ईरान के मुद्रा की भारी गिरावट – प्रति अमरिकी डॉलर छह लाख रियाल से भी अधिक फिसलन दर्ज़

दुबई – ईरान की मुद्रा रियाल की गिरावट का नया रिकॉर्ड स्थापित हुआ है। इस बड़ी गिरावट के साथ ईरान के रियाल का मूल्य प्रति डॉलर छह लाख रियाल से घट गया है और इस गिरावट की गूंज ईरान में सुनाई दे रही है। शुक्रवार को ईरान के रियाल का मूल्य प्रति डॉलर 5 लाख 40 हज़ार था। शनिवार को इसकी अधिक गिरावट हुई और यही मूल्य 5.75 लाख हुआ। रविवार को यह गिरावट जारी रहने से प्रति डॉलर रियाल का मूल्य 6 लाख से अधिक कम हुआ। ईरान में हुकूमत विरोधी जारी प्रदर्शनों की वजह से ईरानी अर्थव्यवस्था पर यह संकट टूटने का दावा किया जा रहा है। लेकिन, ईरानी यंत्रणा रियाल की इस गिरावट के पीछे शत्रु देशों की साज़िश होने का आरोपल लगा रही है।

जनवरी में ईरान में महंगाई दर कुल 53 प्रतिशत से अधिक हुआ। ईरानी जनता इसके भीषण परिणाम भुगत रही है। ऐसी स्थिति में ईरान की मुद्रा की अधिकाधिक गिरावट जारी है और इससे उछली महंगाई ने जनता का गुस्सा बढता जा रहा है। खास तौर पर पिछले साल सितंबर में शुरू हुए हिजाब सक्तिविरोधी प्रदर्शनों के बाद ईरान की अर्थव्यवस्था की अधिक गिरावट आई और बाद में यह प्रदर्शन हुकूमत विरोधी अभियान में तब्दील होता दिखाई दिया। शुरूआत में हिज़ाबसक्ति का विरोध करनेवाली छात्रा और महिलाओं के अलावा कामगार और व्यापारी वर्ग भी शामिल हुए थे।

सख्ती से इस प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश के बावजूद ईरानी हुकूमत को इस मोर्चे पर पूरी कामयाबी नहीं मिली। ईरान के कुछ शहरों में अब भी हुकूमत विरोधी प्रदर्शन और नारेबाज़ी करके रैलियां निकाली जाती हैं। इससे ईरान के व्यापार और उद्योग को भारी नुकसान पहुंच रहा है और इसकी वजह से ईरानी हुकूमत के खिलाफ गुस्सा अधिक बढ़ता जा रहा है। ऐसी स्थिति में अपनी मुद्रा के मूल्या की गिरावट रोकने में ईरानी हुकूमत की असफलता इस देश के सामने नई चुनौतियां खड़ी करेगी।

साल 2015 में पश्चिमी देशों के साथ परमाणु समझौता करने में ईरान सफल हुआ था। लेकिन, बाद में अमरीका इस समझौते से पीछे हटी। इसके साथ ही ईरानी अर्थव्यवस्था की गिरावट शुरू हूई। ज्यो बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने फिर से परमाणु समझौता करने की कोशिश की थी। लेकिन, ईरान की सख्त भूमिका की वजह से यह समझौता नहीं हो पाया है। पहले ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी भी ईरान के पक्ष में थे, पर अब वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने ईरान के परमाणु प्रकल्प में शुरू युरेनियम संवर्धन परमाणु बम बनाने के करीब पहुँच रहा है, ऐसी चेतावनियां दी हैं। इसका गंभीर संज्ञान लेकर इस्रायल किसी भी क्षण ईरान पर हमला कर सकता है, ऐसी स्थिति निर्माण हुई है। तथा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खतरे के तौर पर देखने वाले सौदी और अन्य खाड़ी देश इस्रायल के पक्ष में रहेंगे, ऐसे संकेत दे रहे हैं।

इसकी वजह से ईरानी अर्थव्यवस्था की स्थिति अधिक बिगड़ी है और ईरान की हुकूमत अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने के बजाय अमरीका और इस्रायल विरोधी युद्ध की तैयारी में जुटी है। इसकी वजह से आनेवाले समय में ईरानी अर्थव्यवस्था का संकट दूर होने के बजाय इसकी तीव्रता अधिक बढ़ेगी, ऐसा स्पष्ट दिख रहा है। ईरानी शहरों के सड़कों पर उतरकर प्रदर्शनकारी हमें युद्ध और उन्माद नहीं, बल्कि स्थिरता और रोज़गार चाहिये, ऐसे नारे लगा रहे हैं। ईरान के पूर्व नेताओं ने भी जनता की यह मांग वैध होने का बयान करके इसे अपना समर्थन घोषित किया है।

ऐसी स्थिति में ईरान के रियाल की गिरावट इस देश की चिंता अधिक बढ़ा रही है और इसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव ईरान में जल्द ही दिखाई देंगे, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, ईरान की हुकूमत यह सभी शत्रु देशों ने ही करवाया है, यह आरोप लगाने पर कायम है। इन आरोपों के ज़रिये आने वाले समय में भी हम हमारी नीति में बदलाव नहीं करेंगे, यही संदेश ईरान की हुकूमत अपनी जनता को देती हुई दिख रही है।

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