जापान के सेंकाकू के करीब चीन के गश्तपोतों की घुसपैठ – जापान के तटरक्षक बल का आरोप

टोकियो – चीन के गश्तपोतों ने जापान के सेंकाकू द्वीप समूह की सीमा में घुसपैठ करके गश्त लगायी। चीन के गश्तपोत कम से कम ६४ घंटे इस क्षेत्र में मौजूद थीं, यह आरोप जापान ने लगाया है। साथ ही चीन ने विवादित समुद्री सीमा में नैसर्गिक ईंधनवायु का खनन शुरू किया, ऐसा आरोप भी जापान ने लगाया है।

जापान के तटरक्षक बल ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार चीन के दो गश्तपोतों ने सेंकाकू द्वीप समूह की समुद्री सीमा में घुसपैठ की थी। मंगलवार की सुबह घुसपैठ करने के बाद यह सभी पोत गुरूवार शाम तक यहां से पीछे हटे। चीनी गश्तीपोतों ने इस द्वीप समूह से मात्र तीन किलोमीटर दूरी से यात्रा करने का आरोप जापान ने लगाया। साथ ही चीनी गश्तपोतों की यह घुसपैठ अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों का उल्लंघन होने की याद जापान ने दिलायी।

जापान के तटरक्षक बल ने अपने जहाज़ भेजकर चीनी गश्तपोतों को भगाने की कोशिश भी की। पिछले दशक से चीन के जहाज़ों ने जापान की समुद्री सीमा में की हुई अब तक की यह सबसे बड़ी घुसपैठ साबित होती है। ‘ईस्ट चायना सी’ के सेंकाकू द्वीप समूह पर जापान का प्रशासकीय अधिकार है। लेकिन, सेंकाकू या चीन में दियोऊ नाम से जाने जा रहे इस द्वीप समूह पर चीन अपना अधिकार जता रहा है।

पिछले कई सालों से जंगी आक्रामकता दिखाकर नैसर्गिक खनिज संपत्ति से भरे इस समुद्री क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए चीन की कोशिश जारी है। सेंकाकू की तरह चीन ने जापान की समुद्री सीमा के करीब ईंधन वायु का खनन शुरू करने के आरोप भी हो रहे हैं। चीन अवैध तरीके से यह खनन कर रहा है, ऐसा आरोप जापान ने लगाया है। कुछ दिन पहले चीन के लड़ाकू विमानों ने जापान की हवाई सीमा के करीब खतरनाक पद्धति से उड़ान भरी थी। चीन की इस बढ़ती आक्रामकता का अंतरराष्ट्रीय समूदाय गंभीरता से संज्ञान ले, ऐसी माँग जापान कर रहा है।

इसी बीच, अमरीका का पूरा ध्यान यूक्रेन युद्ध पर केंद्रीत होने की वजह से आत्मविश्वास बढ़ने से चीन ने अपने पड़ोसी देशों के विरोध में आक्रामक गतिविधियाँ बढ़ाई हैं। जापान की तरह ताइवान पर भी चीन ने ऐसी ही आक्रामक नीति अपनाई है।

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