भारत-ओमान मे दुकम बंदरगाह के बारे मे करार

मस्कत: खाड़ी देशों के दौरे पर होनेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओमान के साथ महत्वपूर्ण करार किए हैं। इन करारों में ओमान के दुकम बंदरगाह भारतीय नौदल को उपलब्ध होने के सहयोगी करार का समावेश है। यह भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बात मानी जा रही है, जिसकी वजह से भारत को घेरने की तैयारी कर रहे चीन के नौदल को जवाब देने के लिए भारत को अब आसान होगा ऐसा दावा किया जा रहा है।

जॉर्डन, पॅलेस्टाइन, संयुक्त अरब अमीरात इन देशों के दौरे के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओमान को भेंट दी थी। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भारत एवं ओमान में लगभग ८ सहयोगी करार संपन्न हुए हैं। जिस में आतंकवाद विरोधी सहयोग और दुकम बंदरगाह के बारे में करार अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दुकम के बारे में करार की वजह से भारतीय नौदल के युद्धनौका एवं विनाशिका इस बंदरगाह में उपलब्ध हो सकेंगे। ईंधन भरने के लिए तथा देखभाल के लिए भारतीय युद्धनौका एवं विनाशिका के लिए यह बंदरगाह उपलब्ध होने से भारत के सामरिक क्षमता में बड़ी बढ़त होगी।

ओमान के भारत के राजदूत ने दोनों देशों में संपन्न हुए इस करार का महत्व रेखांकित किया है। ओमान फिलहाल दुकम बंदरगाह तथा अन्य जगहों पर स्पेशल इकनोमिक झोन विकसित करने की तैयारी में है। इस के लिए भारत में उत्सुकता दिखाई थी। इस बंदरगाह की वजह से भारत को पश्चिम एशिया के दरवाजे खुले होंगे। जिस से भारत के लिए इस बंदरगाह को बड़ा महत्व दिया जा रहा है, ऐसा ओमान के राजदूत ने कहा है। भारतीय माध्यमों ने भी इस करार का समर्थन किया  है। इस की वजह से चीन तथा पाकिस्तान जैसे देशों को भारत विरोधी कार्यवाहियों पर नियंत्रण रखना आसान होगा, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।

हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौदल के हस्तक्षेप बढ़ते समय भारत को अपनी नौदल की क्षमता में बढ़त करना अनिवार्य बना है। इस के लिए खाड़ी देशों के  बंदरगाह भी भारतीय नौदल  को  उपलब्ध होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत ईरान के छाबर बंदरगाह का विकास कर रहा है और ओमान के साथ दुकम बंदरगाह विकास के लिए भारत द्वारा शुरू किये प्रयत्न उस दिशा में उठाए महत्वपूर्ण कदम माने जा रहे हैं।

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