इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के मित्रदेशों में सेवा व्यापार समझौते के लिए भारत का प्रस्ताव

नई दिल्ली – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के मित्रदेशों में सेवा व्यापार समझौता करने के लिए भारत ने प्रस्ताव रखा है। सेवा व्यापार समझौते के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों को आवाहन करने के साथ वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल ने यह बात इस क्षेत्र के देशों के संबंध अधिक मज़बूत करनेवाली साबित होगी, यह मुद्दा रेखांकित किया। साथ ही इस वजह से आयटी, ई-कॉमर्स, आर्टिफिश्यल इंटेलिजन्स (एआय) जैसे क्षेत्रों की क्षमता बढ़ाने में सहायक होगी, यह भी गोयल ने कहा।

इंडो-पैसिफिक व्यापार शिखर परिषद में वाणिज्यमंत्री बोल रहे थे। वाणिज्य मंत्रालय और भारत के उद्यमियों का शीर्ष संगठन ‘कॉन्फडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रि’ (सीआयआय) ने इस परिषद का आयोजन किया है और मंगलवार के दिन विदेशमंत्री एस.जयशंकर के हाथों इस परिषद की शुरूआत हुई थी। ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समविचारी देशों को व्यापारी संबंध अधिक मज़बूत करने होंगे। समान हितों का विचार करके इस क्षेत्र के देशों ने नीति तय करनी होगी’, यह सलाह भी अपने भाषण में विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने दी थी। साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र वैश्वीकरण की सच्चाई दर्शा रहा है और बहुध्रुवीय व्यवस्था का उदय और पुनःसंतुलन के लाभ भी उन्होंने रेखांकित किए हैं। अर्थात, शीत युद्ध से बाहर निकलकर द्विध्रुवीय व्यवस्था और वर्चस्ववाद से इन्कार करने की छबि इस क्षेत्र में दिखाई देती है, इस ओर एस.जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया था।

बुधवार के दिन वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल ने इस परिषद में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों के व्यापारमंत्रियों से बाततीच करते समय बीते कुछ वर्षों के दौरान भारत के इस क्षेत्र के देशों के साथ बढ़े हुए व्यापारी हित रेखांकित किए। वर्ष २००१ में भारत का ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र के देशों के साथ ३३ अरब डॉलर्स का व्यापार हो रहा था। अब इसमें बढ़ोतरी हुई है और २०२० तक यह व्यापार २६२ अरब डॉलर्स हुआ है, इस बात पर वाणिज्यमंत्री गोयल ने ध्यान आकर्षित किया।

सेवा क्षेत्र के व्यापार बढ़ोतरी के लिए इस क्षेत्र के देशों में काफी अवसर उपलब्ध हैं। इस वजह से इस क्षेत्र के मित्रदेश व्यापक सेवा व्यापार समझौता करें, यह आवाहन गोयल ने इस दौरान किया। इस वजह से अड़ंगा साबित होनेवाले स्थानीय कानून और नीति अधिक उदार बनाने में सहायता होगी। साथ ही सेवा क्षेत्र के खास तौर पर आयटी सर्विस, ई-कॉमर्स, ‘एआय’ समेत अन्य क्षेत्रों की क्षमता का विस्तार होगा, यह विश्‍वास गोयल ने व्यक्त किया।

भारत में निवेश कर रही कंपनियों के लिए ‘प्रॉडकश्‍न लिंक्ड़ इन्वेस्टमेंट स्किम’ (पीएलआय) के माध्यम से काफी सहुलियत प्रदान की गई है। लगभग १३ क्षेत्रों के लिए यह योजना लागू है। भारत को विश्व उत्पादन केंद्र बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। साथ ही दो देशों की सीमाओं से सड़क के ज़रिये भी व्यापारी यातायात आसान करने के लिए आवश्‍यक कदम उठाए गए हैं, यह बात गोयल ने स्पष्ट शब्दों में रखी। भारत को जागतिक सप्लाई चेन का प्रमुख अंग बनाने के नज़रिये से भारत सरकार ने बीते वर्ष से कदम उठाना शुरू किया। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों ने इसी नज़रिये से भारत से सहयोग बढ़ाया है, यह बात भी गोयल ने इस परिषद में रेखांकित की। साथ ही अन्य देश भी भारत की इस कोशिश में शामिल हों, यह आवाहन भी गोयल ने इस दौरान किया।

नील अर्थव्यवस्था की क्षमता बढ़ाना, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं के साथ सहयोग बढ़ाना एवं क्षेत्रीय कनेक्टिविटी अधिक मज़बूत करने पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों की अर्थव्यवस्था पर भविष्य निर्भर होगा, यह बात भी भारतीय मंत्री ने स्पष्ट की। इसके जरिये इस क्षेत्र के देशों का व्यापारी सहयोग कितना अहम है, यह बात भी गोयल ने रेखांकित की।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र विश्‍व का नया आर्थिक गुरुत्व केंद्र बनने का बयान करके वाणिज्यमंत्री गोयल ने वर्ष २०१५ में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र की कल्पना ‘सागर’ इस एक ही शब्द में रेखांकित की थी, इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया। ‘सागर’ यानी ‘सिक्युरिटी ऐण्ड ग्रोथ ऑफ ऑल इन द रीजन’ यह व्याख्या प्रधानमंत्री ने की थी। प्रधानमंत्री की इस कल्पना का इस क्षेत्र के सभी देशों ने मार्गदर्शक तत्व समझकर अनुकरण करना चाहिये, क्योंकि सुरक्षित और स्थिर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र यानी सभी के लिए शांति और समृद्धि का माहौल होगा, ऐसा गोयल ने कहा।

इस परिषद में भारत, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, यूएई, न्यूज़ीलैण्ड, सिंगापुर, चिली, कोलंबिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, भूटान, बांगलादेश, श्रीलंका, फिजी, मेक्सिको, केनिया और मॉरिशस के व्यापार मंत्री और प्रतिनिधि वर्चुअली शामिल हुए।

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