देशों से समर्थ मिलने की बात कही जाती है। इसलिए यह गुट एवं उनके द्वारा किए जानेवाले हिंसाचार सुदान में नई अस्थिर्ता का कारण बन सकते हैं, विश्लेषक ऐसी चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

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